रूस से लौटे 24 लोगों ने कहा: गुलामों जैसा काम कराया गया, दिन में एक ही बार खाना मिलता था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 21, 2019 14:31 IST2019-12-21T14:31:56+5:302019-12-21T14:31:56+5:30

विदेश मंत्रालय और रूस में भारतीय दूतावास ने इन लोगों को घर वापस लौटने में मदद की और ये लोग 16 दिसंबर को यहां आये । रूस में कुल 26 लोग फंसे थे लेकिन उनमें से मलकियत सिंह उर्फ सोनू (25) की अज्ञात बीमारी के कारण मौत हो गयी ।

24 people who returned from Russia said: Worked as slaves, food was available only once a day | रूस से लौटे 24 लोगों ने कहा: गुलामों जैसा काम कराया गया, दिन में एक ही बार खाना मिलता था

रूस में कुल 26 लोग फंसे थे लेकिन उनमें से मलकियत सिंह उर्फ सोनू (25) की अज्ञात बीमारी के कारण मौत हो गयी ।

Highlights रूस में महीनों तक बंधक बना कर रखे जाने वाले 24 लोग पंजाब वापस लौटेउन्होंने आरोप लगाया कि उन लोगों से ‘‘गुलामों की तरह काम लिया जाता’’ था

बेहतर जीवन यापन की आशा में रूस में महीनों तक बंधक बना कर रखे जाने के बाद वापस लौटे पंजाब के दोआबा क्षेत्र के 24 लोगों ने आरोप लगाया कि उन लोगों से ‘‘गुलामों की तरह काम लिया जाता’’ था और पूरा खाना भी नहीं दिया जाता था ।

नियोक्ता इन लोगों को करीब एक पखवाड़े तक दिन में एक केवल एक ही बार भोजन देते थे । यह मामला तब सामने आया जब वापस लौटने के बाद उन लोगों ने दो ट्रैवेल एजेंटों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करायी । दोनों ट्रैवेल एजेंटों ने उन लोगों को एक रूसी कंपनी में आकर्षक नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगा था ।

विदेश मंत्रालय और रूस में भारतीय दूतावास ने इन लोगों को घर वापस लौटने में मदद की और ये लोग 16 दिसंबर को यहां आये । रूस में कुल 26 लोग फंसे थे लेकिन उनमें से मलकियत सिंह उर्फ सोनू (25) की अज्ञात बीमारी के कारण मौत हो गयी ।

इससे पहले कंपनी ने सोनू को समय पर किसी प्रकार की चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं करायी । सोनू का शव उसका दोस्त जोगिंदरपाल लेकर आया जो वापस रूस नहीं गया । रूस से जो लोग लौटकर आये हैं वे सब कपूरथला, जालंधर, नवांशहर एवं होशियारपुर जिले के रहने वाले हैं ।

इनमें से 13 लोगों की उम्र 21 से 25 के बीच है और वे अविवाहित हैं जबकि बाकी 12 लोग विवाहित हैं और उनकी उम्र 30 से 40 के बीच की है । नारंग शाहपुर निवासी पिंकू राम ने बताया, ‘‘हमें 15 दिनों तक दिन में एक ही बार खाना दिया जाता था ओर हमें गुलामों की तरह काम करना पड़ता था।’’

रसूलपुर गांव निवासी धरमिंदर ने कहा, ‘‘छह महीने तक हमें कोई वेतन नहीं मिला क्योंकि कंपनी ने कहा कि हमारे टिकट एवं वीजा का खर्च उन्होंने हमारी सैलरी से काट लिया।’’ समझौते के अनुसार ट्रैवेल एजेंटों - सुरिंदर सिंह एवं दलजीत सिंह- ने 35 हजार रूपये महीना वेतन एवं ओवरटाइम के लिए अतिरिक्त पैसा दिये जाने का वादा किया था ।

मंढाली गांव निवासी राकेश कुमार ने कहा कि जैसा हमसे वादा किया गया था, वैसा वहां कुछ नहीं था। राकेश ने बताया कि आठ घंटे से अधिक गुलामों की तरह काम लिया जाता था और वादे से बहुत कम सैलरी मिलती थी । जांच अधिकारी गुरमुख सिंह के समक्ष दर्ज कराये अपने बयानों में उन लोगों ने बताया कि सात महीने पहले वह बेहतर जीवनयापन की आस में रूस गये थे और उनमें से प्रत्येक को एक लाख 32 हजार रुपये देने पड़े थे ।

Web Title: 24 people who returned from Russia said: Worked as slaves, food was available only once a day

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