2021: चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी, उच्च न्यायालयों में 120 नये न्यायाधीश नियुक्ति

By भाषा | Updated: December 31, 2021 16:29 IST2021-12-31T16:29:00+5:302021-12-31T16:29:00+5:30

2021: Parliament approves election reform bill, 120 new judges appointed in high courts | 2021: चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी, उच्च न्यायालयों में 120 नये न्यायाधीश नियुक्ति

2021: चुनाव सुधार संबंधी विधेयक को संसद की मंजूरी, उच्च न्यायालयों में 120 नये न्यायाधीश नियुक्ति

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर विधि मंत्रालय के लिए वर्ष 2021 चुनाव सुधारों के लिए बड़े प्रयासों के साथ समाप्त हो रहा है और इस साल उच्च न्यायालयों में 120 तथा उच्चतम न्यायालय में नौ न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई।

पात्र उम्मीदवारों को उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश नियुक्त कराने के प्रयासों के बावजूद उच्चतम न्यायालय द्वारा अनेक उच्च न्यायालयों के लिए न्यायाधीशों के रूप में जिन 23 नामों पर जोर दिया गया है, वे 2018 से सरकार के पास लंबित हैं। सरकार को आने वाले वर्ष में इस विषय पर फैसला करना है।

इस कलैंडर वर्ष में 120 नये न्यायाधीशों की विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्ति की गयी और उच्च न्यायालयों के नौ मुख्य न्यायाधीशों तथा न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में प्रोन्नत किया गया।

उच्च न्यायालयों में 2016 में रिकॉर्ड 126 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गयी थी।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर निचली अदालतों के लिए न्यायिक अधिकारियों की भर्ती के लिहाज से अखिल भारतीय न्यायिक सेवा गठित करने की सरकार की योजना को राज्यों और उच्च न्यायालयों से लगातार अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है।

आठ राज्य इस सेवा के गठन के पक्ष में नहीं हैं, जबकि दो ने इस विचार का समर्थन किया है। जहां तक उच्च न्यायालयों की बात है, दो न्यायिक सेवा के गठन के पक्ष में हैं और 13 पक्ष में नहीं हैं, वहीं छह उच्च न्यायालय प्रस्ताव में संशोधन चाहते हैं और दो ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

सरकार के विचार से समुचित तरीके से गठित अखिल भारतीय न्यायिक सेवा समग्र न्याय प्रदाय प्रणाली को मजबूत करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इससे उचित अखिल भारतीय वरीयता आधारित चयन प्रणाली के माध्यम से योग्य नयी कानूनी प्रतिभाओं को शामिल करने तथा समाज के वंचित वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व के साथ सामाजिक समावेश के मुद्दे पर भी ध्यान देने का अवसर मिलेगा।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने कुछ दिन पहले सरकार को ‘भारतीय राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण’ (एनजेआईएआई) गठित करने का प्रस्ताव भेजा था। प्रस्तावित इकाई द्वारा अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी संरचना के बंदोबस्त का प्रावधान है। प्रस्ताव के अनुसार इस प्राधिकरण का एक संचालक मंडल होगा जिसमें सीजेआई प्रधान संरक्षक होंगे।

प्रस्ताव की अन्य मुख्य विशेषताओं में प्राधिकरण द्वारा भारतीय अदालत प्रणाली के लिए कार्यशील अवसंरचना की योजना, सृजन, विकास, रख-रखाव और प्रबंधन के लिए रूपरेखा तैयार करने वाली केंद्रीय इकाई के रूप में काम करना शामिल है। यह देश के सभी 25 उच्च न्यायालयों के तहत एक समान ढांचे के रूप में भी काम करेगा। फिलहाल न्यायपालिका के लिए बुनियादी संरचना सुविधाओं के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।

राज्य सरकारों के संसाधनों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार जिला तथा अधीनस्थ अदालतों में अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को लागू कर रही है। इसके लिए राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को निर्दिष्ट धन साझेदारी प्रारूप में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।

केंद्र सरकार ने आज तक इस योजना के तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को 8,709.77 करोड़ रुपये स्वीकृत किये हैं।

निर्वाचन आयोग देश में चुनाव सुधारों पर जोर दे रहा है और इसके लिए संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पारित किया जा चुका है जिसके अनुसार निर्वाचन आयोग मतदाताओं की आधार कार्ड संख्या को मतदाता सूची से स्वैच्छिक आधार पर जोड़ सकता है।

विधेयक के अनुसार मतदाता कानून को सैनिक मतदाताओं के लिए लैंगिक रूप से तटस्थ बनाया गया है। विधेयक के एक अन्य प्रावधान के अनुसार 18 साल का होने पर युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति होगी। अभी तक हर साल एक जनवरी को या उससे पहले 18 साल का होने पर ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराया जा सकता है।

राज्यसभा में मध्यस्थता पर एक विधेयक पेश किया गया जिसे संसदीय समिति को भेजा गया है। विधेयक में नियमित अदालतों के काम का बोझ कम करने के लिए वैकल्पिक विवाद निवारण प्रणाली को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है।

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Web Title: 2021: Parliament approves election reform bill, 120 new judges appointed in high courts

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