कोरोना के बाद महाराष्ट्र में नई आफत, चमगादड़ों में मिला निपाह वायरस, नहीं है इसका कोई इलाज
By वैशाली कुमारी | Published: June 23, 2021 10:13 AM2021-06-23T10:13:56+5:302021-06-23T10:13:56+5:30
शोधकर्ताओं ने अध्ययन करने के लिए मार्च 2020 में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की एक गुफा से रौसेटस लेशेनौल्टी (मध्यम आकार के फल खाने वाले चमगादड़) और पिपिस्ट्रेलस पिपिस्ट्रेलस (छोटे कीटभक्षी चमगादड़) को पकड़ा था ।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पहली बार चमगादड़ की दो प्रजातियों में निपाह वायरस (NiV) और इसके खिलाफ एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाया है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन करने के लिए मार्च 2020 में महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की एक गुफा से रौसेटस लेशेनौल्टी (मध्यम आकार के फल खाने वाले चमगादड़) और पिपिस्ट्रेलस पिपिस्ट्रेलस (छोटे कीटभक्षी चमगादड़) को पकड़ा था । इस बात की जानकारी जर्नल ऑफ इंफेक्शन एंड पब्लिक हेल्थ में "डिटेक्शन ऑफ पोटेंशियल निपाह वायरस इंफेक्शन इन राउसेटस लेशेनौल्टी एंड पिपिस्ट्रेलस पिपिस्ट्रेलस बैट इन महाराष्ट्र, इंडिया" शीर्षक वाले अध्ययन प्रकाशित हुई है।
चमगादड़ के खून , गले और मलाशय के स्वाब के नमूने साइट पर एकत्र किए गए थे। बाद में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR- NIV), पुणे में प्रत्येक प्रजाति के 10 डेड चमगादड़ों पर एक टेस्ट किया गया था। प्रत्येक R leschenaultii (लेशेनौल्टी) और P pipistrelus (पिपिस्ट्रेलस) प्रजातियों के एक चमगादड़ के नमूनों का NiV RM और एंटी-NiV IgG एंटीबॉडी के लिए पाजिटिव टेस्ट किया गया, जबकि कई अन्य नमूनों में केवल एंटीबॉडी पाए गए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिक और लेखकों में से एक डॉ प्रज्ञा यादव ने बताया कि महाराष्ट्र के चमगादड़ों में NiV संक्रमण की यह पहली रिपोर्ट है। NiV RNA और एंटीबॉडी की उपस्थिति सबसे पहले बड़े फल खाने वाले चमगादड़ों में पाई गई जिन्हें Pteropus medius bats कहा जाता है। Pteropus medius चमगादड़ से भिन्न होते हैं, चमगादड़ों और मनुष्यों दोनों में अधिक शोध से महाराष्ट्र में निपाह वायरस की उपस्थिति को समझने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि जिस चमगादड़ का नमूना लिया गया था वह काफी पुराना था। हो सकता है कि वायरस निम्न स्तर पर घूम रहा हो और पहले के अध्ययनों के दौरान इसका पता न चला हो।वैकल्पिक रूप से, R leschenaultii चमगादड़ों को Pteropus medius चमगादड़ से निकले वायरस के लिए पेश किया जा सकता था क्योंकि दोनों एक ही पेड़ के फल शेयर करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NiV को शीर्ष 10 प्राथमिकता-सूची रोगजनकों में से एक के तौर पर वर्गीकृत किया है। अब तक, भारत में निपाह वायरस के चार प्रकोप हुए हैं, जिनमें सीएफआर 65 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक है। निपाह वायरस का पहला प्रकोप 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जिले में हुआ था, उसके बाद 2007 में बंगाल के नादिया जिले में इसका प्रकोप हुआ था। बाद में, तीसरा और चौथा प्रकोप केरल के कोझीकोड जिले में 2018 और 2019 में हुआ था।