1984 सिख विरोधी दंगेः सज्जन कुमार के मामले की 17 परतें, अब जाकर मिली उम्रकैद
By स्वाति सिंह | Published: December 17, 2018 12:36 PM2018-12-17T12:36:03+5:302018-12-17T12:36:03+5:30
दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
1984 के सिख-विरोधी दंगों के एक मामले में सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए पांच आरोपियों को भी दोषी करार दिया। सज्जन कुमार को आपराधिक षडयंत्र रचने, हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली छावनी के राजपुर में हुई हिंसा के एक मामले में पांच लोगों की मौत से जुड़े इस केस में अप्रैल, 2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था।
जानें क्या है सज्जन कुमार पर पूरा मामला?
31 अक्टूबर, 1984: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही दो शरीर रक्षकों ने गोली मार दी।
नवंबर 1-2: सज्जन कुमार का मामला दिल्ली के छावनी क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से जुड़ा है। दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।
2000: दंगों से संबंधित मामलों की जांच के लिए जीटी नानावटी आयोग का गठन हुआ।
दिसंबर 2002: सिख दंगों के मामलों में से सज्जन कुमार को न्यायालय ने बरी कर दिया।
24 अक्टूबर, 2005: सीबीआई ने जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर एक और मामला दर्ज किया।
13 जनवरी, 2010: सीबीआई द्वारा फाइल चार्ज शीट को तीस हजारी कोर्ट से दिल्ली के कड़कड़ड्यूमा कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।
1 फरवरी, 2010: कोर्ट ने सज्जन कुमार, बलवान खोकर, महेंद्र यादव, कप्तान बागमल, गिरधर लाल, कृष्ण खोकर, स्वर्गीय महा सिंह और संतोष रानी के खिलाफ आरोपी के रूप में नामांकित किया।
8 फरवरी: दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ वकील आर एस चीमा को विशेष लोकअभियोजक नियुक्त किया और छह महीने के भीतर कार्यवाही समाप्त करने के लिए परीक्षण का निर्देश दिया।
15 फरवरी: ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
17 फरवरी: अदालत ने कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया।
23 फरवरी: सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि सज्जन कुमार को नॉन-ट्रेसेबल है। कुमार ने सीबीआई निदेशक को कुमार की गिरफ्तारी और निगरानी रखने का निर्देश दिया।
26 फरवरी: हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को अग्रिम जमानत दे दी।
15 मई: ट्रायल कोर्ट ने कुमार पर हत्या, डकैती और छह समुदायों के खिलाफ विभिन्न समुदायों, आपराधिक षड्यंत्र और आईपीसी के अन्य वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
1 जुलाई: सीबीआई ने 17 गवाहों के बयान दर्ज करना किया।
16 अप्रैल: कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रखा।
30 अप्रैल 2013 : कोर्ट ने राजपुर में हुई हिंसा के एक मामले में पांच लोगों की मौत से जुड़े इस केस में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। जबकि, बलवान खोकर, गिरधर लाल और कप्तान भागमल को धारा 302 आईपीसी के तहत हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया था। वहीं, महेंद्र यादव और किशन खोकर केवल दंगों के अपराध के लिए दोषी ठहराया था।
17 दिसंबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए गए पांच आरोपियों को भी दोषी करार दिया।