1984 Anti-Sikh Riots Case: 1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या?, पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद

By सतीश कुमार सिंह | Updated: February 25, 2025 15:18 IST2025-02-25T14:56:00+5:302025-02-25T15:18:03+5:30

1984 Anti-Sikh Riots Case: दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 12 फरवरी को 1 नवंबर, 1984 को सरस्वती विहार इलाके में एक पिता और एक बेटे की हत्या का दोषी ठहराया था।

1984 Anti-Sikh Riots Case Ex-Congress MP Sajjan Kumar Says 'No Ground For Death Penalty' Murder Jaswant Singh son Tarundeep Singh November 1, 1984 | 1984 Anti-Sikh Riots Case: 1 नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या?, पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद

1984 Anti-Sikh Riots Case

Highlights1984 Anti-Sikh Riots Case: जसवन्त सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी थी। 1984 Anti-Sikh Riots Case: घातक हथियारों से लैस एक भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगाया गया था।1984 Anti-Sikh Riots Case: शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी और अभियोजन पक्ष ने कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी।

1984 Anti-Sikh Riots Case: 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान पिता-पुत्र की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार ने तर्क दिया है कि उनके खिलाफ मौत की सजा का कोई आधार नहीं है। कुमार ने कहा कि वह लगभग 80 वर्ष के हैं और उन्होंने 2018 से सलाखों के पीछे अच्छा आचरण दिखाया है, जब उन्हें दिल्ली कैंट में एक अन्य सिख विरोधी दंगा मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कुमार ने यह भी कहा कि कारावास के दौरान उन्होंने कभी भी छुट्टी या किसी अन्य उपाय का इस्तेमाल नहीं किया।

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 12 फरवरी को 1 नवंबर, 1984 को सरस्वती विहार इलाके में एक पिता और एक बेटे की हत्या का दोषी ठहराया था। भीड़ ने सरस्वती इलाके में हमला कर जसवन्त सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी थी। लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्तियों को नष्ट करने में घातक हथियारों से लैस एक भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप लगाया गया था।

1984 सिख विरोधी दंगा मामला: पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा

दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े हत्या के एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की कथित हत्या के मामले में यह फैसला सुनाया। इस संबंध में विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है।

अदालत ने 12 फरवरी को कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा वाले मामलों में ऐसी रिपोर्ट के अनुरोध के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तिहाड़ केंद्रीय जेल से कुमार के मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन पर रिपोर्ट मांगी। हत्या के अपराध में अधिकतम सजा मृत्युदंड होती है, जबकि न्यूनतम सजा आजीवन कारावास होती है।

शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी और अभियोजन पक्ष ने कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी। कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। पंजाबी बाग थाने ने इस संबंध में मामला दर्ज किया था हालांकि बाद में एक विशेष जांच दल ने जांच अपने हाथ में ले ली। अदालत ने 16 दिसंबर, 2021 को कुमार के खिलाफ आरोप तय किए और उनके खिलाफ ‘‘प्रथम दृष्टया’’ मामला पाया।

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि घातक हथियारों से लैस एक बड़ी भीड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का बदला लेने के लिए बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों की संपत्ति को नष्ट किया। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि भीड़ ने शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी के घर पर हमला किया, जिसमें सामान लूटने और उनके घर को आग लगाने के अलावा पुरुषों की हत्या कर दी गई।

कुमार पर मुकदमा तब चलाया गया जब अदालत ने ‘‘प्रथम दृष्टया इस राय के पक्ष में पर्याप्त सामग्री पाई कि वह न केवल एक भागीदार थे, बल्कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व भी किया था’’। हिंसा और उसके बाद की घटनाओं की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार दंगों के संबंध में दिल्ली में 587 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, जिसमें 2,733 लोग मारे गए थे।

इनमें लगभग 240 प्राथमिकी को पुलिस ने ‘‘अज्ञात’’ बताकर बंद कर दिया और 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए। 587 प्राथमिकी में से केवल 28 मामलों में ही सजा हुई और लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।

उस वक्त एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद रहे कुमार पर 1984 में एक और दो नवंबर को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में आरोप लगाया गया था। इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। कुमार को बरी किए जाने के अनुरोध और आजीवन कारावास के खिलाफ दो याचिकाएं क्रमशः दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।

Web Title: 1984 Anti-Sikh Riots Case Ex-Congress MP Sajjan Kumar Says 'No Ground For Death Penalty' Murder Jaswant Singh son Tarundeep Singh November 1, 1984

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