लाइव न्यूज़ :

महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठः वाल्मीकि मंदिर में सहेज कर रखी गयी हैं बापू से जुड़ी यादें

By भाषा | Updated: October 1, 2019 20:21 IST

महर्षि वाल्मीकि मंदिर में बायें तरफ गांधीजी का कमरा है। बापू अप्रैल 1946 से जून 1947 के बीच 214 दिन यहां ठहरे थे। मंदिर की देखरेख करने वाले एक सहायक कृष्ण शाह विद्यार्थी ने बताया कि गांधीजी की 150 वीं जयंती के पहले ‘बापू आवास’ को सजाया गया है और रंगरोगन किया गया है।

Open in App
ठळक मुद्देदिल्ली के वाल्मीकि मंदिर परिसर के एक कमरे में महात्मा गांधी रूके थे । उनका चरखा, मेज, लकड़ी से बना कलम स्टैंड, आसन और बिस्तर वैसा ही है, जैसा उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था।

दिल्ली के वाल्मीकि मंदिर परिसर के एक कमरे में महात्मा गांधी रूके थे । उस बात को 72 साल बीत चुके हैं लेकिन उनसे जुड़ी यादों को आज भी उसी तरह संजो कर रखा गया है। उनका चरखा, मेज, लकड़ी से बना कलम स्टैंड, आसन और बिस्तर वैसा ही है, जैसा उन्होंने इसका इस्तेमाल किया था।

महर्षि वाल्मीकि मंदिर में बायें तरफ गांधीजी का कमरा है। बापू अप्रैल 1946 से जून 1947 के बीच 214 दिन यहां ठहरे थे। मंदिर की देखरेख करने वाले एक सहायक कृष्ण शाह विद्यार्थी ने बताया कि गांधीजी की 150 वीं जयंती के पहले ‘बापू आवास’ को सजाया गया है और रंगरोगन किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बुधवार की सुबह प्रार्थना और कीर्तन होगा और बाद में इस अवसर पर एक मार्च का आयोजन होगा ।’’ मंदिर के दायें तरफ एक एकड़ का भूखंड है। यहीं पर गांधीजी ने सभा की थी। आज यहां पर परिंदों का जुटान रहता है। वाल्मीकि सत्संग शिक्षा केंद्र मंडल के एक सदस्य हितेश वाल्मीकि ने बताया कि बहुत लोगों को पता नहीं है कि गांधीजी यहां 200 से ज्यादा दिन ठहरे थे।

बापू आवास के भीतर दिनेश वाल्मीकि ने दीवार के एक हिस्से की ओर इशारा किया, जहां का रंग काला है । उन्होंने कहा, ‘‘यह गांधीजी का ब्लैकबोर्ड था। वह पास की वाल्मीकि कॉलोनी के 60-70 बच्चों को अंग्रेजी-हिंदी सिखाते थे। उनका आसन, मेज, चरखा, लकड़ी का कलम स्टैंड आज भी उसी तरह से मौजूद है।’’ ब्लैकबोर्ड के नीचे छोटे से बिस्तर पर गांधीजी की एक तस्वीर लगी है।

बिस्तर को सफेद चादर से लपेट कर रखा गया है। दीवार पर जवाहरलाल नेहरू, लार्ड माउंटबेटन, वल्लभभाई पटेल आदि नेताओं के साथ उनकी तस्वीरें लगी हुई हैं । एक अन्य हिस्से में महर्षि वाल्मीकि, पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायणन और 2014 में मंदिर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगी हुई है । 96 साल के राम कृष्ण पालीवाल बताते हैं, ‘‘ गांधी जी समुदाय के लोगों के साथ बेहद घुलमिल गए थे । दूसरे लोग बस्ती के लोगों को अछूत मानते थे लेकिन गांधी उनके हाथों का बना खाना खाते थे।’’ वह बताते हैं, ‘‘मुझे याद है, गांधीजी झाडू से अपना आंगन बुहारते थे ।उनकी दो बकरियां भी थीं जो मैदान में चरती रहती थीं और हम वहीं पर खेलते रहते थे।’’ 

टॅग्स :महात्मा गाँधी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतराहुल गांधी नहीं हो सकते जननायक?, तेज प्रताप यादव ने कहा-कर्पूरी ठाकुर, राम मनोहर लोहिया, डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी में कैसे शामिल कर सकते

कारोबारMake In India: आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए लौटना होगा स्वदेशी की ओर, स्वदेशी 2.0 का समय

भारतGandhi Jayanti 2025: पीएम मोदी ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को किया नमन, कहा, 'हम उनके बताए रास्ते पर चलते रहेंगे'

भारतGandhi Jayanti 2025: महात्मा गांधी की लिखी ये किताबें, जो हर भारतीय को जरूर पढ़नी चाहिए

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत