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103 बरस की मन कौर ने 93 की उम्र में शुरू की प्रैक्टिस, जोश अब भी युवाओं जैसा, अंतिम सांस तक चाहती हैं दौड़ना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 15, 2020 14:40 IST

2011 में उन्होंने अमेरिका के सेक्रमेंटो में हुई वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में 100 और 200 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते। उन्हें 2011 में एथलीट ऑफ द ईयर घोषित किया गया। इसके बाद तो उन्हें जीत का स्वाद ऐसा लगा कि 2012 में उन्होंने ताइवान में हुई एशियन मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।

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ठळक मुद्देनारी शक्ति सम्मान को अपने जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानने वाली मन कौर का कहना है कि अच्छा खाकर और अच्छा सोचकर ही अपने जीवन को स्वस्थ और अच्छा बनाया जा सकता हैमन कौर के तीन बच्चों में सबसे बड़े गुरदेव खुद एक एथलीट हैं और विभिन्न स्पर्धाओं में पदक जीत चुके हैं

नई दिल्ली: मन कौर नाम है उस महिला का, जिन्होंने वास्तव में यह साबित किया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। उन्होंने बताया कि व्यक्ति का हौसला अगर बुलंद हो तो 93 साल की उम्र में न सिर्फ दौड़ सकते हैं बल्कि दुनिया में अपनी जीत का परचम भी लहराना मुमकिन है। महिला दिवस पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित बेबे मन कौर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान प्रेरणास्रोत बताया है। मन कौर अन्तरराष्ट्रीय स्प्रिंटर हैं और विश्व स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने आयु वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं।

आज से 10 बरस पहले 93 साल की उम्र में पहली बार ट्रैक पर उतरी मन कौर आज 103 वर्ष की हैं और आज भी उसी जोश-ओ-खरोश के साथ पटियाला स्थित पंजाब विश्वविद्यालय के परिसर में प्रैक्टिस करती दिखाई देती हैं। मन कौर के तीन बच्चों में सबसे बड़े गुरदेव खुद एक एथलीट हैं और विभिन्न स्पर्धाओं में पदक जीत चुके हैं। उन्होंने भाषा से बातचीत में बताया कि वह अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान देखते थे कि विदेशों में महिलाएं अधिक उम्र में भी फिट रहती हैं। उन्होंने देखा कि 90 की उम्र पार करने के बावजूद उनकी मां भी बहुत फिट थीं इसलिए उन्होंने उन्हें दौड़ने के लिए प्रेरित किया। पुत्र की बात मानकर उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में प्रैक्टिस शुरू की। चलने से शुरूआत कर उन्होंने धीरे धीरे रफ्तार बढ़ाना शुरू किया और विभिन्न स्पर्धाओं में अपनी आयु वर्ग में भाग लेने लगीं।

गुरदेव बताते हैं कि 2011 में उन्होंने अमेरिका के सेक्रमेंटो में हुई वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में 100 और 200 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते। उन्हें 2011 में एथलीट ऑफ द ईयर घोषित किया गया। इसके बाद तो उन्हें जीत का स्वाद ऐसा लगा कि 2012 में उन्होंने ताइवान में हुई एशियन मास्टर्स एथलेटिक चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। वह हर वर्ष इन स्पर्धाओं में भाग लेते लेते हुए आज 30 से अधिक पदक अपने नाम कर चुकी हैं। विभिन्न सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए महिलाओं की सबसे बड़ी दौड़ ‘‘पिंकथोन’’ के आयोजक और फिल्म अभिनेता मिलिंद सोमण ने मन कौर की उपलब्धियों को अद्भुत करार देते हुए बताया कि जिस उम्र में लोग अपनी जिंदगी के सफर का अंत मान लेते हैं, उस उम्र में इन्होंने न सिर्फ दौड़ना शुरू किया, बल्कि विश्व स्पर्धाओं में देश का परचम भी लहराया। सोमण के अनुसार, यही कारण है कि उन्होंने मन कौर को पिंकथोन का शुभंकर :मस्कट: बनाया है।

नारी शक्ति सम्मान को अपने जीवन की एक बड़ी उपलब्धि मानने वाली मन कौर का कहना है कि अच्छा खाकर और अच्छा सोचकर ही अपने जीवन को स्वस्थ और अच्छा बनाया जा सकता है। वह घर के बने खाने को सबसे अच्छा बताती हैं। उनका कहना है कि वह अपनी अंतिम सांस तक दौड़ते रहना चाहती हैं क्योंकि दौड़ने से उन्हें बहुत खुशी मिलती है। पुरस्कार के रूप में उन्हें एक प्रमाणपत्र और दो लाख रूपए प्रदान किए गए। उन्हें मिले पत्र में कहा गया है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में उनके असाधारण योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 2019 का नारी शक्ति पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। पुरस्कार लेने के लिए तेज कदमों के साथ राष्ट्रपति की तरफ बढ़ती मन कौर के हावभाव इस बात की गवाही दे रहे थे कि वह अभी रूकने वाली नहीं हैं। 

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