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Year Ender 2018: भारतीय हॉकी टीम के हाथों से खिताब फिसलते रहे, सुनहरे मौके गंवाने की दास्तान रहा गुजरा साल

By भाषा | Updated: December 29, 2018 11:03 IST

Indian Hockey Team: भारतीय हॉकी के लिए 2018 का साल उतार-चढ़ाव से भरा रहा, कई खिताब के करीब पहुंचने के बावजूद ज्यादा मौके गंवाए

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नई दिल्ली, 29 दिसंबर: चार बड़े टूर्नामेंट और चारों में भारतीय हॉकी टीम खिताब की प्रबल दावेदार लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। साल बदलते चले गए लेकिन हार पर कोच या खिलाड़ियों को बदलने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा और वर्ष 2018 में दुनिया की शीर्ष पांच टीमों में शुमार होने के बावजूद भारतीय हॉकी बड़े खिताब को तरसती रही।

राष्ट्रमंडल खेलों में पिछले दो बार की उपविजेता रही भारतीय हॉकी टीम इस बार खाली हाथ लौटी। वहीं एशियाई खेलों में स्वर्ण गंवाकर कांसे के तमगे से संतोष करना पड़ा। सारी उम्मीदें अब साल के आखिर में अपनी सरजमीं पर हॉकी के नये गढ़ भुवनेश्वर में हुए विश्व कप पर आन टिकी लेकिन पूल चरण में पदक की उम्मीद जगाने के बाद मेजबान टीम क्वॉर्टर फाइनल में हार गई। चैंपियंस ट्रॉफी में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बावजूद भारत को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। महिला टीम ने जरूर बेहतर प्रदर्शन के साथ एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी और एशियाई खेलों में रजत पदक जीता लेकिन कोई खिताब अपने नाम नहीं कर सकी। 

हार के बाद कोचों पर गाज गिरने की कहानी कोई नयी नहीं है। जोस ब्रासा से रोलेंट ओल्टमेंस तक यही कहानी दोहराई जाती रही और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक नहीं जीत पाने के बाद शोर्ड मारिन को फिर महिला टीम की बागडोर सौंप दी गई जबकि हरेंद्र सिंह पुरूष टीम के मुख्य कोच बने। मारिन को ओल्टमेंस की बर्खास्तगी के बाद पुरूष टीम का कोच बनाया गया था और हरेंद्र महिला टीम के कोच बने थे। 

खिलाड़ियों को बदलते रहने का भुगतना पड़ा खामियाजा

विश्व कप से ठीक पहले अपने सबसे अनुभवी खिलाड़ी मिडफील्डर सरदार सिंह को टीम से बाहर करने का फैसला भी अजीब रहा जबकि फारवर्ड एस वी सुनील चोट के कारण पहले ही टीम में नहीं थे। सरदार को साल के पहले हाफ में अजलन शाह कप में कप्तान बनाया गया लेकिन उसमें पदक नहीं जीत पाने के बाद उन्हें टीम से बाहर करके मनप्रीत सिंह को कमान सौंपी गई। फिर चैंपियंस ट्रॉफी में सरदार की वापसी हुई लेकिन फिर एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में मौका नहीं दिये जाने के बाद सरदार ने विवादास्पद हालात में हाकी को अलविदा कह दिया।

दुनिया की पांचवें नंबर की टीम बनी भारतीय पुरूष हॉकी टीम चैंपियंस ट्रॉफी में अर्जेंटीना को हराने के अलावा शीर्ष चार में से किसी टीम को बड़े टूर्नामेंट में मात नहीं दे सकी। एक बार फिर एशियाई स्तर से ऊपर जीत दर्ज नहीं कर पाने की उसकी कमजोरी जाहिर हुई। सिर्फ कोचों की नहीं खिलाड़ियों को भी बार बार अंदर बाहर किये जाने से टीम में स्थिरता का अभाव नजर आया। विश्व कप चैंपियन बेल्जियम की टीम में 19 में से 12 खिलाड़ी ऐसे थे जिन्होंने 150 या अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेले लेकिन भारतीय टीम में ऐसे महज छह खिलाड़ी थे। 

साल का आगाज फरवरी में अजलन शाह कप से हुआ जिसमें मलेशिया (5-1) पर मिली एकमात्र जीत और इंग्लैंड से ड्रॉ के बाद भारत पांचवें स्थान पर रहा। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल (2010) और मेलबर्न खेलों (2014) में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम गोल्ड कोस्ट में कोई पदक नहीं जीत सकी। उसे कांस्य पदक के प्लेआफ मुकाबले में इंग्लैंड ने हराया। 

जून में जर्मनी के ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने उसे शूटआउट में 3-1 से शिकस्त दी। भारत ने इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान को 4-0 , दुनिया की नंबर एक टीम अर्जेंटीना को 2-1 से हराया और तीसरी रैंकिंग वाली बेल्जियम को 1-1 से ड्रॉ पर रोका जबकि आस्ट्रेलिया से 2-3 से हार गया। 

एशियन गेम्स के सेमीफाइनल में मिली मलेशिया से हार

जकार्ता और पालेमबांग में एशियाई खेलों में भारत खिताब बरकरार रखने में नाकाम रहा और तोक्यो ओलंपिक के लिये सीधे क्वॉलिफाई नहीं कर सका। लीग चरण में भारत ने इंडोनेशिया को 17-0, जापान को 8 -0 से, हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से और श्रीलंका को 20-0 से हराकर पदक की उम्मीद जगाई। लेकिन उसे सेमीफाइनल में मलेशिया ने शूटआउट में 7-6 से हराया और टीम को कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा। अब ओलंपिक का टिकट कटाने के लिये उसे क्वॉलिफाइंग दौर से गुजरना होगा। 

महिला टीम भी नहीं दिखा पाई कमाल

ओमान में एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में फाइनल में बारिश के बाद भारत और पाकिस्तान को संयुक्त विजेता घोषित किया गया।  महिला टीम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक के प्लेआफ मुकाबले में इंग्लैंड से 6-0 से हार गई। उसने हालांकि पूल चरण में इसी इंग्लैंड टीम को 2-1 से हराया था। 

एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम ने रजत पदक जीता। वहीं एशियाड में इंडोनेशिया (8-0), थाईलैंड (5-0), कजाखस्तान (21-0) और चीन (1-0) को हराने वाली भारतीय टीम फाइनल में जापान से 2-1 से हार गई।  लंदन में जुलाई अगस्त में हुए विश्व कप में भारतीय टीम क्वॉर्टर फाइनल में शूटआउट में आयरलैंड से 3-1 से हार गई थी। 

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