Sports Flashback: करारी हार ने उड़ाई थी ध्यानचंद की नींद, ओलंपिक में गोल्ड जीतकर लिया बदला

By अभिषेक पाण्डेय | Published: April 11, 2018 07:25 AM2018-04-11T07:25:22+5:302018-04-11T07:25:22+5:30

हिटलर की ध्यानंचद से मुलाकात के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। हिटलर ने ध्यानचंद से जर्मनी के लिए खेलने का ऑफर रखा था।

major dhyan chand greatest player hat trick goals helped india win 1936 berlin olympic final | Sports Flashback: करारी हार ने उड़ाई थी ध्यानचंद की नींद, ओलंपिक में गोल्ड जीतकर लिया बदला

Major Dhyan Chand

Highlightsहॉकी की दुनिया के जादूगर कहे जाते हैं मेजर ध्यानचंदध्यानचंद के शानदार खेल से भारत ने हिटलर के सामने जर्मनी को 8-1 से हरायाहिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी के लिए खेलने का दिया था ऑफर

नई दिल्ली, 11 अप्रैल: 1936 के बर्लिन ओलंपिक से पहले भारत को एक दोस्ताना मैच में मेजबान जर्मनी के हाथों 4-1 से करारी शिकस्त मिली। इस करारी हार से भारतीय टीम का एक खिलाड़ी पूरी रात सो नहीं सका और कहा, 'जब तक मैं जिंदा रहूंगा, मैं इस मैच को कभी नहीं भूलूंगा.' इस करारी हार के बाद भारत को बर्लिन ओलंपिक के फाइनल में फिर से जर्मनी से भिड़ने का मौका मिला और अब उस भारतीय खिलाड़ी के लिए हिसाब बराबर करने का मौका था।

उस खिलाड़ी ने न सिर्फ हिसाब बराबर किया बल्कि इतने बेहतरीन अंदाज में खेले कि भारतीय टीम ने तानाशाह हिटलर के सामने जर्मनी को उसकी ही धरती पर 8-1 से रौंदते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया। 

इस महान भारतीय खिलाड़ी ने उस ऐतिहासिक फाइनल मैच में 3 गोल दागे और इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया कि हिटलर अपनी टीम को इस कदर हारते हुए नहीं देख पाया और आधे मैच से ही उठकर चला गया। इस महान खिलाड़ी का नाम था मेजर ध्यानचंद, जिनके करिश्माई खेल के कारण उन्हें 'हॉकी का जादूगर' भी कहा जाता है। (और पढ़ें- IPL का सबसे रोमांचक मुकाबला, जब द्रविड़ ने गुस्से में फेंक दी थी अपनी कैप) 

ध्यानचंद के जादू के आगे स्टेडियम में मौजूद 40 हजार लोगों ने झुकाया सिर

दोस्ताना मैच में जर्मनी से मिली 4-1 की करारी शिकस्त से भारतीय टीम इस कदर आहत थी कि ओलंपिक मुकाबलों में अपने सामने आने वाली हर टीम को उसने रौंदते हुए फाइनल में जगह बनाई। जर्मनी से हारने के बाद भारत ने हंगरी को 4-0 से, अमेरिका को 7-0 से और जापान को 9-0 से शिकस्त देते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई और फिर सेमीफाइनल में भी फ्रांस को 10-0 से मात देते हुए शान से फाइनल में प्रवेश किया। फाइनल में भारत के सामने एक बार फिर से मेजबान जर्मनी की टीम थी। 

इस मैच का उस जमाने में इतना क्रेज था कि न सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप से लोग इसे देखने के लिए स्टेडियम पहुंचे थे और दर्शकों को स्टेडियम तक ले जाने के लिए विशेष रेलगाड़ियां चलाई गई थीं। पूरा बर्लिन शहर ध्यानचंद की हॉकी की जादूगरी के चर्चे से पटा पड़ा था। ज्यादातर लोग ध्यानचंद के खेल की चर्चा सुनकर उन्हें खेलते हुए देखने आए थे। खुद तानाशाह हिटलर जर्मनी को जीतते हुए देखने की उम्मीद में स्टेडियम पहुंचा था। लेकिन हिटलर की ये उम्मीद टूटते देर नहीं लगी और जल्द ही वहां मौजूद लगभग 40 हजार दर्शकों को पता हर शख्स को पता चल गया कि ये मैच जर्मनी नहीं बल्कि ध्यानचंद की भारतीय टीम जीत रही है। (और पढ़ें- CWG 2018: हॉकी में पुरुष टीम के बाद महिलाओं ने भी दिखाया दम, 12 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंचीं)

मैच के पहले हाफ में भारतीय टीम कोई गोल नहीं दाग पाई। लेकिन दूसरे हाफ में ध्यानचंद का जादू जर्मनी के सिर चढ़कर बोला। ध्यानचंद के 3 गोलों की बदौलत भारत ने जर्मनी को 8-1 से धूल चटाते हुए यादगार जीत दर्ज की। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ध्यानचंद इस मैच में काफी देर तक नंगे पैर खेले थे और कुछ देर रबड़ की चप्पल पहनकर खेले। इस महान खिलाड़ी के जादुई खेल से हिटलर समेत वहां मौजूद हर शख्स हैरान था। हिटलर तो जर्मनी की हार से इस कदर बौखलाया कि स्टेडियम से उठकर चला गया। हालांकि बाद में वह फिर से भारतीय टीम को मेडल देने के लिए वापस लौटा। 

हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी के लिए खेलने का दिया था ऑफर

हिटलर की ध्यानंचद से मुलाकात के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। हिटलर ने ध्यानचंद से जर्मनी के लिए खेलने का ऑफर रखा और कहा कि वह उन्हें अपनी सेना में कर्नल का पद देंगे। लेकिन ध्यानचंद ने बड़ी ही विनम्रता से इस ऑफर को ठुकरा दिया और कहा कि वह भारतीय सेना के लिए काम करके और भारत के लिए खेलकर बहुत खुश हैं और अपना देश छोड़ने की उनकी कोई इच्छा नहीं है। हालांकि वह हिटलर को न बोलने से पहले काफी डरे हुए थे क्योंकि हिटलर की छवि थी कि वह लोगों को न बोलने पर वहीं गोल मार देता था। हालांकि हिटलर ने इस महान खिलाड़ी की सम्मान किया और उनकी ना को भी कबूल किया। 

भारतीय खेल इतिहास में वैसे तो कई महान खिलाड़ी हुए लेकिन बिना मीडिया लाइमलाइट और करोड़ों-अरबों की चकाचौंध वाले ग्लैमर दुनिया के बिना ही सिर्फ अपने खेल के दम पर दुनिया को मुरीद बनाने  वाले ध्यानचंद जैसा दूसरा कोई और खिलाड़ी नहीं हुआ! (और पढ़ें- Sports Flashback: कहानी सहवाग की उस पारी की, जिसने उन्हें 'मुल्तान का सुलतान' बना दिया)

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