बेल्जियम ने तीन बार की चैंपियन नीदरलैंड्स को फाइनल में पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से हराकर पहली बार हॉकी वर्ल्ड कप का खिताब जीत लिया है। रविवार को ओडिशा के कलिंगा स्टेडियम में खेले गए मैच में निर्धारित समय में कोई गोल न हो पाने के बाद फैसला पेनल्टी शूटआउट में गया।
रियो ओलंपिक की सिल्वर मेडल विजेता बेल्जियम की टीम ने पेनल्टी शूटआउट में 3-2 से जीत हासिल करते हुए पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का गौरव हासिल कर लिया। ये हॉकी वर्ल्ड फाइनल के इतिहास में पहली बार है जब चारों क्वॉर्टर में कोई गोल नहीं हुआ।
पेनल्टी शूटआउट में मुकाबला दोनों टीमों को पांच-पांच पेनल्टी मिलने के बाद भी 2-2 से बराबरी पर था। इसके बाद सडन डेथ में बेल्जियम में निर्णायक गोल दागते हुए मैच 3-2 से अपने नाम कर लिया। इस जीत के साथ ही बेल्जियम ने 2017 के यूरोपियन चैंपियनशिप के फाइनल में नीदरलैंड्स के हाथों मिली हार का बदला भी ले लिया।
बेल्जियम के लिए वॉन अउबेल ने दो गोल जबकि विक्चर वेंगनेज ने एक गोल दागा, जबकि नीदरलैंड्स के लिए जेरोन हर्ट्जबर्गर और जोनास डि गुउस ने एक-एक गोल किए।
नाटकीयता से भरा रहा फाइनल मुकाबला
फाइनल मैच नाटकीयता से भरा रहा। पेनल्टी शूटआउट में जब स्कोर 2-2 से बराबरी पर था और बेल्जियम के पास आखिरी पेनल्टी पर मैच जीतने का मौका था तो उसके लिए आर्थर डि स्लूव ने गोल दाग भी दिया और बेल्जियम के खिलाड़ी जश्न मनाने लगे लेकिन नीदरलैंड्स के गोलकीपर ने इस गोल के सही न होने का दावा किया और रिप्ले से पता चला कि सच में गेंद आर्थर डि स्लूव के पैरों से लगी थी। जिसके बाद मुकाबला सडन डेथ में गया और बेल्जियम के वॉन अउबेल ने गोल दाग दिया लेकिन नीदरलैंड्स के हर्ट्जबर्गर चूक गए और बेल्जियम ने मुकाबला 3-2 से अपने नाम कर लिया।
तीन बार की चैंपियन नीदरलैंड्स की टीम सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी शूटआउट में 4-3 से हराकर फाइनल में पहुंची थी। लेकिन वह लगातार दूसरी बार पाकिस्तान के चार खिताब जीतने का मौका गंवा बैठी। इससे पहले नीदरलैंड्स को 2014 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त मिली थी।