रोज योग करने से स्पर्म की गुणवत्ता होती है बेहतर: AIIMS
By भाषा | Updated: June 10, 2018 18:21 IST2018-06-10T18:21:10+5:302018-06-10T18:21:10+5:30
एम्स के एनाटोमी विभाग के आण्विक प्रजनन और आनुवंशिक की प्रभारी प्रोफेसर डॉक्टर रीमा दादा ने कहा कि डीएनए को किसी प्रकार नुकसान पहुंचने से शुक्राणु की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है।

रोज योग करने से स्पर्म की गुणवत्ता होती है बेहतर: AIIMS
नयी दिल्ली , 10 जून (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन के मुताबिक प्रतिदिन योग करने से शुक्राणु की गुणवत्ता उल्लेखनीय रूप से बेहतर हो जाती है।
एम्स के शरीर रचना विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने यूरोलॉजी एंड ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी विभाग के साथ मिलकर इस साल की शुरुआत में यह अध्यय किया था। इसका प्रकाशन अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल ‘ नेचर रिव्यू जर्नल ’ में किया गया है।
एम्स के एनाटोमी विभाग के आण्विक प्रजनन और आनुवंशिक की प्रभारी प्रोफेसर डॉक्टर रीमा दादा ने कहा कि डीएनए को किसी प्रकार नुकसान पहुंचने से शुक्राणु की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। स्वस्थ बच्चे के जन्म के लिए शुक्राणु में आनुवंशिक घटक की गुणवत्ता सबसे अहम होती है।
ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण डीएनए को नुकसान पहुंचता है। ऑक्सीडेटिव तनाव ऐसी स्थिति है जब शरीर के फ्री रेडिकल लेवल और ऑक्सीजन रोधी क्षमता में असंतुलन पैदा हो जाता है।
पर्यावरण से जुड़े प्रदूषण , कीटनाशकों , विद्युत चुम्बकीय विकिरण के संपर्क में आने , संक्रमण , धूम्रपान , शराब पीने , मोटापे और पौष्टिकता विहीन फास्ट फूड जैसे कई आंतरिक और बाह्य कारणों से ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न होता है।
जीवनशैली में मामूली बदलाव के जरिये इन चीजों को रोका जा सकता है और डीएनए की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
दादा ने कहा कि नियमित तौर पर योग करने से ऑक्सीडेटिव तनाव में कमी आती है , डीएनए क्षति को ठीक करने में मदद मिलती है।
यह अध्ययन 200 पुरूषों में किया गया , जिन्होंने छह माह तक योग किया था।
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