World No Tobacco Day: सिगरेट का एक पैकेट ही काफी है फेफड़ों के कैंसर के लिए, ऐसे पाएं इस गंदी लत से छुटकारा
By उस्मान | Updated: May 31, 2019 07:17 IST2019-05-31T07:17:54+5:302019-05-31T07:17:54+5:30
फेफड़े का कैंसर तंबाकू से प्रभावित बीमारी का सबसे उग्र रूप है, जिसने 67,795 नए मामले सामने आए हैं। भारत में 63,475 लोगों की मौत इसके कारण हुई है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फेफड़े के कैंसर होने की संभावना 4.5 गुना अधिक है।

World No Tobacco Day: सिगरेट का एक पैकेट ही काफी है फेफड़ों के कैंसर के लिए, ऐसे पाएं इस गंदी लत से छुटकारा
तंबाकू का सेवन विश्व स्तर पर होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण है। साथ ही सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका है। हर साल 12 लाख से अधिक लोगों की मौत फेफड़ो के कैंसर से होती है। इसके अलावा, तम्बाकू अन्य गंभीर श्वसन और फेफड़ों की बीमारियों जैसे टीबी, अस्थमा और सीओपीडी के लिए भी जिम्मेदार है। आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस (World No Tobacco Day) जयपुर स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉक्टर दिवेश गोयल आपको तंबाकू और उससे होने वाले नुकसानों की जानकारी दे रहे हैं।
पुरुषों को फेफड़े के कैंसर का अधिक खतरा
फेफड़े का कैंसर तंबाकू से प्रभावित बीमारी का सबसे उग्र रूप है, जिसने 67,795 नए मामले सामने आए हैं। भारत में 63,475 लोगों की मौत इसके कारण हुई है। भारत में फेफड़ों के कैंसर होने के बाद रोगी के जीवनयापन की औसत आयु 54.6 वर्ष है और अधिकांश फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फेफड़े के कैंसर होने की संभावना 4.5 गुना अधिक है।
जागरुकता का अभाव है बड़ी समस्या
धूम्रपान करने वालों की बड़ी तादाद के कारण भारत तम्बाकू से संबंधित बीमारियों का सबसे बड़ा केंद्र है। तंबाकू के सेवन से निकलने वाला धुआं प्रदूषण के मौजूदा उच्च स्तर को और अधिक बढ़ाता है। तंबाकू के कारण निकलने वाला धुआं घर के अंदर के वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है और यह बहुत खतरनाक है: इसमें 7,000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 को कैंसर का कारण माना जाता है।
दस सिगरेट ही काफी हैं कैंसर के लिए
धूम्रपान करने वाले के लिए एक पैकेट सिगरेट से फेफड़े के कैंसर की संभावना 30 से 40 फीसदी तक बढ़ जाती है, जबकि 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में यह 60 से 100 फीसदी तक बढ़ जाती है।
खुद के अलावा, धूम्रपान करने वाले लोगों ने अपने आसपास धूम्रपान न करने वालों के लिए प्रदूषित वातावरण बना दिया है, जिससे आसपास के लोग अप्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान का शिकार हो रहे हैं। अप्रत्यक्ष धूम्रपान, एस्बेस्टस और रेडॉन, विकिरण और वायु प्रदूषकों जैसे कार्सिनोजेनिक विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना फेफड़े का कैंसर होने का अन्य कारक है।
गर्भवती महिलाओं को खतरा
हालांकि भारत में पुरुषों की तुलना में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या इसलिए सामने आती है क्योंकि वे अक्सर अप्रत्यक्ष धूम्रपान, खाना पकाने और जरूरत के लिए प्रयोग किये जाने वाले अन्य जीवाश्म ईंधन के प्रयोग के कारण इसकी चपेट में आ जाती हैं। अप्रत्यक्ष धूम्रपान बच्चों को भी प्रभावित करता है, यहां तक कि अजन्मे बच्चे और उम्रदराज लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं।
बच्चों को भी खतरा
विश्व स्तर पर, अनुमानित 1,65,000 बच्चे अप्रत्यक्ष धू्म्रपान के कारण निम्न श्वसन संक्रमण का शिकार हो जाते है जिससे 5 वर्ष की आयु से पहले वे मर जाते हैं। जो बच्चे इसकी चपेट में आने के बाद बच जाते हैं उम्र बढ़ने के साथ वे इसके जोखिम परिणामों के साथ जीवनयापन करते हैं, क्योंकि बचपन में लगातार निम्न श्वसन संक्रमण से वयस्क होने पर सीओपीडी विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
फेफड़े के कैंसर का निदान और उपचार
फेफड़े के कैंसर के लक्षण समान्यता काफी समय तक दिखाई नहीं देते जब तक की कैंसर गंभीर अवस्था में न पहुंच जाये। फेफड़े के कैंसर के कुछ सबसे आम लक्षण हैं- खांसी, सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, वजन कम होना और भूख कम लगना। निदान के लिए, डॉक्टर रक्त परीक्षण, सीने का एक्स-रे, पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी स्कैन), सीटी स्कैन और बायोप्सी का सुझाव दे सकते हैं।
परिणामों के आधार पर समस्या जितनी गंभीर होती है, उनका उपचार आमतौर पर 3 चरणों में किया जाता है: जबकि प्रथम चरण मुख्य रूप से सर्जरी के जरिये कैंसर कोशिकाओं को हटाने की पेशकश करता है, दूसरे चरण में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं। तीसरे चरण में, डॉक्टर कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और अन्य उपचार का सुझाव देते हैं।
बचाव है जरूरी
हालांकि, एहतियाती उपाय करने से फेफड़े के कैंसर के खतरों से बचने में मदद मिल सकती है। रोजमर्रा के आधार पर लक्ष्य निर्धारित करें और नियमित रूप से व्यायाम करें। शारीरिक गतिविधि करने से फेफड़े के कैंसर के खतरे में लगभग 20 प्रतिशत की कमी आ सकती है- यह फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार और अन्य बीमारियों के खतरे को भी कम करने के लिए जाना जाता है। धूम्रपान करना बंद करें और अप्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान के संपर्क में आने से बचें।
डाइट का रखें विशेष ध्यान
फलों और सब्जियों से भरपूर आहार के साथ नियमित रूप से खुद को अधिक सक्रिय रखें। यदि आप 55 वर्ष से अधिक उम्र के हैं तो नियमित रूप से जांच करायें, आप 30-पैक-ईयर धूम्रपान इतिहास (आपके द्वारा धूम्रपान किए गए वर्षों की संख्या से गुणा किए गए सिगरेट के पैक की संख्या) का भी चयन कर सकते हैं, यदि आप अब भी धूम्रपान कर रहे हैं या पिछले 15 साल से छोड़ दिया है तब वर्तमान में आपका स्वास्थ्य अच्छा माना जा सकता है।


