हर साल 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनेट डे मनाया जाता है। साल 2004 में शुरू हुए इस कार्यक्रम का मकसद सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और जीवन बचाने वाले रक्त दाताओं का आभार जताना है। वर्ल्ड ब्लड डोनर डे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा चिह्नित आठ आधिकारिक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। ब्लड डोनेशन हर साल लाखों लोगों का जीवन बचाता है। ब्लड डोनेट करने से थैलेसीमिया से पीड़ितों के साथ-साथ मां और शिशु के जीवन को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। हर व्यक्ति को यह जानना जरूरी है कि इंसान का खून बनाया नहीं जा सकता, जो लोग इसे डोनेट करते हैं केवल वही इसका स्रोत होते हैं। इसीलिए हर व्यक्ति को ब्लड डोनेट करना चाहिए। डॉक्टर और एक्सपर्ट हमेशा स्वस्थ लोगों को ही ब्लड डोनेट करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर मानते हैं कि किसी को ब्लड डोनेट करने वाला व्यक्ति स्वस्थ हो और उसकी उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए। जहां तक वजन की बात है, तो 110 पौंड होना चाहिए और उसने पिछले 56 दिनों में ब्लड डोनेट ना किया हो। लेकिन सवाल यह है कि क्या अस्थमा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, एनीमिया जैसे रोगों से पीड़ित लोग भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं? इस विषय को लेकर हमने डॉक्टर अजय लेखी से बात की है, चलिए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।
क्या हाइपरटेंशन के मरीज ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
हाइपरटेंशन से पीड़ित लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं लेकिन ब्लड डोनेट के समय उनका ब्लड प्रेशर नॉर्मल होना चाहिए और कोई अस्थिरता ना हो। रक्त दान के लिए स्वीकार्य ब्लड प्रेशर रेट 180 सिस्टोलिक (प्रथम संख्या) और 100 डायस्टोलिक (दूसरा नंबर) से नीचे है। हाई ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं आपको रक्तदान के लिए अयोग्य ठहराती हैं। इसके अलावा व्यक्ति को हाइपरटेंशन से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित नहीं होना चाहिए। जो लोग नियमित रूप से उपचार पर नहीं हैं और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव से पीड़ित हैं, उन्हें ब्लड डोनेट नहीं करना चाहिए।
क्या डायबिटीज से पीड़ितों को ब्लड डोनेट करना चाहिए?
डायबिटीज से पीड़ित मरीज इस बात को लेकर काफी परेशान रहते हैं कि वे अपना ब्लड किसी और को डोनेट कर सकते हैं या नहीं? कुछ मरीजों को ये डर रहता है कि कहीं उनके ब्लड के कारण वे जिसे डोनेट कर रहे हैं उसे डायबिटीज ना हो जाए। डॉक्टर के अनुसार, वे मरीज जिन्होंने पहले बोवाइन इंसुलिन का इस्तेमाल किया है उन्हें ब्लड डोनेट करने से मना किया जाता है क्योंकि उनसे मैड काऊ डिजीज का खतरा हो सकता है। जबकि अगर डायबिटीज के मरीज को आंखों, किडनी या रक्त धमनियों से जुड़ी कोई समस्या नहीं है तो वे आसानी से अपना ब्लड किसी और को डोनेट कर सकते हैं। अगर आपको फिर भी किसी बात की शंका है तो एक बार डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवा लें।
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क्या एनीमिया से पीड़ितों को ब्लड डोनेट करना चाहिए?
जब आपके ब्लड में लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन की काफी कमी हो जाती है तो ऐसे में आप एनीमिया के शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में ब्लड की थोड़ी भी कमी आपके लिए बहुत नुकसानदायक हो सकती है और यह कदम आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। शरीर में खून की कमी होने से दिमाग, दिल और बाकि ज़रूरी अंगों में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है जिससे वे अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं। ऐसे में अगर आप अपना ब्लड डोनेट करते हैं तो शरीर में खून की भारी कमी हो सकती है जिससे आपकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। एनीमिया का मरीज अगर अपना ब्लड डोनेट करता है तो इसके बाद एनीमिया के लक्षणों में और तेजी आ जाती है जिससे फलस्वरूप उसे तेज थकान और सिरदर्द होने लगता है। एनीमिया का मरीज जब ब्लड डोनेट करता है तो ऐसे में दूसरे मरीज में भी ब्लड ट्रांसमिसिबल डिजीज फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसा बिल्कुल न करें।
क्या अस्थमा से पीड़ितों को ब्लड डोनेट करना चाहिए?
अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति तब तक रक्तदान कर सकते हैं जब तक वह सक्रिय हैं या उन्हें रक्तदान के समय सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं होती। खून का दान करने से पहले सनिश्चित कर लें कि पिछले 2 सप्ताह में आपको अस्थमा के लक्षण मानी जानेवाली समस्याएं महसूस नहीं हुई हों। जब तक व्यक्ति अच्छा और स्वस्थ महसूस कर रहा है, वह रक्त दान कर सकता है। अस्थमा की दवाओं की वजह से रक्तदान में कोई समस्या नहीं आती है। एक अस्थमा के रोगी को रक्त दान करने की अनुमति केवल तब नहीं होती, जब उसे सांस लेने में बहुत अधिक समस्या हो रही हो, बहुत घबराहट हो या असहज महसूस कर रहा हो। ऐसी स्थिति में रक्तदान करने से वह किसी अन्य व्यक्ति के जीवन के लिए भी ख़तरा पैदा कर सकता है क्योंकि रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने की क्षमता कम होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
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क्या एंटीबायोटिक दवाएं खाने वाले लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
कोई व्यक्ति एंटीबायोटिक दवाएं ले रहा होता है, तो वह रक्त दान नहीं कर सकता। लेकिन इस बात पहले डॉक्टर को जरूर पता होना चाहिए कि क्या ब्लड डोनेट करने वाले को कोई बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो ब्लड द्वारा फैल सकता है। कोई व्यक्ति जो इन्फेक्शन के इए मौखिक दवाएं ले रहा था, वो दवाओं का कोर्स पूरा होने के बाद ब्लड डोनेट कर सकता है। इस मामले में व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दवाओं का कोर्स पूरा होने या इन्फेक्शन के लिए लगवाए गए एंटीबायोटिक इंजेक्शन के कम से कम दस दिन बाद ही इस बारे में सोचना चाहिए।
ब्लड डोनेट से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- पर्याप्त नींद जरूर लें- स्वस्थ खाना खाएं- पर्याप्त पानी पिएं- ब्लड डोनेट के बाद इन बातों का रखें ध्यान
ब्लड डोनेट के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- डोनेट से पहले और बाद में तरल चीजें खाएं- आयरन से भरपूर चीजों का सेवन करें- भारी चीज उठाने और एक्सरसाइज से बचें- कमजोरी महसूस होने पर थोड़ा आराम करें
(फोटो- पिक्साबे)