विश्व रक्तदान दिवस: भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी फिर भी रक्तदान में क्यों है काफी पीछे?

By ललित गर्ग | Published: June 14, 2023 12:16 PM2023-06-14T12:16:01+5:302023-06-14T12:18:42+5:30

विश्व रक्तदान दिवस हर साल 14 जून को शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाइन की याद में मनाया जाता है. बहरहाल, बात भारत की करें तो यहां रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है.

World Blood Donation Day: Why is India, the world's largest population, still far behind in blood donation? | विश्व रक्तदान दिवस: भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी फिर भी रक्तदान में क्यों है काफी पीछे?

रक्तदान : नई जिंदगी देने का पुण्य (फाइल फोटो)

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. किसी व्यक्ति के जीवन में रक्तदान के महत्व को समझने के साथ ही रक्तदान करने के लिए आम इंसान को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है.

विश्व रक्तदान दिवस शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाइन की याद में मनाया जाता है. उनका जन्म 14 जून 1868 को हुआ था. उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्लूटीनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों के ए, बी और ओ समूह की पहचान की थी. रक्त के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसी खोज के लिए लैंडस्टाइन को साल 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया था.

भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद रक्तदान में काफी पीछे है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है. यानी करीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल हजारों मरीज दम तोड़ देते हैं. भारत में रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं है. वहीं दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत से आगे हैं. 

नेपाल में कुल रक्त की जरूरत का 90 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है तो श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलैंड में 95 फीसदी, इंडोनेशिया में 77 फीसदी और अपनी निरंकुश हुकूमत के लिए चर्चित म्यांमार में 60 फीसदी हिस्सा स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है. 

रक्तदान करने वाले डोनर के शरीर से केवल 1 यूनिट रक्त ही लिया जाता है. ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया काफी सरल होती है और रक्तदाता को आमतौर पर इसमें कोई तकलीफ नहीं होती है. रक्तदाता का वजन, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, बॉडी टेम्परेचर आदि चीजों के सामान्य पाए जाने पर ही डॉक्टर्स या ब्लड डोनेशन टीम के सदस्य आपका ब्लड लेते हैं. 

Web Title: World Blood Donation Day: Why is India, the world's largest population, still far behind in blood donation?

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे