सबसे ज्यादा मीठा खाती हैं मुंबई की लड़कियां, कारण जान पकड़ लेंगे माथा
By भाषा | Updated: January 7, 2020 11:57 IST2020-01-07T11:57:30+5:302020-01-07T11:57:30+5:30
यह अध्ययन गैर संचारी रोगों को रोकने में मदद करने की दिशा में भारत के लिए काफी मायने रखता है।

सबसे ज्यादा मीठा खाती हैं मुंबई की लड़कियां, कारण जान पकड़ लेंगे माथा
महानगरों, खासतौर पर मुंबई में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक मात्रा में ‘अतिरिक्त चीनी’ उपभोग करती हैं। एक हालिया सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। ‘अतिरिक्त चीनी’ खाने-पीने की चीजों में उनके उत्पादन (औद्योगिक प्रसंस्करण) के दौरान मिलाई जाती हैं, ताकि उनकी मिठास बढ़ाई जा सके।
सर्वेक्षण के मुताबिक पुरुषों में अतिरिक्त चीनी लेने की मात्रा हैदराबाद में सबसे कम है। इस मात्रा को ग्राम प्रतिदिन में मापा गया है। यह सर्वेक्षण इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, हैदराबाद ने किया है। इसमें पाया गया कि सभी महानगरों में चीनी का औसत उपभोग 19.5 ग्राम/प्रतिदिन है, जो आईसीएमआर द्वारा सुझाए गए स्तर 30 ग्राम/प्रतिदिन से कम है। इस सर्वेक्षण को इंटरनेशनल लाइफ साइंसेज इंस्टीट्यूट-इंडिया (आईएलएसए-इंडिया) ने प्रायोजित किया। राष्ट्रीय पोषण निगरानी ब्यूरो ने 2015-16 के दौरान 16 बड़े शहरों से खानपान आंकड़ें जुटाए और निष्कर्ष निकाला।
आईएलएसए-इंडिया के अध्यक्ष पी के सेठ ने कहा कि सर्वेक्षण से प्रदर्शित होता है कि मुंबई और अहमदाबाद की आबादी में अतिरिक्त चीनी उपभोग करने की मात्रा क्रमश: 26.3 ग्राम प्रति दिन और 25.9 ग्राम प्रतिदिन है, जो दिल्ली (23.2 ग्राम प्रतिदिन), बेंगलुरू (19.3 ग्राम प्रतिदिन), कोलकाता (17.1 ग्राम प्रति दिन) और चेन्नई (16.1 ग्राम प्रति दिन) से अधिक है। महिलाओं में चीनी लेने की औसत मात्रा (20.2 ग्राम प्रतिदिन) पुरुषों (18.7 ग्राम प्रतिदिन) की तुलना में अधिक है।
यह प्रवृत्ति अहमदाबाद को छोड़ कर सभी शहरों में देखी गई, जहां पुरुषों और महिलाओं ने लगभग समान मात्रा में अतिरिक्त चीनी का उपभोग किया। सर्वेक्षण में आयु समूहों द्वारा उपभोग किए गए अतिरिक्त चीनी की मात्रा को भी मापा गया। वयस्क एवं उम्रदराज लोग कम उम्र के लोगों की तुलना में अधिक चीनी का उपभोग करते हैं। सर्वाधिक चीनी उपभोग करने वाला आयुसमूह, 36-59 वर्ष के बीच के लोग(20.5 ग्राम प्रतिदिन) पाए गए।
किशोरों में यह मात्रा 19.9 ग्राम प्रतिदिन मापी गई जबकि स्कूली बच्चों और प्री स्कूल बच्चों यह मात्रा क्रमश: 17.6 और 15.6 ग्राम प्रतिदिन मापी गई। यह अध्ययन गैर संचारी रोगों को रोकने में मदद करने की दिशा में भारत के लिए काफी मायने रखता है।