2023-2024 रिकॉर्ड में सबसे गर्म वर्ष क्यों थे?, वैज्ञानिकों ने 10 सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने रखा, देखिए आंकड़े

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 31, 2025 09:29 IST2025-10-31T09:28:11+5:302025-10-31T09:29:02+5:30

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर और जर्मनी के ‘पोट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च’ के वैज्ञानिक शामिल हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन अनुसंधान में सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों की समीक्षा की।

Why were 2023-2024 hottest years record Scientists identify 10 most important issues, see the data | 2023-2024 रिकॉर्ड में सबसे गर्म वर्ष क्यों थे?, वैज्ञानिकों ने 10 सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने रखा, देखिए आंकड़े

सांकेतिक फोटो

Highlightsलेखकों का कहना है कि ये परिणाम नीति-निर्माण और समग्र समाज में सहायक होंगे। व्यापक रूप से ‘कार्यान्वयन सीओपी’ के रूप में देखा जा रहा है।‘‘असाधारण भूमि और समुद्र की सतह का तापमान और महासागर की गर्मी’’ देखी गई।

नई दिल्लीः वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट में जलवायु अनुसंधान में 10 सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने रखा है, जिसमें यह जानना भी शामिल है कि 2023-2024 रिकॉर्ड में सबसे गर्म वर्ष क्यों थे। ‘जलवायु विज्ञान 2025/2026 में 10 नयी अंतर्दृष्टि’ रिपोर्ट वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के काम का सारांश प्रस्तुत करती है, जिसमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर और जर्मनी के ‘पोट्सडैम इंस्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च’ के वैज्ञानिक शामिल हैं, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन अनुसंधान में सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्षों की समीक्षा की।

लेखकों का कहना है कि ये परिणाम नीति-निर्माण और समग्र समाज में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने की आवश्यकता के संबंध में बढ़ते वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ, 30वें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन - ‘सीओपी30’ - को व्यापक रूप से ‘कार्यान्वयन सीओपी’ के रूप में देखा जा रहा है।

चरम मौसम के कारण श्रम उत्पादकता और आय में कमी, जैव विविधता में कमी और भूजल में तेजी से कमी, अन्य पहलुओं में शामिल हैं जिन पर लेखकों ने नवीनतम अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की है। इस वर्ष जनवरी में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने रिकॉर्ड में 2024 के सबसे गर्म वर्ष होने की पुष्टि की, जिसमें ‘‘असाधारण भूमि और समुद्र की सतह का तापमान और महासागर की गर्मी’’ देखी गई।

लेखकों ने लिखा है, ‘‘हालांकि अल नीनो की स्थिति में परिवर्तन ने हाल के तापमान रिकॉर्ड को बढ़ाने में मदद की है, लेकिन ये जलवायु उतार-चढ़ाव अकेले विसंगतियों को समझाने के लिए अपर्याप्त हैं।’’ उन्होंने कहा कि पृथ्वी की ऊर्जा के असंतुलन में उल्लेखनीय वृद्धि से पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग में तेजी आ सकती है।

समुद्र की सतह अभूतपूर्व दर से गर्म हो रही है और समुद्री गर्म लहरें तेज़ हो रही हैं। जुलाई में साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन बताता है कि 2023 की समुद्री गर्म लहरों के प्रभाव जलवायु परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत दे सकते हैं, जिससे प्रवाल भित्तियों और पारिस्थितिक तंत्रों को अपरिवर्तनीय क्षति पहुँच सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महासागरों के गर्म होने से ‘‘गंभीर पारिस्थितिकी क्षति हो रही है, तटीय आजीविका नष्ट हो रही है, तथा चरम मौसम से जोखिम बढ़ रहा है और साथ ही कार्बन सिंक के रूप में महासागर की भूमिका भी कमजोर हो रही है।’’ डेंगू जैसे उष्णकटिबंधीय रोग अपनी भौगोलिक पहुंच का विस्तार कर रहे हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च आर्द्रता और वर्षा की स्थिति पैदा हो रही है।

जो मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल है। ‘द लैंसेट’ पत्रिका द्वारा प्रकाशित एक वैश्विक रिपोर्ट से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर डेंगू के फैलने की संभावना 49 प्रतिशत बढ़ गई है। जलवायु अंतर्दृष्टि रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि ‘‘डेंगू अपने अब तक के सबसे बड़े वैश्विक प्रकोप के रूप में सामने आया है।’’ उन्होंने लिखा है, ‘‘जलवायु-कारक तापमान परिवर्तन ने मच्छरों के आवास का विस्तार किया है और संक्रमण की अवधि को बढ़ाया है, जिससे शहरीकरण, वैश्विक संपर्क और अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन के प्रभाव और बढ़ गए हैं।’’

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