आखिर क्यों ब्रिटेन छोड़ रहे भारतीय डॉक्टर?, स्वास्थ्य वीजा में 67 आई नर्सिंग में 79 प्रतिशत की कमी, क्या कम वेतन और जीवनयापन मुख्य समस्याएं, जानें 5-6 डॉक्टरों ने क्या कहा?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 23, 2025 11:40 IST2025-12-23T11:39:46+5:302025-12-23T11:40:34+5:30

ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में काम कर रहे भारतीय मूल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि कई भारतीय स्वास्थ्य पेशेवर ब्रिटेन छोड़ने का विकल्प चुन रहे हैं और वे ऐसा चिकित्सकीय काम से असंतोष के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कर रहे हैं।

Why Indian doctors leaving Britain 79 percent decrease in health visas 67 percent in nursing low salaries cost living main problems Know what 5-6 doctors said? | आखिर क्यों ब्रिटेन छोड़ रहे भारतीय डॉक्टर?, स्वास्थ्य वीजा में 67 आई नर्सिंग में 79 प्रतिशत की कमी, क्या कम वेतन और जीवनयापन मुख्य समस्याएं, जानें 5-6 डॉक्टरों ने क्या कहा?

सांकेतिक फोटो

Highlights ब्रिटेन में हालिया नीतिगत बदलावों के असर से जूझ रहे चिकित्सा पेशेवरों के लिए पहले जैसा नहीं रहा।वित्तीय और आव्रजन संबंधी दबावों ने ब्रिटेन को दीर्घकालिक रूप से कम व्यवहार्य विकल्प बना दिया है।स्वास्थ्य और देखभाल कर्मी वीजा में लगभग 67 प्रतिशत की गिरावट आई।

नई दिल्लीः साझा इतिहास, भोजन और वास्तुकला के अलावा भारत और ब्रिटेन को जोड़ने वाली एक मजबूत कड़ी स्वास्थ्य पेशेवर भी हैं लेकिन जो देश अपने वतन से दूर घर बसाने के लिए कभी सोच-समझकर चुना गया ठिकाना माना जाता था, वह अब भारतीयों के लिए, खासकर ब्रिटेन में हालिया नीतिगत बदलावों के असर से जूझ रहे चिकित्सा पेशेवरों के लिए पहले जैसा नहीं रहा।

ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में काम कर रहे भारतीय मूल के वरिष्ठ चिकित्सकों ने कहा कि कई भारतीय स्वास्थ्य पेशेवर ब्रिटेन छोड़ने का विकल्प चुन रहे हैं और वे ऐसा चिकित्सकीय काम से असंतोष के कारण नहीं, बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वित्तीय और आव्रजन संबंधी दबावों ने ब्रिटेन को दीर्घकालिक रूप से कम व्यवहार्य विकल्प बना दिया है।

इस रिपोर्ट के लिए साक्षात्कार देने वाले चिकित्सकों ने अपनी व्यक्तिगत हैसियत से बात की और वे राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा या अपने नियोक्ता के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रस्तुत भारत सरकार के आंकड़ों से पता चला कि भारतीय नागरिकों को जारी किए गए स्वास्थ्य और देखभाल कर्मी वीजा में लगभग 67 प्रतिशत की गिरावट आई।

जबकि नर्सिंग पेशेवरों के बीच यह गिरावट लगभग 79 प्रतिशत रही। करीब 20 साल अनुभव वाले एनएचएस के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ रजय नारायण ने बताया कि कई भारतीय स्वास्थ्य पेशेवर ब्रिटेन छोड़ने का विकल्प इसलिए चुन रहे हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और पश्चिम एशिया के कुछ अन्य देश कहीं अधिक वेतन और स्पष्ट दीर्घकालिक अवसर प्रदान कर रहे हैं।

एनएचएस के साथ दो दशकों से काम कर रहे पेशेवर के रूप में डॉ. नारायण ने कहा कि कभी ब्रिटेन को वैश्विक स्तर पर अग्रणी स्वास्थ्य प्रणालियों में से एक माना जाता था ‘‘लेकिन समय के साथ इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।’’ उन्होंने कहा कि अब कई लोग ब्रिटेन में दीर्घकालिक करियर की संभावनाएं नहीं देखते और कई ब्रिटिश-भारतीय पेशेवर बेहतर अवसरों की तलाश में भारत भी लौट रहे हैं।

दक्षिण-पश्चिम ब्रिटेन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा से जुड़े रेडियोलॉजिस्ट संजय गांधी ने कहा कि भारतीय मूल के स्वास्थ्य पेशेवरों के ब्रिटेन छोड़ने के पीछे मुख्य कारणों में से एक यह है कि राजनीतिक संबद्धता से इतर सभी सरकारों ने शुद्ध आव्रजन कम करने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि अवैध आव्रजन को नियंत्रित करना कठिन साबित हुआ है,

लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में काम करने वालों सहित वैध प्रवासियों को अक्सर इन नीतियों का असर झेलना पड़ता है। एक अन्य कारण स्थानीय रूप से प्रशिक्षित चिकित्सकों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा है।’’ ब्रिटेन सरकार के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, एशियाई या एशियाई ब्रिटिश कर्मचारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के कार्यबल का 13 प्रतिशत हैं और पूर्णकालिक कार्यबल का 16 प्रतिशत तथा अंशकालिक कार्यबल का आठ प्रतिशत हिस्सा हैं। गांधी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में ही उनके जानकार कम से कम आधा दर्जन चिकित्सक ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड चले गए हैं।

जब उनसे पूछा गया कि क्या कम वेतन और जीवनयापन की लागत मुख्य समस्याएं हैं, तो उन्होंने कहा कि दोनों ही चिंता का विषय हैं और उच्च कराधान स्थिति को और खराब बनाता है। एनएचएस के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ मनीष गौतम ने कहा, ‘‘विदेशी स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए रास्ते काफी हद तक कम हो गए हैं।’’

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