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अमेरिका: फ्लोरिडा में 'ब्रेन-ईटिंग अमीबा' से शख्स की मौत, जानिए क्या होता है ये और कैसे करता है लोगों को बीमार

By विनीत कुमार | Updated: March 4, 2023 17:04 IST

अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में ब्रेन ईटिंग अमीबा से एक शख्स की मौत की खबर सुर्खियों में है। शख्स में यह संक्रमण नल के पानी से रोज नाक साफ करने की वजह से फैला। जानिए इस खतरनाक अमीबा के बारे में....

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न्यूयॉर्क: अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत के शार्लोट काउंटी में एक शख्स की दुर्लभ 'ब्रेन-ईटिंग' अमीबा से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई। फ्लोरिडा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार शख्स में यह संक्रमण नल के पानी से रोज नाक साफ करने की वजह से फैला। ब्रेन इटिंग अमीबा एक खास तरह का अमीबा होता है जिसे वैज्ञानिक नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) कहते हैं। यह गंदे या संक्रमित पानी के जरिए नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है। इससे संक्रमित शख्स ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी से पीड़ित हो जाता है। 

क्या होता है ब्रेन-ईटिंग अमीबा 

अमीबा दरअसल एक एककोशिकीय (unicellular) सूक्ष्म जीव है। चूंकि इसका कोई सेल वॉल नहीं है, इसलिए यह हमारे वातावरण में स्वतंत्र रूप से घूमता रहता है। नेगलेरिया फाउलेरी या जिसे आम बोलचाल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा कहते हैं, वह नेगलेरिया प्रजाति का एक हिस्सा है और खतरनाक है।

नेगलेरिया फाउलेरी या ब्रेन-ईटिंग अमीबा आमतौर पर लोगों को तब संक्रमित करता है जब लोग गंदे पूल / या नदी में डुबकी लगाते हैं। अमीबा युक्त पानी नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और इस तरह ये संक्रमण फैलता है। यहां गौर करने वाली बात है कि इस संक्रमण के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे तौर पर फैलने के कोई उदाहरण नहीं मिले हैं।

शरीर में जाकर ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या करता है

ब्रेन-ईटिंग अमीबा नाक के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचने के बाद वहां संक्रमण फैलाना शुरू करता है। इसे अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) कहा जाता है। मस्तिष्क के ऊतकों या कहें कि टिशू को नष्ट कर देता है। पीएएम के पहले लक्षण आमतौर पर संक्रमण के लगभग 5 दिन बाद नजर आने शुरू होते हैं। हालांकि, वे एक से 12 दिनों के भीतर भी शुरू हो सकते हैं। 

इस संक्रमण के लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, बेचैनी, या उल्टी आदि शामिल हैं। बाद के लक्षणों में गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे पड़ना, मतिभ्रम और कोमा तक शामिल हैं। इन लक्षणों के शुरू होने के बाद बीमारी तेजी से बढ़ती है और  लगभग 5 दिन में मौत तक हो सकती है। कुछ जानकार एक से 18 दिनों में भी मौत की आशंका बताते हैं।

पीएएम संक्रमण चूकी इतना दुर्लभ है, और इतनी तेजी से शरीर में बढ़ता है कि किसी भी रोगी या कई बार डॉक्टरों को सोचने-समझने का समय ही नहीं मिलता और मृत्यु हो जाती है। ऐसे में इसके तेजी से प्रभावी उपचार पर भी काम अभी किया जाना बाकी है।

अभी कैसे होता है ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण का इलाज

इस बीमारी के लिए वर्तमान में कोई सटीक टीका या दवा नहीं है। हालांकि इसका इलाज कुछ दवाओं जिसमें एंटिबायोटिक एंटिफंगल और एंटि-पैरासिटिक एजेंट रहते हैं, उससे किया जाता है। एम्फोटेरिसिन बी, एजिथ्रोमाइसिन, फ्लुकोनाजोल, रिफैम्पिन, मिल्टेफोसिन और डेक्सामेथासोन जैसी दवाओं के जरिए अभी के दौरे में इसका इलाज किया जा रहा है। इन दवाओं के संयोजन से कई रोगी ठीक भी हुए हैं पर कोई एक दवा अभी उपलब्ध नहीं है।

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