Vata, Pitta & Kapha: क्या है वात, पित्त और कफ, जिसके असंतुल से होती हैं कई घातक बीमारियां, जानिए आयुर्वेद कैसे करता है इन्हें संतुलित

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 16, 2024 06:35 AM2024-03-16T06:35:51+5:302024-03-16T06:35:51+5:30

आयुर्वेद कहता है कि मानव शरीर तीन जीवन शक्तियों या ऊर्जाओं का निर्माण करता है, जिन्हें वात, पित्त और कफ दोष कहा जाता है। इन्हीं के असंतुलन से मानव का शरीर बीमार होता है।

Vata, Pitta & Kapha: What is Vata, Pitta and Kapha, imbalance of which causes many fatal diseases, know how Ayurveda balances them | Vata, Pitta & Kapha: क्या है वात, पित्त और कफ, जिसके असंतुल से होती हैं कई घातक बीमारियां, जानिए आयुर्वेद कैसे करता है इन्हें संतुलित

फाइल फोटो

Highlightsमानव शरीर तीन शक्तियों या ऊर्जाओं का निर्माण करता है, जिन्हें वात, पित्त और कफ दोष कहते हैंआयुर्वेद कहता है कि वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन से मानव का शरीर बीमार होता हैप्रत्येक व्यक्ति में वात, पित्त और कफ दोष अलग-अलग शारीरिक कार्य को नियंत्रित करते हैं

Vata, Pitta & Kapha:आयुर्वेद का अर्थ है 'जीवन का विज्ञान'। यह दुनिया की सबसे पुरानी शरीर उपचार प्रणालियों में से एक है। भारत में आयुर्वेद का जन्म लगभग 5,000 वर्ष से भी पहले हुआ था। आयुर्वेद इस विश्वास पर आधारित है कि मानव का स्वास्थ्य न केवल उसके शरीर बल्कि उसकी आत्मा पर भी निर्भर करता है। आयुर्वेद का मुख्य लक्ष्य बीमारी से लड़ना नहीं बल्कि बीमारी को रोकना है।

यही कारण है कि आयुर्वेद का सिद्धांत कहता है कि मानव को स्वस्थय रहने के लिए उसके मन, शरीर और आत्मा का सामंजस्य अच्छा होना चाहिए। अगर इनमें से किसी एक में भी असंतुलन हो जाए तो मानव बीमार हो जाता है। जो लोग आयुर्वेद का अभ्यास करते हैं उनका मानना ​​है कि प्रत्येक व्यक्ति ब्रह्मांड में पाए जाने वाले पांच मूल तत्वों अंतरिक्ष, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी से बना है।

ये मानव शरीर में मिलकर तीन जीवन शक्तियों या ऊर्जाओं का निर्माण करते हैं, जिन्हें आयुर्वेद में दोष कहा जाता है। ये दोष ही मानव शरीर के स्वास्थ्य को नियंत्रित करते हैं। जिन्हें वात दोष (अंतरिक्ष और वायु), पित्त दोष (अग्नि और जल) और कफ दोष (जल और पृथ्वी) कहते हैं।

मानव शरीर में इन तीन दोषों का अनूठा मिश्रण होता है और आमतौर पर ये दोष एक दूसरे से अधिक मजबूत होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति में यह दोष अलग-अलग शारीरिक कार्य को नियंत्रित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर के बीमार होने की संभावना तभी होती है, जब इन तीनों दोषों में असंतुलन पैदा होता है।

आयुर्वेद में तीन दोष

वात दोष

आयुर्वेद कहता है कि वात दोष, तीनों दोषों में सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। वात शरीर के बहुत ही बुनियादी कार्यों को नियंत्रित करता है, मसलन यह मानव दिमाग, श्वास, रक्त प्रवाह, हृदय कार्य और आंतों के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से त्यागने की क्षमता को भी नियंत्रित करता है। जो चीजें इसे बाधित कर सकती हैं उनमें भोजन के तुरंत बाद दोबारा खाना, भय, और बहुत देर तक जागना शामिल है।

यदि वात मानव शरीर का प्रमुख दोष है, तो अमूमन मनुष्य की सोच में तेजी से बदलाव होता है। शारीरिक रूप से मानव दुबला-पतला हो सकता है। वात के असंतुलन से मानव अत्यधिक उत्तेजित हो सकता है। स्वभाव में चिंता, भय और भुलक्कड़पन आ सकता है।

इसके कारण अस्थमा, हृदय रोग, त्वचा संबंधी समस्याएं और गठिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद में वात दोष के लिए ध्यान, मालिश, नियमित नींद और गर्म, हल्के खाद्य पदार्थ खाने जैसी बुनियादी चीजें अपनाकर वात को संतुलित किया जा सकता है।

पित्त दोष

पित्त दोष शरीर के पाचन, चयापचय और कुछ हार्मोन को नियंत्रित करता है, जो मानव की भूख से जुड़ा होता है। जो चीजें पित्त को बाधित कर सकती हैं उनमें खट्टा या मसालेदार भोजन खाना, धूप में बहुत अधिक समय बिताना और भोजन न करना शामिल हैं। यदि शरीर पित्त प्रधान हैं, तो मानव अत्यधिक प्रतिस्पर्धी, चिड़चिड़े, जल्दी क्रोधित होने वाले और आवेगी हो सकता है।

पित्त मुख्य दोषी होता है तो माना जाता है कि इसके असंतुलन से क्रोहन रोग, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अपच और बुखार जैसी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती है। पित्त को वापस संतुलन में लाने के लिए मानव को आहार में ठंडी और हल्की चीजें लेनी चाहिए। उसे भोजन में अधिक से अधिक सलाद लेना चाहिए और आराम देने वाले योग का अभ्यास करना चाहिए।

कफ दोष

आयुर्वेद कहता है कि कफ दोष मांसपेशियों की वृद्धि, शरीर की ताकत और स्थिरता, वजन और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करता है। जो चीजें कफ को बाधित कर सकती हैं उनमें दिन के समय झपकी लेना, बहुत अधिक मीठे खाद्य पदार्थ खाना और ऐसी चीजें खाना या पीना शामिल है जिनमें बहुत अधिक नमक या पानी होता है।

यदि शरीर में कफ मुख्य दोष है तो मानव की अधिकारवादी, जिद्दी और उदास हो सकते हैं। कफ प्रधान शरीर में अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी विकार, कैंसर, मधुमेह, खाने के बाद मतली और मोटापा विकसित होने की अधिक संभावना हो सकती है।

शरीर में अतिरिक्त कफ को कम करने और अधिक संतुलित होने के लिए आहार में फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए ताकि शरीर में रक्त का प्रवाह समान रूप से हो सके।

Web Title: Vata, Pitta & Kapha: What is Vata, Pitta and Kapha, imbalance of which causes many fatal diseases, know how Ayurveda balances them

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे