पॉपुलर टीवी एक्ट्रेस छवि मित्तल लंबे समय से अपनी प्रेगनेंसी को लेकर चर्चा में थीं। 10 महीने के लंबे इन्तजार के बाद एक्ट्रेस ने आखिरकार के बेटे को जन्म दिया। बेटे के जन्म की खुशी उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट से अपने फैंस को दी। उन्होंने बताया कि कैसे वे और उनका पूरा परिवार बेटे के आने के एखुशी में झूम रहा है। लेकिन अब छवि ने जो पोस्ट किया है वह दर्द भरा है। इसमें खुशी कम और उनकी परेशानी ज्यादा दिख रही है।
बेटे अरहम को जन्म देने के बाद छवि को एक कान से सुनना बंद हो गया है। इसके अलावा उनकी रीढ़ की हड्डी में भी बहुत अधिक दर्द है। छवि ने अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट के जरिए बताया कि वे बेहद दर्द हैं। उनकी रीढ़ की हड्डी के साथ उनके सिर में भी असहनीय दर्द है। वे दिन में 5 लीटर पानी पी रही हैं और इतने दर्द में भी हर 15 मिनट में बाथरूम जा रही हैं।
डिलीवरी से पहले फिट थीं
डॉक्टर्स और फैंस को जानकार भी यह हैरानी हो रही है कि आखिरकार छवि को इतनी परेशानी क्यूं हुई है। जबकि डिलीवरी से पहले अपने सभी उप्दतेस में छवि ने फैंस को बताया कि वे फिजिकली एकदम फिट हैं और उन्हने कोई परेशानी नहीं हो रही है। प्रेगनेंसी का 9वां महीना बीतने के बाद जब 10वां महीना शुरू हुआ तब भी छवि टेंशन फ्री थीं और इतना ही कह रही थीं कि 'जब बेबी के आने का टाइम होगा, वह आ जाएगा, मुझे कोई जल्दी नहीं है'।
मगर डिलीवरी के कुछ समय बाद ही छवि की तबीयत बिगड़ने लगी। बॉडी पैन से लेकर रीढ़ की हड्डी का दर्द, एक कान से सुनना बंद हो जाना, असहनीय सिरदर्द आदि परेशानियां छवि का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। इन सभी परेशानियों को पोस्ट प्रेगनेंसी कंपलीकेशन कहते हैं। मगर क्या ये सभी के साथ होती हैं? और क्या रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइनल कॉर्ड का दर्द बहुत बड़ी दिक्कत है? आइए जानते हैं:
डिलीवरी के बाद स्पाइनल कॉर्ड में दर्द क्यूं होता है?
स्पाइनल कॉर्ड को शरीर का ढांचा कहा जा सकता है। इसमें दर्द होना असहनीय होता है। यदि ये गलती से टूट जाए तो व्यक्ति ना चल सकता है और ना ही उठकर बैठ सकता है। अगर स्पाइनल कॉर्ड में चोट लग जाए तो बहुत तेज सिरदर्द होता है। रूटीन लाइफ पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। रोजाना के काम करने में कई तरह की मुश्किलें आने लगती हैं।
डिलीवरी के बाद स्पाइनल कॉर्ड में दर्द होने के तीन मुख्य कारण हैं। पहला है शरीर में हार्मोनल बदलाव का होना। जिस वजह से हड्डियां लचीली, मुलायम और ढीली पड़ने लगती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान ही इस तरह के संकेत मिलने शुरू हो जाते हैं। दूसरे कारण के मुताबिक प्रेगनेंसी के दौरान अगर गर्भाशय का साइज़ जरूरत से अधिक बढ़ जाए तो मांसपेशियों में तनाव बढ़ने लगता है। परिणामस्वरूप नसों का दबाव स्पाइनल कॉर्ड पर पड़ने लगता है। इसलिए दर्द होता है।
तीसरे कारण के मुताबिक अगर प्रेगनेंसी में महिला के शरीर का वजन बहुत अधिक बढ़ जाए तो इसका असर भी रीढ़ की हड्डी पर होने लगता है। वजन पड़ने से रीढ़ की हड्डी पर भार पड़ने लगता है। प्रेगनेंसी में हड्डियों के मुलायम हो जाने की वजह से रीढ़ की हड्डी बढ़ते वजन को सहने के लिए सक्षम नहीं होती है। प्रेगनेंसी टाइम से ही यह दर्द धीरे धीरे बढ़ने लगता है और डिलीवरी के बाद बॉडी से कैल्शियम की भारी मात्रा के निकल जाने की वजह से रीढ़ की हड्डी और भी अधिक कमजोर हो जाती है।
स्पाइनल कॉर्ड के दर्द का घरेलू इलाज
डिलीवरी के बाद स्पाइनल कॉर्ड में अधिक दर्द होने से डॉक्टरी इलाज करवाना जरूरी है। मगर इलाज के साथ महिलाओं को कुछ घरेलू नुस्खे बहे ट्राई करने चाहिए। दर्द से जल्दी छुटकारा मिलता है। इसके लिए एक कटोरी में सरसों के तेल में चुटकी भर सेंधा नमक और लहसुन की 2-3 कलियां डालें और इसे हल्का गर्म कर लें। इस तेल से दिन में कम से कम 2 बार कमर की मालिश करें। नेचुरल तरीके से दर्द कम होगा।