भारत में निजी क्षेत्र के कई डॉक्टर क्षयरोग (टीबी) के लक्षण नहीं पहचान पाते और इस वजह से मरीजों का उचित उपचार नहीं हो पाता। एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है। इस अध्ययन में उन लोगों को शामिल किया गया जो इस बीमारी के लक्षण दिखाने का अभिनय कर सकें। टीबी हवा से फैलने वाला संक्रामक रोग है जो भारत, चीन और इंडोनेशिया समेत कई अन्य देशों में जन स्वास्थ्य का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2017 में इस बीमारी के चलते 17 लाख लोगों की जान गयी थी और इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में एक वैश्विक स्वास्थ्य सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। लेकिन इस महामारी को खत्म करने की जंग में कमजोर कड़ी प्राथमिक उपचार करने वाले फिजिशियन हैं जो मरीज को एकदम शुरुआत में देखते हैं जब उन्हें खांसी आना शुरू होती है।
अध्ययन में कहा गया कि कम से कम दो शहर मुंबई महानगर और पूर्वी पटना में तो निश्चित तौर यह स्थिति है। इस प्रयोग के लिए वित्तीय प्रबंध बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने किया। यह अध्ययन 2014 से 2015 के बीच करीब 10 महीनों तक मैकगिल यूनिवर्सिटी, विश्व बैंक और जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने किया।
मरीज बनाकर पेश किए गए 24 लोग 1,288 निजी क्षेत्र के चिकित्सकों के पास गए। इन्होंने साधारण बलगम से लेकर ऐसा बलगम निकलने के लक्षण बताए जिससे लगे कि वह ठीक होकर फिर से बीमार हो गए हैं।
बातचीत के 65 प्रतिशत मामलों में चिकित्सकों ने जो आकलन किए वे स्वास्थ्य लाभ के भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे नहीं उतरते। इनमें दोनों तरह के डॉक्टर शामिल थे - योग्य, अयोग्य एवं वे जो पारंपरिक दवाओं से उपचार करते हैं। अध्ययन के परिणाम 'पीएलओएस मेडिसिन' पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।
डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट, 2018 जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में पिछले वर्ष एक करोड़ लोग टीबी से पीड़ित हुए, जिनमें 27 फीसदी लोग भारत से हैं। इसमें टीबी के बारे में व्यापक और नवीनतम आकलन है। साथ ही वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं, उनमें क्या प्रगति आई है, यह जानकारी भी दी गई है।
भारत के बाद चीन में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर आकलन के मुताबिक वर्ष 2017 में एक करोड़ लोगों को टीबी हुई, इनमें से 58 लाख पुरूष, 32 लाख महिलाएं और दस लाख बच्चे हैं। दुनियाभर में टीबी के कुल मरीजों में दो तिहाई आठ देशों में हैं। इनमें से भारत में 27 फीसदी मरीज हैं, चीन में नौ फीसदी, इंडोनेशिया में आठ फीसदी, फिलीपीन में छह फीसदी, पाकिस्तान में पांच फीसदी, नाइजीरिया में चार फीसदी, बांग्लादेश में चार फीसदी तथा दक्षिण अफ्रीका में तीन फीसदी हैं।
दुनिया में टीबी से रोजाना 4 हजार लोगों की मौत
रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी के कारण प्रतिदिन करीब चार हजार लोगों की जान चली जाती है। इसमें कहा गया है कि दुनियाभर में रोगों से होने वाली मौत की दसवीं सबसे बड़ी वजह टीबी है।
टीबी के लक्षण
अक्सर टीबी का जिक्र होते ही कमजोरी, तेज खांसी और बुखार जैसे लक्षण लोगों के दिमाग में आते हैं। मान लिया जाता है कि मरीज के फेफड़ों में ही इन्फेक्शन होगा। मगर टीबी सिर्फ फेफड़ों की बीमारी नहीं है, बल्कि टीबी का इन्फेक्शन शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। टीबी के मुख्य लक्षण यह हैं:
- सांस लेने में परेशानी और छाती में दर्द महसूस होना- खांसी के साथ उल्टी आना - तीन सप्ताह या उससे लंबे समय तक लगातार तेज खांसी- बुखार आना- शरीर में कमजोरी, वजन गिरना या थकान महसूस होना- खांसी के साथ बलगम का आना- बुखार आना व ठंड लगना- रात में पसीना आना
टीबी होने के प्रमुख कारण कारण
डॉक्टर के अनुसार, इस बीमारी का प्रमुख कारण खाराब खानपान और एक्सरसाइज नहीं करना है। वास्तव में बेहतर खानपान और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आपका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत बनता है और आपके शरीर की बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा टीबी होने के यह कारण भी हो सकते हैं:
- स्मोकिंग- अल्कोहल - खराब खानपान - एक्सरसाइज नहीं करना - स्वच्छता का अभाव- पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में रहना