सिर्फ फायदे ही नहीं सैनिटरी पैड से हो सकते हैं यह बड़े नुकसान

By उस्मान | Published: February 9, 2018 12:20 PM2018-02-09T12:20:15+5:302018-02-09T12:25:54+5:30

लंबे समय तक एक ही पैड लगकार रखने से आपको रैशेष या वैजाइनल इंफेक्शन का खतरा हो सकता है।

side effects of sanitary napkins you should know | सिर्फ फायदे ही नहीं सैनिटरी पैड से हो सकते हैं यह बड़े नुकसान

सिर्फ फायदे ही नहीं सैनिटरी पैड से हो सकते हैं यह बड़े नुकसान

अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' रिलीज हो चुकी है। जबसे इस फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ था, तब से लोगों के बीच सैनिटरी पैड को लेकर एक बड़ी चर्चा शुरू हो गयी थी, जो अब भी जारी है। फिल्म के प्रमोशन के दौरान भी अक्षय कुमार और सोनम कपूर सहित बॉलीवुड के कई स्टार हाथों में निटरी पैड पकड़कर महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए इसके फायदे बताते नजर आए थे। आपको बता दें कि अगर सैनिटरी पैड का सही तरह इस्तेमाल ना किया जाए, तो यह आपके सवास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। चलिए जानते हैं कैसे-

सैनिटरी पैड क्या है और यह क्यों जरूरी है

हर महिला को मासिक चक्र से गुजरना होता है। पीरियड्स की अवधि हर महिला के लिए अलग-अलग हो सकती है। पीरियड्स में ब्लीडिंग होना आम बात है। लेकिन कई महिलाओं को हैवी फ्लो का भी सामना करना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान रक्त को सोखने के लिए पैड का उपयोग किया जाता है और यह कई साइज में आता है।  

लंबे समय तक पैड लगाने से हो सकती हैं यह समस्याएं

दिल्ली स्थित करुणा हॉस्पिटल में गाइनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर सीमा चौधरी के अनुसार, लंबे समय तक एक ही पैड लगकार रखने से निचले हिस्से में पसीने और खून से नमी पैदा हो सकती है, जिससे आपको रैशेष या वैजाइनल इंफेक्शन का खतरा हो सकता है। डॉक्टर के अनुसार, कम फ्लो में 6 घंटे में पैड बदलना आदर्श माना जाता है। हालांकि जिन महिलाओं को हैवी फ्लो होता है तो उन्हें बार-बार पैड बदलना चाहिए। टैम्पोन को हर दो घंटे में बदल देना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक टैम्पोन लगा रहने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम या टीएसएस की समस्या हो सकती है। टीएसएस एक ऐसा सिंड्रोम है, जहां बैक्टेरिया शरीर के अंदर प्रवेश कर गंभीर इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं। 

पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

आरटीआई इंटरनेशनल इंडिया के एक सर्वे के अनुसार, भारत में करीब 33.6 करोड़ लड़कियां और महिलाएं मासिक धर्म से गुजरती हैं। इनमें करीब 12.1 करोड़ डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन (डीएसएन) का इस्तेमाल करती हैं। यानी हर महीने इस्तेमाल हुए करीब एक अरब से ज्यादा पैड फेंक दिए जाते हैं, जो कचरे के गड्ढों, सीवर या जल स्रोतों में जमा होते हैं। जाहिर है इतनी बड़ी संख्या में जमा इन यह गंदे पैड बड़े पैमाने पर पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। 

प्लास्टिक और केमिकल परफ्यूम का बना होता है पैड

इसी सर्वे में इस बात की जानकारी दी गयी है कि डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन 90 फीसदी प्लास्टिक का बना होता है। इनमें कई तरह के केमिकल जैसे डाइऑक्सिन, फुरन और पेस्टीसाइड जैसे कई केमिकल्स मिले होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। 

कपड़े का पैड भी है खतरनाक

ग्रामीण भारत में ज्यादातर महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। डॉक्टर के अनुसार, अगर दोबारा इस कपड़े को अच्छी तरह धोकर और धूप में सुखाकर इस्तेमाल नहीं किया गया, तो आपको रैशेष या फंगल सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।

(फोटो- Flickr)  

Web Title: side effects of sanitary napkins you should know

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