इंग्लैंड में स्कूल खुलने के बाद दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है नए मामलों और मरने वालों की संख्या, भारत में भी खुले हुए स्कूल
By उस्मान | Published: September 11, 2021 02:39 PM2021-09-11T14:39:27+5:302021-09-11T16:52:50+5:30
स्कॉटलैंड में 11 अगस्त को स्कूल खुले और इसके बाद महीने के अंत तक मामले दोगुने हो गए. भारत में भी अधिकतर राज्यों में स्कूल खुल गए हैं.
कोरोना वायरस के मामले थोड़े कम जरूर हुए हैं लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। कई देशों में स्कूल और कॉलेज खुलने शुरू हो गए हैं। स्कूल खोलने का फैसला कहीं न कहीं गलत साबित होता दिख रहा है। इसका ताजा उदहारण इंग्लैंड में देखने को मिला है।
वर्ल्ड सोशलिस्ट वेबसाइट के अनुसार, इंग्लैंड में स्कूलों के फिर से खुलने के कुछ ही दिनों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और मरने वालों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है। हैरानी की बात यह है कि सरकार का मानना है कि स्कूल सुरक्षित हैं। इतना है नहीं, जो पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे, उन्हें जुर्माना और कारावास की धमकी का सामना करना पड़ रहा है।
इस हफ्ते 8 सितंबर तक कोरोना के 272,334 पॉजिटिव केस सामने आए हैं और औसतन 863 के हिसाब से 6,748 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। रोजाना औसतन 130 से अधिक लोग वायरस से मारे जा रहे हैं। पिछले हफ्ते कुल 43,166 पॉजिटिव मामलों में से सबसे अधिक मामले 0-19 आयु वर्ग विशेष रूप से 10-19 आयु वर्ग के लोगों में पाए जा रहे हैं।
दोगुने हुए कोरोना के मामले
स्कॉटलैंड में 11 अगस्त को स्कूल खुले और इसके बाद महीने के अंत तक मामले दोगुने हो गए। नए मामलों में लगभग 40 प्रतिशत बच्चे हैं। गुरुवार को दर्ज किए गए 6,836 में से 2,729 मामले बच्चों के हैं।
भारत में भी खुले स्कूल
भारत में भी राजधानी सहित अधिकतर राज्यों में स्कूल खुल गए हैं और कई राज्यों में खुलने की तैयारी है। ऐसे में राज्य सरकारों को इस फैसले पर एक बार फिर विचार करना चाहिए।
तमिलनाडु में 1 सितंबर से स्कूलों को फिर से खोलने के बाद राज्य में लगभग 20 छात्रों और 10 शिक्षकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. हाल के अधिकांश मामले चेन्नई के एक निजी स्कूल से सामने आए हैं।
तीसरी लहर की आशंका
एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि अक्टूबर में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आ सकती है। यह भी माना जा रहा है कि तीसरी में बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है। एम्स ने भी यह माना है कि बच्चों का टीकाकरण नहीं होने से उनके प्रभावित होने की आशंका ज्यादा है।
किसी निकाय ने स्कूल खोलने के लिये बच्चों के टीकाकरण की शर्त का सुझाव नहीं दिया : सरकार
इधर केंद्र सरकार ने कहा कि कोई भी वैज्ञानिक संस्था यह नहीं बताती है कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कोविड-19 के खिलाफ बच्चों का टीकाकरण एक शर्त होनी चाहिए, हालांकि शिक्षकों, विद्यालय कर्मियों और अभिभावकों का टीकाकरण वांछनीय है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा कि क्या बच्चों को टीका लगाया जाना है और उनमें से किसे टीका दिया जाना चाहिए, यह एक वैज्ञानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ ही देशों ने अब तक बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण को छोड़कर स्कूलों को खोलने के लिये महामारी से संबंधित अन्य स्थितियां सुरक्षित होनी चाहिए। पॉल ने जोर देकर कहा कि स्कूल खोलने के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण है हवा की समुचित निकासी, बैठने की व्यवस्था, कक्षा में मास्क पहनने के बारे में मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करना।
उन्होंने बताया, 'कोई वैज्ञानिक निकाय, महामारी विज्ञान, कोई सबूत नहीं बताता है कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण एक शर्त होनी चाहिए। शिक्षकों, अन्य स्कूल कर्मचारियों और अभिभावकों का टीकाकरण हालांकि वांछनीय है।'
उन्होंने कहा, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोई अनुशंसा भी नहीं है कि हमें कम मृत्यु दर और अलक्षणी संक्रमण के ज्यादा मामलों को देखते हुए उस दिशा में बढ़ना चाहिए। हम एक राष्ट्र और सरकार के तौर पर बच्चों में संभावित उपयोग के लिए हमारे टीकों के वैज्ञानिक सत्यापन की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।'
पॉल ने कहा कि जाइडस के टीके को बच्चों के लिये पहले ही लाइसेंस दिया जा चुका है। उन्होंने कहा कि इसे कब और कैसे लगाया जाएगा इस पर वैज्ञानिक निकायों द्वारा चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिये कोवैक्सीन का परीक्षण पूरा होने के करीब है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)