Pregnancy Care In Ayurveda: गर्भावस्था में आयुर्वेद कैसे करता है मां का पोषण, जानिए यहां

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 12, 2024 06:49 AM2024-03-12T06:49:11+5:302024-03-12T06:49:11+5:30

जब गर्भावस्था के दौरान देखभाल की बात आती है तो आयुर्वेद उस मां के लिए बेहद लाभदायक है, जो शिशु का पालन अपने गर्भ में कर रही है।

Pregnancy Care In Ayurveda: How to do Ayurveda to nourish the mother during pregnancy, know here | Pregnancy Care In Ayurveda: गर्भावस्था में आयुर्वेद कैसे करता है मां का पोषण, जानिए यहां

फाइल फोटो

Highlightsआयुर्वेद उस मां के लिए बेहद लाभदायक है, जो गर्भ में अपने शिशु का पालन कर रही है आयुर्वेद का उपचार गर्भावस्था में महिला के पूरा शरीर के समान पोषण की बात करता है आयुर्वेद गर्भावस्था के दौरान महिला के स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा स्वस्थ आहार पर बल देता है

Pregnancy Care In Ayurveda: जब गर्भावस्था के दौरान देखभाल की बात आती है तो आयुर्वेद उस मां के लिए बेहद लाभदायक है, जो शिशु का पालन अपने गर्भ में कर रही है। पारंपरिक आयुर्वेद का उपचार गर्भावस्था में महिला के पूरा शरीर के समान पोषण की बात करता है ताकि मां का मन प्रसन्न रहे, शरीर स्वास्थ्य रहे और आत्मा अजन्मे बच्चे को लेकर निश्चिंत रहे क्योंकि आयुर्वेद सबसे सुरक्षित स्वास्थ प्रदान करने वाली भारतीय चिकित्सा पद्धति है।

दरअसल आयुर्वेद गर्भावस्था के दौरान महिला के स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ आहार पर बल देता है क्योंकि पोषक तत्व गर्भावस्था में महिलाओ के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। यह न केवल मां के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए भी अच्छे स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।

आयुर्वेद कहता है कि मां बनने वाली महिला को हर सुबह एक गिलास ताजा जूस पीना चाहिए। इसके अलावा गर्भ धारण करने वाली महिला सुबह के नाश्ते में कुछ बादाम, फलों के टुकड़े भी ले सकती है। बेहतर होगा कि गर्भावस्था की महिलाएं खाने में ऐसे तत्वों को शामिल करें, जिसमें उन्हें विटामिन सी की प्राप्ति हो। जिससे मां के साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण का भी समान पोषण होगा।

इसके अलावा महिलाओं को अपने भोजन में कुछ सलाद जैसे गाजर, टमाटर और खीरे को भी शामिल करना चाहिए। आयुर्वेद गर्भावस्था की महिलाओं को दोटूक सलाह देता है कि सही आहार का चयन ही मां और बच्चे दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं।

गर्भ के पहले से आखिरी महीनों के खान-पान

पहला महीना

गर्भ धारण करने के पहले महीने में महिला को जैविक गाय के दूध से उपचारित करने का प्रयास करें, जिसे उबालकर कमरे के तापमान पर ठंडा किया गया हो। इसे दिन में एक बार लें।

दूसरा माह

दूसरे महीने में गाय के दूध के साथ कुछ इलायची और गुड़ और कोई भी मीठी जड़ी-बूटी जैसे अश्वगंधा, सौंफ मिलाकर लें।

तीसरा महीना

दूध में कम से कम ½ बड़ा चम्मच घी मिलाएं। मिश्रण को उबालें और कमरे के तापमान पर आने पर इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं। शहद कच्चा, जंगली और जैविक होना चाहिए।

चौथा महीना

आयुर्वेद के अनुसार चौथे महीने के गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए टॉनिक लेना बहुत जरूरी है। इसके लिए एक गिलास उबला हुआ दूध लें और उसमें 12 ग्राम बिना नमक वाला मक्खन मिलाएं। इसके अलावा दूध में थोड़ा गुड़ और इलायची भी मिला सकते हैं। लेकिन इसे लेते समय सुनिश्चित कर लें कि मक्खन ताज़ा हो।

पांचवां महीना

घर का बना ताजा गाय का दूध लें। खाने में सलाद की मात्रा को बढ़ाएं और सूखे फल जैसे मेवे, काजू, अखरोट और अंजीर का भी सेवन करें।

छठा महीना

कुछ महत्वपूर्ण मीठी जड़ी-बूटियाँ जैसे सौंफ, गुड़, इलायची आदि मिलाकर घर पर घी में मिलाकर मिश्रण बनाएं और उसे सुबह-शाम में लें। यह घी इन जड़ी-बूटियों से युक्त हो जाएगा। बेहतर परिणाम के लिए इसे बार-बार लें।

सातवां महीना

सातवें महीने में भी छठे महीने की तरह सौंफ, गुड़, इलायची आदि मिलाकर घर पर घी में मिलाकर मिश्रण बनाएं और उसे लें।

आठ महीना

आठवे महीने में दलिया को थोड़े से घी, दूध और थोड़े से गुड़ के साथ अच्छी तरह पकाएं। इस माह में यह गर्भावस्था की महिलाओं के लिए बहुत ही उत्तम आहार होता है।

नौवां महीना

नौवें महीने में, जो कि डिलीवरी के नजदीक का समय है। इसमें घी, शहद, दूध इत्यादि के साथ केसर और खजूर का प्रयोग करें।

गर्भावस्था में क्या परहेज करें

आयुर्वेद के अनुसार जब भोजन सात्विक, शुद्ध और ताज़ा होता है तो उससे महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास अच्छा होता है। आयुर्वेद गर्भावस्था के दौरान मांस, तेल, मसाले जैसे मिर्च और फास्ट फूड जैसे भारी आहार की अनुमति नहीं देता है क्योंकि एक गर्भवती महिला बहुत नाजुक होती है। इन खाद्य पदार्थों से शरीर में पित्त और गर्मी भी बढ़ती है और पाचन में भी काफी समस्या आती है।

गर्भावस्था आपके बच्चे के साथ जुड़ाव का समय है। इसलिए जरूरी है कि महिला अपने शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों को संतुलित करे। उसके लिए योग और ध्यान सबसे अच्छा उपाय है।

Web Title: Pregnancy Care In Ayurveda: How to do Ayurveda to nourish the mother during pregnancy, know here

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