तो इस वजह से आजकल के पेरेंट्स भी लापरवाह हो गए हैं, शोध
By गुलनीत कौर | Published: July 15, 2018 01:38 PM2018-07-15T13:38:41+5:302018-07-15T13:38:41+5:30
ऐसे पेरेंट्स एक खास प्रकार की पेरेंटिंग की ओर बढ़ने लगती हैं जिसमें वे अपने बच्चों के साथ तो हैं, लेकिन उनपर किसी भी तरह की बंदिशें नहीं लगाते हैं।
मां और बाप में से बच्चे अपनी मां के प्रति अधिक स्नेह रखते हैं और यही कारण है कि उनकी अच्छी या बुरी परवरिश के लिए सबसे अधिक मां को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। हालिया हुए एक शोध के अनुसार अगर माओं की नींद पूरी ना हो तो वे अपने बच्चे को लेकर कुछ 'लापरवाह' हो जाती हैं। परवरिश में ढील देने लगती हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार जो माएं किसी भी वजह से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाती हैं वे अपने बच्चे की परवरिश में अनदेखी करने लगती हैं। खासतौर से जब उनके बच्चे किशोरावस्था में कदम रख रहे होते हैं, उस समय माओं का ऐसा लापरवाह बिहेवियर बच्चों पर असर करता है।
दरअसल ऐसी माएं एक खास प्रकार की पेरेंटिंग की ओर बढ़ने लगती हैं जिसमें वे अपने बच्चों के साथ तो हैं, उन्हें बहुत प्यार भी करती हैं, लेकिन उनपर किसी भी तरह की बंदिशें या रोक-टोक नहीं लगाती हैं। ऐसे में बच्चे उन गलत आदतों की ओर बढ़ने लगते हैं जिस ओर उन्हें बिलकुल भी नहीं जाना चाहिए।
शोधकर्ता केली टू के मुताबिक जब माओं को भरपूर नींद ना मिले या किसी वजह से उनकी नींद में बार-बार खलल पड़े तो वे बच्चों की परवरिश ढीले रवैये के साथ करने लगती हैं। क्योंकि नींद ना पूरी होने के कारण वे चिड़चिड़ाहट महसूस करने लगती हैं, दिनभर थकी-थकी रहती हैं, जिस वजह से वे बच्चों पर अधिक ध्यान नहीं दे पाती हैं। लेकिन जिन माओं की नींद पूरी होती है वे अपने बच्चे की हर हरकत, हर ग्रोथ बर बाखूबी ध्यान दी पाती हैं।
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केली का कहना है कि 11 से 18 के बीच की उम्र में पेरेंट्स को बच्चों पर पूरा ध्यान देना चाहिए। इसी उम्र में बच्चों द्वारा लिए गए फैसले उन्हें आगे बढ़कर या तो सफल बनाते हैं या हमेशा के लिए बर्बाद कर देते हैं। ऐसे में अगर पेरेंट्स द्वारा राय मिले, सही रास्ता दिखाया जाए, भले ही नियमों के साथ उन्हें बांधा जाए, लेकिन अगर नियम उनके अच्छे के लिए हैं तो वे जरूर होने चाहिए।
लेकिन अगर पेरेंट्स की तरफ से परवरिश में ढील मिलने लगे और बच्चों को यह महसूस हो जाए कि वे जो भी करें उससे पेरेंट्स को फर्क नहीं पड़ेगा, तो ऐसे बच्चे आगे चलकर अपने लिए मुसीबतें ही पैदा करते हैं।
इस शोध में शोधकर्ता ने 234 माओं से बातचीत की। इन सभी माओं को एक खास प्रकार की वरिस्टवाच भी पहनाई गई जिसे उन्हें लगातार 7 रातों तक पहन कर सोना था। इस वाच के जरिए उनकी नींद और रात के दौरान की एक्टिविटीज को मॉनिटर किया गया। इन सभी मों के बच्चों से भी बातचीत की गई।
अंत में शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंची कि कम नींद या सही तरीके से नींद ना लेने वाली माओं के बच्चे लापरवाह परवरिश को पा रहे हैं। जबकि जिन माओं की नींद पूरी होती है वे अपने बच्चों की हर जरूरत पर ध्यान दे पाती हैं।