इस उम्र में जल्दी बिगड़ते हैं बच्चे, इन 5 स्टेप्स से उनके बेस्ट फ्रेंड बनकर दिखाएं सही रास्ता
By गुलनीत कौर | Published: July 12, 2018 01:32 PM2018-07-12T13:32:27+5:302018-07-12T13:32:27+5:30
कई कारणों की वजह से आज के जमाने के बच्चे जल्दी बिगड़ते है और इनके गलत राह पर चलने की उम्र होती है 13 से 19 की। इसे टीनएज कहा जाता है।
आपने घर के बड़े बुजुर्गों को अक्सर यह कहते हुए सुना होगा कि हमारे जमाने में हम अपने बच्चों की परवरिश बहुत अच्छे-से करते थे। हर परिवार में कम से कम 4 से 5 बच्चे होते थे, लेकिन फिर भी माता-पिता उन्हें सलीके से जिन्दगी जीना सिखाते है। और आजकल लोग अपने एक बच्चे की परवरिश करते हुए भी परेशान हो जाते हैं। लेकिन क्या कभी उन बुजुर्गों ने परेशानी के पीछे की असल वजह को जाना है?
जब पहले के और अब के जमाने में इतना अंतर है तो क्या बच्चों और उनकी परवरिश के तरीके में नहीं होगा? पहले के जमाने में अधिकतर पुरुष घर से बाहर काम करते थे और महिलाएं हाउसवाइफ होती थीं। उनका ध्यान घर के साथ अपने बच्चों पर भी रहता था। और बच्चे भी पढ़ाई और खेल-कूद में ही दिलचस्पी लेते थे। लेकिन आजकल के मॉडर्न जमाने में बच्चे के दोनों अभिभावक काम करते हैं और बच्चों के ऊपर 'टेक्नोलॉजी' का साया भी मंडराता रहता है।
मोबाइल फोन, गैजेट्स, लैपटॉप, इससे उनका खेल कूद तो खत्म हो ही गया है, साथ ही इसका पढ़ाई पर भी बुरा असर होता है। ऐसे कई कारणों की वजह से आज के जमाने के बच्चे जल्दी बिगड़ते है और इनके गलत राह पर चलने की उम्र होती है 13 से 19 की। इसे टीनएज कहा जाता है, इस समय अगर बच्चों को ना सम्भाला जाए तो मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इस सबका एक ही सॉल्यूशन है, अपने बच्चों के दोस्त बने और उन्हें सही दिशा दिखाएं। आइए जाने कैसे:
1. जो कहें उसे करके भी दिखाएं
अक्सर पेरेंट्स बच्चों को कई तरह की सलाह देते हुए दिखते हैं। समय से उठो, समय से खाना खाओ, किस तरह की बुरी आदतों से बचो, आदि। लेकिन अगर वाही काम वे खुद करते रहेंगे तो बच्चे कभी सीख नहीं पाएंगे। पेरेंट्स गलती करें या झूठ बोलें, तो उसे बच्चों के सामने कबूल लें। इससे उनमें भी झूठ या अपनी गलती को जाहिर करने की हिम्मत आएगी। और वे आपको अपना दोस्त समझकर हर बात शेयर करेंगे।
2. फ्रीडम दें
हर बात में ना सही, लेकिन जहां तक आपको लगे, उतनी फ्रीडम बच्चों को जरूर दें। टीनएज में बच्चों की बॉडी में कई तरह के हार्मोनल बदलाव आते हैं, ऐसे में उनके मूड और स्वभाव में भी परिवर्तन आते हैं। इस दौरान अगर आप हर बात पर रोक-टोक लगाएंगे, उन्हें बाँधने की कोशिश करेंगे तो वे उससे ठीक विपरीत काम करेंगे। और आपकी सोच से कई बढ़कर गलतियां करेंगे।
3. वक्त बिताएं
आप अपने बच्चों के साथ जितना अधिक समय बिताएंगे उतना ही उन्हें समझ पाएंगे। और बच्चे भी आपको करीब से जान पाएंगे। माना कि ऑफिस और घर को मैनेज करने के बीच आपके पास बच्चों के लिए समय नहीं है, लेकिन वीकेंड में स्पेशल प्लान बनाएं। साथ में मूवी देखें। शॉर्ट ट्रिप पर जाएं, मिलकर खाना बनाएं, किसी एक्टिविटी में हिस्सा लें। इन तरीकों से आपको बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने को मिलेगा।
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4. उनकी भी सुनें
अगर आपको उनकी राय पसंद नहीं आ रही है, फिर भी एक बार उनकी बात को पूरी तरह से सुनें। उन्हें क्या दिक्कत महसूस हो रही है उसे जानें। इसके बाद ही कोई फैसला लें। क्योंकि अगर आपने अपनी सोच को बच्चे पर थोपने की कोशिश की तो एक-दो बार तो वह सुन लेगा, लेकिन अगली बार से वो बातें शेयर करना बंद कर देगा। आपसे चोरी काम करेगा और हो सकता है कि चोरी पकड़े जाने पर आपसे बहस भी करे। क्योंकि जब उसे आपका साथ चाहिए था तब मिला नहीं। इसी चिड़ में आकर ही बच्चे गलत काम करते हैं।
5. विश्वास बनाएं
अपने और बच्चे की दोस्ती को धीरे-धीरे इतना पक्का कर लें कि उसे जब किसी दोस्त की जरूरत महसूस हो वो आपके पास आए। भले ही वह गलत क्यों ना हो, लेकिन उसके मन में एक यकीन हो कि अगर वो पेरेंट्स से बात शेयर भी करेगा तो उसका रिजल्ट बुरा नहीं, बल्कि अच्छा ही होगा। इस विश्वास का होना बहुत जरूरी है। तभी आपका बच्चा खुद भी जीवन में सफल बनाएगा और अपनी आने वाली पीढ़ी को भी आपके दिए हुए आदर्शों पर ही चलने की सीख देगा।