कोट्टयमः केरल में पहली बार महात्मा गांधी विश्वविद्यालय (एमजीयू) ने स्नातक और परास्नातक की 18 साल और इससे अधिक उम्र की छात्राओं को 60 दिन का मातृत्व अवकाश देने का फैसला किया है ताकि वे बिना किसी बाधा के अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार प्रतिकुलपति सी टी अरविंद कुमार की अध्यक्षता में हुई एक ‘सिंडीकेट’ बैठक में शुक्रवार को यह फैसला किया गया। इसमें कहा गया है कि सिंडीकेट ने इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए गठित की गयी एक समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है।
विश्वविद्यालय के अनुसार, मातृत्व अवकाश प्रसव से पहले या बाद में लिया जा सकता है, लेकिन इसे पहली या दूसरी गर्भावस्था के लिए तथा एक पाठ्यक्रम के दौरान केवल एक बार ही दिया जाएगा। विज्ञप्ति में कहा गया है कि अवकाश की अवधि में सार्वजनिक तथा सामान्य छुट्टियां शामिल होंगी और अन्य छुट्टियों को इसके साथ जोड़ा नहीं जा सकता।
उसने कहा कि गर्भपात, नसबंदी आदि के मामलों में 14 दिन का अवकाश दिया जाएगा। गर्भधारण के कारण छात्राओं की पढ़ाई बाधित न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक सेमेस्टर के दौरान मातृत्व अवकाश लेने वाली छात्राओं को उस सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन इसे अगले सेमेस्टर में नियमित छात्रों के साथ ही पूरक परीक्षा के तौर पर दिया जा सकता है।
विज्ञप्ति के अनुसार उनका सेमेस्टर खराब नहीं होगा क्योंकि मातृत्व अवकाश खत्म होने के बाद वे अपने बैच के साथ मौजूदा सेमेस्टर में अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हैं। मातृत्व अवकाश लेने के लिए अवकाश शुरू होने से तीन दिन पहले किसी पंजीकृत चिकित्सक के एक मेडिकल प्रमाणपत्र के साथ आवेदन करना होगा।