कुंभ मेले में 10 हजार लोगों को मिलेगी CPR ट्रेनिंग, जानिये हार्ट अटैक आने पर कैसे जान बचा सकती है ये टेक्निक
By उस्मान | Published: February 19, 2019 05:45 PM2019-02-19T17:45:01+5:302019-02-19T17:45:01+5:30
अचानक दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में यदि तुरंत इलाज न किया जाए तो व्यक्ति की जान जा सकती है। सीपीआर एक मरीज की धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए एक तकनीक है। हाथों से सीपीआर को तुरंत शुरू किया जा सकता है।
अचानक दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने पर सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) Cardiopulmonary resuscitation (CPR) की जीवन रक्षक प्रक्रिया मरीज की जिंदगी बचा सकती है। सीपीआर प्रक्रिया के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इंडिया मेडट्रानिक ने यहां कुम्भ मेले में ‘चिरंजीव हृदय: सीपीआर सीखो, दिल धड़कने दो’ अभियान शुरू किया है।
आरएमएल इंस्टीट्यूट आफ मे़डिकल साइंसेज, लखनऊ के डाक्टर मुकुल मिश्रा ने कहा, "इस अभियान का उद्देश्य लोगों को हृदय गति रुकने की स्थिति में हाथों से सीपीआर में प्रशिक्षित करना है। हमने 10,000 लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है।"
उन्होंने बताया कि अचानक दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में यदि तुरंत इलाज न किया जाए तो व्यक्ति की जान जा सकती है। सीपीआर एक मरीज की धड़कन को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए एक तकनीक है। हाथों से सीपीआर को तुरंत शुरू किया जा सकता है। इसमें मरीज की छाती के केंद्र में लगभग 2-2.4 इंच की गहराई में तेज धक्का देने की आवश्यकता होती है। ये क्रियाएं जितनी जल्दी हो सके लागू करना जरूरी है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत, नई दिल्ली के डॉ. विवेका कुमार ने कहा, “अगर आपके पास बैठा व्यक्ति जमीन पर गिर जाए और सांस लेना बंद कर दे, तो आप क्या करेंगे? यह जानना लाजिमी है कि हृदय संबंधी आपात स्थिति में क्या करना चाहिए और मदद के लिए क्या कदम बढ़ाना चाहिए।"
उन्होंने बताया कि भारत में कोई स्पष्ट डेटा उपलब्ध नहीं है; लेकिन अध्ययनों के माध्यम से, यह अनुमान लगाया जाता है कि अचानक दिल का दौरा अनुभव करने वाले 95% लोग मर जाते हैं, क्योंकि उन्हें छह मिनट तक कोई जीवन रक्षक चिकित्सा नहीं मिलती है।
सीपीआर क्या है? (What is Cardiopulmonary resuscitation (CPR)
हार्टअटैक के मामले में जहां मरीज के अटेंडेंट अथवा रैस्क्यूअर के पास मरीज को हॉस्पिटल ले जाने के लिए गोल्डन आवर होता है वहीं कार्डिएक अरैस्ट के मामले में व्यक्ति के पास कुछ महत्त्वपूर्ण सैकंड्स ही होते हैं। ऐसे में कार्डिएक अरैस्ट के लक्षणों को पहचान कर तुरंत ऐक्शन लेना बेहद जरूरी होता है।
सीपीआर (CPR) से बच सकती है मरीज की जान
जब व्यक्ति को कार्डिएक अरैस्ट होता है तब तुरंत ऐंबुलैंस बुलानी चाहिए और साथ ही कार्डियोपल्मोनरी रीससिटेशन (सीपीआर) भी करना चाहिए। सीपीआर में मरीज की छाती पर हथेलियों से तेज दबाव बनाया जाता है। इस दौरान प्रति मिनट 120 कम्प्रैशन की स्पीड होनी चाहिए। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक कि मरीज को मैडिकल सहायता न मिल जाए।