केरल: 'दिमाग खाने वाले कीड़े' के कारण लड़के की हुई मौत, दावा-गंदे पानी में नहाने से गई जान

By आजाद खान | Published: July 8, 2023 11:40 AM2023-07-08T11:40:38+5:302023-07-08T12:27:55+5:30

केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की अगर माने तो अमीबा रुके हुए पानी में पाया जाता है और नाक की पतली त्वचा के माध्यम से वह दिमाग तक प्रवेश करता है।

Kerala Alappuzha district boy dies due to brain-eating worm pam | केरल: 'दिमाग खाने वाले कीड़े' के कारण लड़के की हुई मौत, दावा-गंदे पानी में नहाने से गई जान

फोटो सोर्स: WikiMedia Commons (https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Cardiac_surgery_operating_room.jpg)

Highlightsकेरल में पीएएम एक मस्तिष्क संक्रमण के कारण एक लड़के की जान चली गई है। इस अमीबा को आमतौर पर 'दिमाग खाने वाला कीड़ा' भी कहा जाता है।राज्य में पिछले कुछ सालों में अभी तक पांच मामले सामने आए है।

तिरुवनन्तपुरम: केरल के अलाप्पुझा जिले में एक 15 साल के लड़की की मौत हो गई है। इस लड़की की मौत प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (पीएएम) या अमीबिक एन्सेफलाइटिस के कारण हुई है। बता दें कि पीएएम एक मस्तिष्क संक्रमण है जिस कारण इससे संक्रमित अधिकतर लोगों की मौत हो जाती है। 

इस संक्रमण से मरने वाला गुरुदत्त कक्षा 10वीं में पढ़ाई करता था जिसका एक जुलाई से अलाप्पुझा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा था। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की अगर माने तो पिछले कुछ सालों में राज्य में इस संक्रमण के पांच केस देखे गए हैं। 

क्या है पूरा मामला

पीएएम के कारण केरल के लड़के के मरने पर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि इससे पहले राज्य में इस केस के पांच मामले सामने आए थे। उनके अनुसार, राज्य में 2016, 2019, 2020, 2022 और 2023 में पीएएम मामले देखे गए हैं। 

केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस केस के सभी मरीजों की मौत हो गई थी क्योंकि स्थिति आमतौर पर घातक होती है। बता दें कि गुरुदत्त को पीएएम से संक्रमित होने का पता जून में चला था जब उसे बुखार और दौरे पड़ने लगे थे। स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, यह कोई संक्रामक संक्रमण नहीं है। ऐसा बहुत ही कम होता है, इसलिए इसे लेकर इतना घबराने की जरूरत नहीं है।

पीएएम क्या होता है

मामले में बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मीडिया को बताया कि अमीबा रुके हुए पानी में पाया जाता है और नाक की पतली त्वचा के माध्यम से वह दिमाग तक प्रवेश करता है। अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, पीएएम एक मस्तिष्क संक्रमण है जो अमीबा या नेगलेरिया फाउलेरी नामक एकल-कोशिका वाले जीवित जीव के कारण होता है। 

गौरकरने वाली बात यह है कि यह विशेष अमीबा मिट्टी और गर्म ताजे पानी जैसे झीलों, नदियों और गर्म झरनों में रहता है। इसे आमतौर पर 'दिमाग खाने वाला अमीबा' कहा जाता है क्योंकि जब अमीबा युक्त पानी नाक में चला जाता है तो यह दिमाग में संक्रमण का कारण बन सकता है। यह स्थिति अमेरिका में भी दुर्लभ है जहां हर साल लगभग तीन लोग संक्रमित होते हैं।

कैसे लोग होते हैं संक्रमित

पीएएम से लोग कैसे संक्रमित होते है। इसका जवाब सीडीसी ने दिया है और कहा है कि जब लोग तैर रहे होते हैं या संक्रमित पानी के संपर्क में आते हैं तो नेगलेरिया फाउलेरी युक्त पानी उनके नाक में प्रवेश करता है और इससे लोग संक्रमित हो जाते हैं। सीडीसी का कहना है, ''दूषित पानी पीने से लोग संक्रमित नहीं होते हैं।''

बता दें कि लक्षण गंभीर ललाट सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी से शुरू होते हैं। पीएएम का इलाज दवाओं के संयोजन से किया जाता है। हालांकि यह एक अत्यधिक घातक संक्रमण है, फिर भी ऐसे दस्तावेजी मामले सामने आए हैं जिनमें लोग बच गए हैं।
 

Web Title: Kerala Alappuzha district boy dies due to brain-eating worm pam

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे