पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार : इन 5 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में है Jaundice का इलाज करने की क्षमता

By उस्मान | Updated: February 20, 2021 10:13 IST2021-02-20T10:13:53+5:302021-02-20T10:13:53+5:30

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज के लिए इन जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करें लेकिन डॉक्टर की सलाह पर

jaundice ayurvedic treatment: Use these 5 ayurvedic herbs to get rid from jaundice in Hindi | पीलिया का आयुर्वेदिक उपचार : इन 5 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में है Jaundice का इलाज करने की क्षमता

पीलिया का इलाज

Highlightsआयुर्वेद में भी है पीलिया का इलाजएक्सपर्ट्स की सलाह पर करें जड़ी बूटियों का इस्तेमालपीलिया में डाइट का ध्यान रखना बहुत जरूरी

पीलिया एक समस्या है जो लिवर के खराब होने से होती है. लिवर की सही तरह काम नहीं करने से खून में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने लगती है जिससे त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों के सफेद रंग का हिस्सा पीले रंग के हो जाते हैं और पीले रंग का पेशाब आता है। 

वैसे मेडिकल में पीलिया के लिए कई तरह के उपचार मौजूद हैं लेकिन आप इससे जल्दी राहत पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इन जड़ी बूटियों में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो पीलिया का इलाज कर सकते हैं।

पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज

गिलोय या गुडूची
यह औषधि भारत सहित एशिया के कई देशों में पाई जाती है। इस पौधे की डंठल का पाउडर बनाया जाता है जिसे गुडूची सत्व कहा जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, पीलिया से पीड़ित लोगों के इलाज के दौरान उन्हें दिन में 16 मिलीग्राम / किग्रा गुडूची दी गई। इससे मृत्यु दर 61.5 फीसदी से घटकर 25 फीसदी हो गई थी। इसके अलावा गुडूची लेने वाले पीड़ितों को बुखार और मतली में भी सुधार देखा गया। इस पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार लेना चाहिए। 

कुटकी
यह जड़ी-बूटी भारत के कई हिस्सों में पाई जाती है। इस जड़ी-बूटी का पीलिया सहित लीवर की बीमारियों के इलाज का लिए इस्तेमाल किए जाता है। शोधकर्ताओं के कहना है कि इसमें पिक्रोलिव तत्व पाया जाता है जिसका एंटी-कोलेस्टेटिक प्रभाव पड़ता है और यह ब्लॉक्ड डक्ट सिस्टम को ओपन करने में सहायक है जिस वजह से पित्त खून में जमा नहीं हो पाता है। इसके पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो बार लेने से लाभ होता है।

वसाका
यह सदाबहार झाड़ी हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है। इसका इस्तेमाल पीलिया के अलावा ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के रोग के इलाज में किया जाता है। अगर आप किसी अन्य दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आपको इसे लेने से बचना चाहिए। इसके पत्तों का पीलिया के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके पत्तों का दो औंस रस, मुलेठी की छाल का पाउडर, इतनी मात्रा में ही चीनी और आधा चम्मच शहद मिलाकर खाने से लाभ होता है।  

कुमारी आसव
यह दालचीनी, इलायची, काली मिर्च और त्रिफला सहित 20 से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और शहद व गुड़ का मिश्रण है। यह श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ के लिए बहुत प्रभावी है। इसके अलावा इससे पित्त की नली की रुकावट को दूर करने और लीवर व पित्ताशय के कामकाज में सुधार करने में मदद मिलती है। इसकी दिन में दो बार दो से छह चम्मच लेनी चाहिए। 

आरोग्यवर्धिनी वटी
इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल पीलिया, फैटी लीवर सिंड्रोम, वायरल हैपेटाइटिस और अल्कोहोलिक हैपेटाइटिस के इलाज के लिया किया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका दिमाग, लीवर और किडनी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इसे दिन में दो बार 250 से 500 मिलीग्राम मात्रा में लेना चाहिए। 

डायट का भी रखें ध्यान
पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को गन्ने का रस, फलों का रस, सूखे अंगूर का भरपूर सेवन करना चाहिए। इन चीजों से मूत्र के जरिए बिलीरूबिन बाहर निकलता है। इसके अलावा खूब पानी पिएं और छाछ का भी सेवन करें। खूब फल-सब्जियां खाएं। पीलिया से पीडित व्यक्ति के लिए नींबू, टमाटर और मूली भी काफी फायदेमंद हैं।

पीलिया क्या है

बिलीरुबिन एक बाइल पिग्मेंट है, जब शरीर में इसकी मात्रा बढ़ती है तो पीलिया होता है। रेड ब्लड सेल्स का विघटन लिवर में होता है और उसमे मौजूद हीमोग्लोबिन के टूटने से बिलिरुबिन बनता है। यह बिलिरुबिन लिवर से पित्त थैली में जाता है और फिर पित्त की नली से होता हुआ अंतड़ी में जाकर मल के साथ निकल जाता है। पीलिया तब होता है, जब मेटाबोलिज्म और मल के साथ कुछ गलत होने के कारण शरीर में बिलिरुबिन बनने लगता है।

पीलिया के लक्षण

आंख, जीभ, त्वचा, और मूत्र का पीले रंग होना, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, ज्यादा थकान, बुखार, कब्ज और मतली का एहसास होना इस बीमारी के लक्षण हैं। इसकी वजह से शरीर का पीला रंग हो जाता है। 

पीलिया के कारण

पीलिया वायरल इन्फेक्शन लीवर- हेपेटाइटिस, पैन्क्रीऐटिक कैंसर और ब्लॉक्ड बाइल डक्ट के कारण भी हो सकता है। अत्यधिक शराब पीने से सिरोसिस हो सकता है, जो पीलिया का कारण बन सकता है। 

आयुर्वेद में, पीलिया पित्त दोष विकार का परिणाम है। तेल, मसालेदार और गर्म खाने, शराब व कैफीन से पित्त बिगड़ सकता है जिससे धमनी में रुकावट पैदा हो सकती है और बाइल खून में जम जाता है जिससे आंखों और त्वचा का रंग बदल सकता है।

Web Title: jaundice ayurvedic treatment: Use these 5 ayurvedic herbs to get rid from jaundice in Hindi

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