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बिहार: चमकी बुखार से अब तक 96 बच्चों की मौत, क्या वाकई 'लीची' है इसके पीछे का कारण?

By गुलनीत कौर | Updated: June 17, 2019 10:05 IST

चमकी बुखार शरीर में ग्लूकोज की भारी कमी के कारण होता है। बच्चों में पानी और हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी के कारण यह घातक बन जाता है। शुरुआती चरण में यह तेज बुखार और बदन में एंठन के रूप में दिखता है।

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बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (चमकी बुखार) के कारण अब तक 96 बच्चों ने अपनी जान गवाई है। इसका सबसे अधिक असर बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ है। मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में भी इस बुखार का असर जारी है। बीते 24 दिनों में अब तक 96 बच्चों की मौत ने बिहार में सनसनी मचा दी है।

क्या है चमकी बुखार? (What is Acute Encephalitis Syndrome)

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार चमकी बुखार शरीर में ग्लूकोज की भारी कमी के कारण होता है। बच्चों में पानी और हाइपोग्लाइसीमिया यानी शुगर की कमी के कारण यह घातक बन जाता है। शुरुआती चरण में यह तेज बुखार और बदन में एंठन के रूप में दिखता है। ठीक वैसे ही जैसे कोई भी अन्य बुखार होता हिया। लेकिन डॉक्टरी जांच के बाद ही इसकी पहचान होती है।

चमकी बुखार के लक्षण: (Acute Encephalitis Syndrome symptoms)

- लगातार कुछ दिनों तक तेज बुखार- शरीर में कभी ना ख़त्म होने वाली कमजोरी- शरीर में एंठन- सुस्ती- सिरदर्द- उल्टी- कब्ज- बेहोशी- कोमा- लकवा

चमकी बुखार के कारण (Acute Encephalitis Syndrome causes)

चमकी बुखार को ज्यादातर लोग एक प्रकार के वायरल बुखार की तरह मानते हैं जो लगातार कुछ दिनों तक रहता है और डॉक्टरी इलाज के बिना ठीक नहीं किया जा सकता है। अधिक गंदगी में रहने से और मच्छर के काटने से भी यह बुखार फैसला है। मगर चमकी बुखार में रोगी की हालत काफी गंभीर हो जाती है और इसके इतिहास की मानें तो यह कोई साधारण वायरल बुखार नहीं है।

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चमकी बुखार का इतिहास (Acute Encephalitis Syndrome history)

बिहार के मुजफ्फरपुर में जहां चमकी बुखार ने अपना कहर धाया हुआ है वहां यह बुखार बीते कई वर्षों से चला आ रहा है। रिकॉर्ड की मानें तो ऐसी दुर्घटनाएं सन् 1995 से ही बिहार के मुजफ्फरपुर में होती आ रही हैं और इसका कारण इस एरिया में लगे लीची के बागों को बताया जाता है। इस मौसम में यहां लीची की अच्छी पैदावार होती है और यहां के आसपास के इलाकों के गरीब बच्चे पूरा दिन बागों में खेलते हुए लीची खाते हुए पाए जाते हैं। 

क्या लीची है चमकी बुखार का कारण?

बीते 24 वर्षों से मुजफ्फरपुर में बढ़ रहे इस चमकी बुखार पर जब कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शोध किया तो यह पाया कि इस एरिया में लगे लीची के बागों से लीची का अधिक सेवन करने वाले बच्चों में चमकी बुखार होने का खतरा पाया गया है। इसलिए बिहार के सिर्फ इस एरिया में ही इस बुखार के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं।

हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो यहां की लीची में हायपोग्लायसिन ए एवं मेथिलीन सायक्लोप्रोपाइल ग्लायसीन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो कुपोषित बच्चों के ख़ून में शर्करा का स्तर बहुत घटा सकते हैं। रिपोर्ट की मानें तो मुजफ्फरपुर के इलाके में ज्यादातर गरीब घरों के बच्चे दिन का भोजन नहीं करते हैं और भूख के मारे बागों में दौड़े चले आते हैं। खाली पेट रसायन युक्त इन लीचियों का सेवन करते हैं।

ये लीची इनके शरीर में ग्लूकोज के स्तर को न्यूनतम की संख्या पर ले जाती है जो कि बेहद घातक साबित होता है। एक बांग्लादेशी शोध के अनुसार लीची की पैदावार में एक खास तरह के रसायन का इस्तेमाल होता है। इस रसायन के असर को कम करने के लिए लीची खाने से पहले छिलका अच्छी तरह उतारना चाहिए और इन्हें धोकर ही खाना चाहिए। 

मगर मुजफ्फरपुर के छोटे तबके के ये बच्चे इन दोनों नियमों को दरकिनार कर मुंह से लीची का छिलका उतारते हैं और इन्हें बिना पानी से धोए खा जाते हैं। छिलके में लगे रसायन का सारा असर इनके शरीर में चला जाता है। इसके अलावा भूखे पेट लीची खाने से इसका असर और भी अधिक बढ़ जाता है। यहां के कुछ बच्चे तो दिनभर बस लीची ही खाते हैं जो कि और भी जानलेवा है।

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