भारतीयों का दिमाग है छोटा, अध्ययन में खुलासा
By उस्मान | Updated: October 29, 2019 14:10 IST2019-10-29T14:10:22+5:302019-10-29T14:10:22+5:30
अध्ययन में बताया है कि भारतीय लोगों का दिमाग लंबाई, चौड़ाई और भार में पश्चिमी और अन्य पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में छोटा होता है।

भारतीयों का दिमाग है छोटा, अध्ययन में खुलासा
भारत में बेशक कई लोग खुद को ब्रिलियंट समझते हों लेकिन हाल ही में भारतीयों के दिमाग को लेकर हुए एक नए अध्ययन ने सभी को चौंका दिया है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी हैदराबाद ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि भारतीय लोगों का दिमाग लंबाई, चौड़ाई और भार में पश्चिमी और अन्य पूर्वी देशों के लोगों की तुलना में छोटा होता है।
पहली बार जारी हुआ भारतीयों के दिमाग का एटलस
'द हिन्दू' की खबर के अनुसार, संस्थान ने पहली बार भारतीयों के दिमाग का एटलस जारी किया गया है। न्यूरॉलोजी इंडिया मेडिकल जरनल में प्रकाशित इस अध्ययन को दिमागी बीमारियों मसलन अल्जाइमर एवं अन्य रोगों को ध्यान में रखकर किया गया है, ताकि उनके इलाज में मदद मिल सके।
दिमागी विकारों पर नजर रखने में मिलेगी मदद
अध्ययन पर काम कर रहीं सेंट्रर फॉर विजुअल इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी की जयंती शिवास्वामी ने बताया कि दिमाग से जुड़ी बीमारियों को मॉनिटर करने के लिए मॉन्ट्रियल न्यूरॉलजिकल इंस्टीट्यूट टेंपलेट का उपयोग मानक के रूप में उपयोग किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस टेम्पलेट को कोकेशन ब्रेन्स को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है, लेकिन यह टेंपलेट भारतीयों के दिमाग से जुड़ी बीमारियों को जांचने के लिए आदर्श नहीं है। जयंती का कहना है कि चूंकि भारतीयों का दिमाग टेंपलेट से छोटा होता है और यह बात कई स्कैन में सही साबित हुई है।
शोधकर्ताओं ने एमआरआई इमेज के एमएनआई इमेज से तुलनात्मक अध्ययन कर यह रिसर्च किया है। चूंकि मानक टेंपलेट से भारतीयों का दिमाग छोटा है, इस वजह से कई बीमारियों की सही जानकारी नहीं मिल पाती है और कई बार यह गलत निदान का कारण भी बनता है।
100 लोगों पर हुआ अध्ययन
जयंती ने बताया कि टेंपलेट निर्माण के लिए चीन और कोरिया के लोगों के ब्रेन का स्ट्रक्चर बनाया गया, लेकिन भारतीयों के दिमाग का एटलस बनाने का यह पहला प्रयास है।
दिमाग के इस इस एटलस को तैयार करने के लिए 50 महिलाओं और 50 पुरुषों का एमआरआई किया गया। इस दौरान किसी भी तरह की अनियमितता या गड़बड़ी से बचने के लिए तीन अलग-अलग अस्पतालों में तीन अलग-अलग स्कैन किए गए।