लाइव न्यूज़ :

डायबिटीज की बढ़ती महामारी, भारत में 60 करोड़ लोग खतरे की दहलीज पर, बच्चों से लेकर वृद्धों तक स्थिति चिंताजनक

By मुकेश मिश्रा | Updated: November 8, 2025 15:49 IST

देशभर में डायबिटीज़ एक विस्फोटक महामारी का रूप ले चुका है, जिसका प्रभाव अब हर आयु वर्ग पर गहराता जा रहा है। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबीटीज़ इन इंडिया (आरएसएसडीआई) के म.प्र. राज्य सचिव व इंदौर के डॉक्टर राजेश अग्रवाल ने हाल ही में जबलपुर में संपन्न राष्ट्रीय सम्मेलन "न्यू डायमेंशन इन डायबिटीज" में भारत में डायबिटीज़ की चिंताजनक स्थिति पर गंभीर चेतावनी दी।

Open in App
ठळक मुद्देडायबिटीज की बढ़ती महामारी, भारत में 60 करोड़ लोग खतरे की दहलीज पर, बच्चों से लेकर वृद्धों तक स्थिति चिंताजनक

देशभर में डायबिटीज़ एक विस्फोटक महामारी का रूप ले चुका है, जिसका प्रभाव अब हर आयु वर्ग पर गहराता जा रहा है। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबीटीज़ इन इंडिया (आरएसएसडीआई) के म.प्र. राज्य सचिव व इंदौर के डॉक्टर राजेश अग्रवाल ने हाल ही में जबलपुर में संपन्न राष्ट्रीय सम्मेलन "न्यू डायमेंशन इन डायबिटीज" में भारत में डायबिटीज़ की चिंताजनक स्थिति पर गंभीर चेतावनी दी। उन्होंने बताया कि देश में लगभग 25 करोड़ लोग मोटे हैं और करीब 35 करोड़ लोगों में पेट का मोटापा है, जो डायबिटीज़ के दहलीज पर खड़े हैं। कुल मिलाकर लगभग 60 करोड़ लोग डायबिटीज बनने की कगार पर हैं, जिन्हें जीवनशैली सुधार और समय पर ध्यान देने से इस बीमारी से बचाया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने एपिजेनेटिक्स के बढ़ते प्रभाव की तरफ इशारा करते हुए बताया कि अब जीन में पर्यावरणीय बदलावों की वजह से यह बीमारी गरीब, मेहनतकश और युवा वर्ग में भी बढ़ रही है।

साथ ही उन्होंने प्री-डायबिटीज़ की गंभीरता पर बल दिया, जहां सही इलाज से थोड़ी देर के लिए बीमारी को उलटा किया जा सकता है, लेकिन यह स्थायी नहीं होता और दोबारा लौटना आम बात है। इसलिए प्री-डायबिटीज वाले मरीजों को सतर्क रहना और निरंतर मॉनिटरिंग जारी रखना आवश्यक है, अन्यथा यह बीमारी जीवन के हर पहलू में क्षति पहुंचा सकती है। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार भारत में वयस्कों (20-79 वर्ष) में डायबिटीज़ की प्रचलन दर लगभग 10.5% है, जो करीब 9 करोड़ से अधिक मरीजों के बराबर है। डब्ल्यूएचओ और आईडीएफ के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2050 तक यह संख्या 15 करोड़ से भी ऊपर पहुंच सकती है। राज्यवार तुलना करें तो तमिलनाडु, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में डायबिटीज़ का प्रचलन 12-14% के बीच है, जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में यह 8-10% के आसपास पाया गया है। मोटापा, शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव मुख्य कारण बताए जा रहे हैं।

बच्चों और किशोरों में भी स्थिति गंभीर है। 0 से 19 वर्ष की उम्र के लगभग 1.1 करोड़ बच्चे प्रीक्लिनिकल डायबिटीज़ के जोखिम में हैं। कम उम्र के बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज़ और किशोरों में टाइप 2 डायबिटीज़ बढ़ रही है, जो मोटापे और हार्मोन असंतुलन की वजह से होती है। 10-19 वर्ष के लगभग 5-7% किशोर इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। विशेषज्ञ स्कूलों और समुदायों में स्वस्थ जीवनशैली की जागरूकता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं ताकि इस संकट को रोका जा सके।यह महामारी केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं है, बल्कि करोड़ों परिवारों की आर्थिक स्थिति और देश की विकास क्षमता के लिए भी खतरा बन चुकी है। डॉ. राजेश अग्रवाल सहित देश भर के विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि जन-स्वास्थ्य रणनीतियाँ, जीवनशैली सुधार, स्वास्थ्य शिक्षा, और नियमित जांच को प्राथमिकता देकर ही भारत इस समस्या का मुकाबला कर सकता है। सरकार और स्वास्थ्य संस्थान इस दिशा में अनेक प्रयास कर रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता की बेहद जरूरत है।डायबिटीज़ की बढ़ती जटिलताओं को देखते हुए थायराइड और हॉर्मोन विकार भी इस बीमारी के साथ जुड़े पाए गए हैं, जो मरीजों के इलाज को और भी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। विशेषज्ञ लगातार इसका शमन करने के लिए पोषण, व्यायाम, और दवाओं के साथ नए स्मार्ट स्वास्थ्य निगरानी तकनीकों को भी अपना रहे हैं।

टॅग्स :हेल्थ टिप्सडायबिटीज
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यBengaluru: सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सेक्सुअल हेल्थ के इलाज के लिए बैंक लोन लेकर खरीदी थी जड़ी-बूटी, हो गई किडनी की समस्या, ₹48 लाख का हुआ नुकसान

स्वास्थ्यDinner Timing Matters: सर्दियों में जल्दी खाना क्यों बन सकता है हेल्थ गेम-चेंजर?

स्वास्थ्यअध्ययन: बच्चों में बढ़ती हिंसा और उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

स्वास्थ्यभारतीय वैज्ञानिकों ने गर्भ के अंदर 'जेनेटिक स्विच' का पता लगाया, गर्भावस्था में हो सकता मददगार

स्वास्थ्यक्या ‘बेरी’ खाना सुरक्षित है? कीटनाशक डाइमेथोएट के बारे में चिंता करना कितना सही

स्वास्थ्य अधिक खबरें

स्वास्थ्यपराली नहीं दिल्ली में जहरीली हवा के लिए जिम्मेदार कोई और?, दिल्ली-एनसीआर सर्दियों की हवा दमघोंटू, रिसर्च में खुलासा

स्वास्थ्यखांसी-जुकामः कफ सीरप की बिक्री पर लगाम कसने की कोशिश

स्वास्थ्यपुरुषों की शराबखोरी से टूटते घर, समाज के सबसे कमजोर पर सबसे ज्यादा मार

स्वास्थ्यकश्‍मीर की हवा, कोयला जलाने की आदत, आंखों में जलन, गले में चुभन और सांस लेने में दिक्कत?

स्वास्थ्यखतरनाक धुएं से कब मुक्त होगी जिंदगी?, वायु प्रदूषण से लाखों मौत