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बच्चे के पैदा होते ही कराएं श्रवण क्षमता की जांच, हर 10 हजार में से एक बच्चे को है ये समस्या

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 26, 2018 10:51 IST

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10 हजार में से एक बच्चे को श्रवण (सुनने) की समस्या होती है. उन्नत तकनीक की वजह से जन्म से बहरेपन की शिकायत को भी दूर किया जा सकता है. इसके लिए मर्ज का पता समय पर लगना चाहिए. बच्चे के जन्म के साथ ही अगर ओटोएक्यूस्टिक इमिशन (ओएई) टेस्ट कराया जाए तो उसके बहरेपन की समस्या पता चल जाएगी. साल भर में उसके लिए उपाय कर बच्चे में कॉक्लियर इम्प्लांट कर बहरेपन की समस्या हल हो जाएगी. उसका जीवन भी प्रभावित नहीं होगा.

यह सुझाव शहर के प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञों ने दिया. महाराष्ट्र सरकार, टाटा ट्रस्ट की मदद से ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से पिछले तीन वर्षों में सफलतापूर्वक 108 जरूरतमंद व गरीब बच्चों का कॉक्लियर इम्प्लांट किया गया. ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल के गीता प्रोजेक्ट अंतर्गत की गई इन सर्जरी की सराहना पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने की.

सोमवार को पालकमंत्री ने सफल ऑपरेशन करा चुके बच्चों से मुलाकात की. पालकमंत्री बावनकुले ने कहा कि ऑपरेशन के बाद स्पीच थेरेपी और बुजुर्गों के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के लिए आर्थिक मदद पर विचार किया जा रहा है. मुंबई में पहले कॉक्लियर इम्प्लांट की सर्जरी होती थी.

नागपुर में यह सुविधा शुरू होने से काफी मदद मिली है. गरीब बच्चों को फायदा हुआ है. कार्यक्रम के दौरान विभागीय आयुक्त संजीव कुमार, टाटा ट्रस्ट के इंडिविजूअल ग्रांट्स प्रोग्राम के प्रमुख कुमार चैतन्य, स्वास्थ्य उपसंचालक डॉ. संजय जायस्वाल, ऑरेंज सिटी अस्पताल के चेयरमैन उदयभास्कर नायर प्रमुख अतिथि के तौर पर उपस्थित थे.

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