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alzheimer's disease treatment: आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने दिमागी बीमारी अल्जाइमर के बारे में महत्वपूर्ण खोज की

By उस्मान | Updated: November 23, 2021 12:35 IST

वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जैव-आणविक तंत्र की खोज की है जो अक्सर अल्जाइमर रोग में देखा जाता है

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ठळक मुद्देवैज्ञानिकों ने एक जैव-आणविक तंत्र की खोज की है यह तंत्र अक्सर अल्जाइमर रोग में देखा जाता हैइस खोज से अल्जाइमर रोग को समझना होगा आसान

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने प्रोटीन समूहों और समुच्चय के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण जैव-आणविक तंत्र की खोज की है जो अक्सर अल्जाइमर रोग में देखा जाता है। 

आईआईटी मंडी, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ब्रिटेन और दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक अंतर-संस्थागत टीम ने एपीपी प्रोटीन के ‘सिग्नल पेप्टाइड’ के एकत्रीकरण स्वरूप का अध्ययन किया। 

सिग्नल पेप्टाइड’ एक कोशिका को प्रोटीन को स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करने का कार्य करते हैं, आमतौर पर सेलुलर झिल्ली में। शोध दल के निष्कर्ष हाल में ‘सेल रिपोर्ट्स फिजिकल साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। 

शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘एमिलॉयड प्रीकर्सर प्रोटीन’ (एपीपी) सिग्नल पेप्टाइड अन्य पेप्टाइड्स के साथ मिलकर एमिलॉयड बीटा पेप्टाइड (एबी42) जैसे समुच्चय बना सकता है जो कोशिकाओं के बाहर जमा होता है और रोगों का कारण बनते हैं। 

स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर रजनीश गिरि ने कहा, ‘‘एपीपी में अब तक केवल एबीß क्षेत्र को विषाक्त समुच्चय बनाने के लिए जाना जाता था। यहां, हमने पाया कि एमिलॉयड प्रीकर्सर प्रोटीन का सिग्नल पेप्टाइड न केवल कोशिका को नुकसान पहुंचाने वाला समुच्चय बनाता है, बल्कि एबी42 पेप्टाइड के एकत्रीकरण को भी बढ़ाता है।’’

अल्जाइमर रोग क्या है

अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, और यह समय के साथ स्मृति और अन्य आवश्यक मानसिक कौशल को प्रभावित करता है। पचास से अधिक बीमारियां हैं जो प्रोटीन एकत्रीकरण से जुड़ी हैं। 

याददाश्त को प्रभावित करने वाली अल्जाइमर बीमारी जोकि एक प्रकार का मनोभ्रंश है जिसमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं या मर जाती हैं, वह धीरे-धीरे कई लोगों को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। 

अल्जाइमर रोग का कारण

अल्जाइमर रोग होने का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, फिर भी निदान के अनुसार, यह पाया जाता है कि मस्तिष्क समय के साथ सिकुड़ने लगता है। सबसे पहले इसका असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है जो याददाश्त को कम करने का कारण बनता है। वैज्ञानिक अन्वेषण के अनुसार, लक्षण दिखाई देने से पहले जीवनशैली में परिवर्तन होने लगता है।

मस्तिष्क की कोशिकाओं के चारों ओर एमीलोइड प्लेक नामक एक प्रोटीन दिखने लगता है। मस्तिष्क कोशिकाओं के भीतर टाऊ नामक एक दूसरे प्रोटीन के इकट्ठा होने से गांठे बनने लगती हैं। अल्जाइमर रोग से ग्रस्त लोगों के मस्तिष्क में एक न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलॉक्लिन का स्तर कम हो जाता है।

 

अल्जाइमर रोग की पहचान कैसे करें?

अल्जाइमर रोग का केवल लक्षणों से पहचान नहीं की जा सकती है। अल्जाइमर रोग के लक्षणों में हैं- 

- नई चीजों को समझने की क्षमता में कमी- भटकाव - बात को दोहराना और एक ही बात बार-बार पूछना- व्यवहार और समझ में परिवर्तन- संवेदनाओं की कमी- चेहरों और वस्तुओं को पहचानने में असमर्थता- पढ़ने में कठिनाई - चीजों को इधर-उधर रखना- गलत निर्णय और निर्णय लेने में कठिनाई- चिंता और भटकाव- अनिद्रा, भ्रम और भयावहता- बोलने में कठिनाई

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