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सांप काटने पर मृतक के परिवार को मिल सकता है 4 लाख का मुआवजा, जानें नियम और कैसे मिलेगा बैंक खाते में पैसा

By आजाद खान | Updated: August 17, 2023 13:38 IST

सांप के काटने से मरने वालों लोगों के परिवार वालों को इसके लिए मुआवजा भी मिल सकता है। लेकिन इसके रकम को पाने के लिए लाश का पोस्टमॉर्टम कराना जरूरी है साथ ही यह भी पुष्टि करना की मृतक की मौत सांप के काटने से ही हुई है।

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ठळक मुद्देभारत में हर साल लाखों की तादात में लोग सांप के काटने से मरते है। ऐसे में सरकार मृतक के परिवार को इस मौत के लिए मुआवजा भी देती है। यही नहीं किसानों को किसान बीमा योजना के तहत भी मुआवजा मिल सकता है।

Snake Bite Death Compensation: भारत में सांपों की कुल 276 प्रजातियां मिलती है और इनके काटने से हर साल भारी संख्या में लोग मरते है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और राज्य सरकार इसे एक आपदा मानती है। ऐसे में देश में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जो सांप के काटने को आपदा मानते हुए इसके लिए मुआवजे का एलान भी करते है। 

इस हालत में पीड़ित शख्स के परिवार या फिर करीबी रिश्तेदार को इस मुआवजे का रकम मिलता है। केरल जैसे राज्य में तो बर्र या जहरीली मक्‍खी के काटने पर भी मुआवजा मिलता है। 

पोस्टमॉर्टम करना है जरूरी, 4 लाख मिलता है मुआवजा

बता दें कि जिन लोगों को सांप काट लेता है और उनकी मौत हो जाती है तो इस हालत उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के सरकार से उन्हें चार लाख तक का मुआवजा मिलता है। यही नहीं यदि किसी किसान को सांप काटता है, तो उसे किसान बीमा योजना के तहत भी मुआवजा मिल सकता है।

इसके अलावा इस मुआवजे को पाने के लिए मृतक का पोस्टमॉर्टम करना जरूरी होता है नहीं तो मुआवजे का पैसा नहीं मिलेगा। इस हालत में लोगों के सरकार की दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए जैसे कि पीड़‍ित की सूचना लेखपाल को देना, पीड़‍ित को पोस्टमॉर्टम करवाना और रिपोर्ट जमा करना आदी। यह कार्रवाई तहसीलदार और अधिकारीगण द्वारा जारी की जाती है।

ऐसे मिलेगा मुआवजा

मुआवजा पाने के लिए सबसे पहले आपको लेखपाल को इसकी सूचना दी जानी चाहिए कि इस शख्स की सांप काटने से मौत हो गई है। इसके बाद मृतक का पोस्टमॉर्टम कराना चाहिए और फिर लेखपाल पीड़‍ित के सबसे नजदीकी संबंधी का अकाउंट नंबर, आधार कार्ड आदि कागजात इकठ्ठे कर लेता है। 

ऐसे में जैसे ही पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आती है इसका फाइल बनाकर तहसीलदार को भेजी जाती है। इसके बाद एसडीएम से अनुमति मिलते हुए एडीएम फाइनेंस एंड रेवेन्‍यू के पास आती है और जिले के कोष से पैसा तत्‍काल भेजने के आदेश दिए जाते हैं। अगर 48 घंटे में पैसे नहीं मिलते है तो इस संबंध में कार्रवाई भी हो सकती है। 

 

टॅग्स :Health and Family Welfare Departmentभारतउत्तर प्रदेश
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