निपाह वायरस के लिए फल नहीं मनुष्य खुद जिम्मेदार, भूखे-तनावग्रस्त चमगादड़ों से फैला वायरस
By उस्मान | Published: May 23, 2018 06:04 PM2018-05-23T18:04:11+5:302018-05-23T18:04:11+5:30
डबल्यूएचओ के अनुसार, चमगादड़ों से मनुष्यों और जानवरों में वायरस संक्रमण होने की वजह यह है कि चमगादड़ों के प्राकृतिक पर्यावास यानी स्रोत और ठिकाने खत्म हो गए.
निपाह वायरस से केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम में एक नर्स सहित 10 लोगों की मौत हो चुकी है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इस जानलेवा वायरस के फैलने के लिए मनुष्यों को ही जिम्मेदार माना जा सकता है. कई अध्ययन इस बात के पुष्टि करते हैं कि इस वायरस के मूल स्रोत फ्रूट बैट यानी फल खाने वाले चमगादड़ ही थे. सबसे पहले निपाह वायरस 1988 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव में पाया गया था. खजूर खाने वाले लोगों तक सबसे पहले यह वायरस पहुंचा. मलेशिया में चमगादड़ मानव बस्तियों से दूर हमेशा से जंगलों में ही रहते थे. उन्हें जब तक भोजन मिलता रहा, तब तक वो वहां रहे. डबल्यूएचओ के अनुसार, चमगादड़ों से मनुष्यों और जानवरों में वायरस संक्रमण होने की वजह यह है कि चमगादड़ों के प्राकृतिक पर्यावास यानी स्रोत और ठिकाने खत्म हो गए.
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दरअसल तेजी से होते विकास और बढ़ती आबादी की वजह से मलेशिया में जंगल कटने लगे और चमगादडों के ठिकाने खत्म होते चले गए. खासकर पिछले 200 साल में वनों की कटाई की दर काफी तेज हुई है. इंसानों का जंगलो पर कब्जा और चमगादड़ों के स्रोत व ठिकाने नष्ट हो जाने के बाद वे भूखे और तनावग्रस्त हो गए. उनका इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने लगा जिस वजह से उनके शरीर के भीतर वायरस बढ़ गए और ऐसे तमाम वायरस उनके पेशाब तथा लार से बाहर आने लगे.
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अब तक कयास लगाए जा रहे थे कि निपाह वायरस के इंसानों में पहुंचने के पीछे फलों का सेवन एक वजह हो सकती है. लेकिन केरल पहुंची विशेषज्ञों की टीम ने कुछ और ही स्थिति बयां की है. टीम को कोझिकोड जिले टीम को तीन कुओं में करीब दो हजार चमगादड़ मिले हैं. इसलिए बीमारी को काबू में करने के लिए केरल वन विभाग कुओं में जाल डालकर चमगादड़ों को पकड़ने के काम में जुट गया है.
(फोटो- सोशल मीडिया)