Health Budget 2020: बढ़ती बीमारियां, घटती सेवाएं, क्या 'बजट-2020' में हो पाएगा स्वास्थ्य क्षेत्र का इलाज
By उस्मान | Published: January 21, 2020 03:03 PM2020-01-21T15:03:49+5:302020-01-23T15:59:09+5:30
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए सरकार इस 'बजट-2020' में कितना प्रावधान रखेगी इस पर भी सबक नजर रहेगी।
Health Budget 2020: बजट की तैयारी अब जोरों पर है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना दूसरा केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट में दूसरे क्षेत्रों की तरह ही आम लोगों से जुड़े स्वास्थ्य क्षेत्र को भी बड़ी उम्मीदें हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए सरकार इस 'बजट-2020' में कितना प्रावधान रखेगी इस पर भी सबक नजर रहेगी।
मोदी सरकार का पिछला स्वास्थ्य बजट पिछले दो वर्षों की तुलना में अधिक था लेकिन देश की बढ़ती आबादी और तेजी से फैल रही बीमारियों को देखते हुए स्वास्थ्य बजट काफी नहीं था। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में कम खर्च करती है जिस वजह से इस क्षेत्र में सुधार नहीं हो पाता है। देश में अभी भी अस्पतालों की भारी कमी है। सबसे जरूरी है कि सरकार इस बार के बजट में मेडिकल सेवाओं पर ज्यादा ध्यान दें जिससे अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की हालत में सुधार किया जाए।
स्वास्थ्य बजट 2020 में कितना होगा आवंटन?
इकोनॉमिकटाइम्स के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-2020 वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 62,659.12 करोड़ रुपये खर्च की घोषणा की थी। यह राशि पिछले दो वित्तीय वर्षों का सर्वाधिक थी। वित्तीय वर्ष 2018-2019 की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में तकरीबन 19 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई थी। उससे पिछले वित्तीय वर्ष में यह रकम 52,800 करोड़ रुपये थी। अब देखना यह होगा कि सरकार इस साल के लिए कितने रुपये आवंटन करेगी।
क्या मिलेगा मोदी के 'आयुष्मान भारत' को?
इस क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन 60,908.22 करोड़ रुपये थे जबकि केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के लिए 6,400 करोड़ रुपये रखे गए थे।
सिर्फ 2 करोड़ बढ़कर मिले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के लिए 2019-20 के लिए 32,995 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, जोकि पिछले बजट में केवल 30,129.61 करोड़ रुपये थे। एनएचएम में आने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY)के लिए 156 करोड़ रुपये का आवंटन रखा गया था।
एड्स कंट्रोल प्रोग्राम पर बढ़े सिर्फ 400 करोड़
सरकार ने अपने राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 400 करोड़ रुपये की वृद्धि करके 2,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जोकि पिछले बजट में 21,100 करोड़ रुपये था।
एम्स के लिए 3,599.65 करोड़
सरकार ने एम्स के लिए बजटीय आवंटन 3,599.65 करोड़ रुपये रखा था जोकि पिछले बजट में केवल 3,018 करोड़ था।
एनएमएचपी का बजट हुआ कम
नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम में 50 करोड़ रुपये से 40 करोड़ रुपये तक की गिरावट देखी गई, जबकि कैंसर, मधुमेह, कार्डियो-संवहनी रोग और स्ट्रोक के रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए बजटीय आवंटन 295 करोड़ रुपये से 175 करोड़ रुपये कर दिया गया।
टेरटियरी केयर प्रोग्राम का बजट हुआ कम
टेरटियरी केयर प्रोग्राम के लिए कुल बजटीय आवंटन में 200 करोड़ रुपये की गिरावट देखी गई, जो 2018-19 में 750 करोड़ रुपये था जोकि इस वित्त वर्ष में 550 करोड़ रुपये रहा।
नर्सिंग सेवाओं का भी रहा बुरा हाल
नर्सिंग सेवाओं के के लिए 64 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, फार्मेसी स्कूलों और कॉलेजों को अपग्रेड करने के लिए 5 करोड़ रुपये, जिला अस्पतालों और राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेजों (स्नातकोत्तर सीटों) को अपग्रेड करने के लिए 800 करोड़ रुपये।