आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को औषधीय गुणों का खजाना माना गया है। इस पवित्र पौधे का धार्मिक महत्त्व भी है। इसक उपयोग दशकों से मुख्य रूप से घरेलू उपचार के रूप में किया जाता रहा है। तुलसी के पौधे को चाय, रस, और सूखे पाउडर के रूप में विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है।
तुलसी के पोषक तत्व
तुलसी विटामिन और खनिज का भंडार हैं। इसमें मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है। इसके अलावा इसमें सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है। तुलसी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।
खाली पेट में तुलसी के पत्ते खाने के फायदे
खाली पेट में तुलसी के पत्ते खाने से आपको आंतरिक स्वास्थ्य और बाहरी दोनों तरह से फायदे हो सकते हैं। वर्षों से, तुलसी के पत्तों को उपचार के लिए सबसे बड़ी जड़ी-बूटियों में से एक माना जाता है। सुबह-सुबह तुलसी के पत्ते खाने से इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत बनता है। तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो संक्रमण से लड़कर शरीर को मजबूत बनाता है।
इम्यूनिटी सिस्टम होगा मजबूतसुबह खाली पेट तुलसी के पत्तों को चबाना चाहिए। तुलसी के पत्तों में ऐंटिऑक्सिडेंट्स होता है जो शरीर को फ्री-रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाकर रखता है। साथ ही तुलसी के पत्ते सूजन को कम करने और तनाव दूर करने में भी मदद कर सकते हैं।
कैंसर के जोखिम को कम करता हैतुलसी के पत्तों में एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। ये घटक धमनियों में रक्त प्रवाह को सीमित करके ओरल और ब्रेस्ट के विकास को रोकने में मदद करते हैं।
ब्लड शुगर रहता है कंट्रोलसुबह उठकर तुलसी के पत्ते चबाने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है। यह डायबीटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। तुलसी के पत्ते खाने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट और फैट का मेटाबॉलिज्म सही रहता है जिससे खून में मौजूद शुगर आपको एनर्जी देने का काम करता है।
फेफड़ों के रोगों से बचाने में सहायकतुलसी के पत्ते कैफीन, विटामिन सी, सिनेोल और यूजेनॉल से भरपूर होते हैं जो फेफड़ों में संक्रमण को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, तुलसी के पत्तों को फेफड़ों में नुकसान के लिए एक आवश्यक दवा माना जाता है जो मुख्य रूप से तपेदिक और धूम्रपान के कारण होता है।
जोड़ों के दर्द से मिलती है राहतजोड़ों में होने वाली सूजन और जलन की समस्या को दूर करने में तुलसी बेहतर विकल्प है। इसमें सूजन कम करने वाले एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। तुलसी अर्थराइटिस यानी गठिया की समस्या से पीड़ित मरीजों के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह जोड़ों में दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करती है।
तनाव से मिलती है राहततुलसी में शरीर में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल के लेवल को बनाए रखने में सहायक है। शरीर में कॉर्टिसोल का लेवल कम होने से तनाव भी कम होता है। इससे बेचैनी दूर करने और मूड फ्रेश करने में मदद मिलती है।
पाचन रहता है दुरुस्ततुलसी पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक है। तुलसी पाचन के लिए जरूरी गैस्ट्रिक जूस को जारी करने के लिए शरीर को उत्तेजित करती है जिससे पाचन आसानी से होता है। इसके अलावा यह लीवर और ब्लैडर को डिटॉक्स करने में भी मदद करती है।
सर्दी-खांसी होती है खत्मतुलसी में पाया जाने वाला यूजिनॉल और ऐंटिऑक्सिडेंट्स बलगम और म्यूकस को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही साथ तुलसी की चाय में ऐंटिसेप्टिक और ऐंटि-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज भी होती हैं जिससे सर्दी-खांसी के लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है।