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स्वाद और गंध खोने वालों कोरोना से संक्रमित मरीजों के लिए अच्छी खबर, संक्रमण के कारण हो रहा है उन्हें यह फायदा- रिसर्च में दावा

By आजाद खान | Updated: December 23, 2022 19:34 IST

इस रिपोर्ट में यह देखा गया है कि जिन कोरोना के मरीजों की यह शिकायत थी कि उनका स्वाद और गंध खो गया है, टेस्ट के दौरान उनका एंटीबॉडी को दोगुना होते देखा गया है।

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ठळक मुद्देकोरोना से संक्रमित मरीजों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। जिन मरीजों के स्वाद और गंध खो गए है, यह उनके लिए फायदे की बात है।इस रिपोर्ट में ऐसे मरीजों में एंटीबॉडी के विकसित होने की बात सामने आई है।

Covid19 Good News: कोरोना मरीजों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। खबर के अनुसार, कोरोना संक्रमण के दौरान जिन लोगों ने यह शिकायत की थी कि उनका स्वाद और गंध चला गया है, ऐसे में संक्रमण से ठीक होने के बाद भी इन लोगों की इम्यूनिटी मजबूत हुई है। 

अगर आसाम शब्दों में हम इसे कहेंगे तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इन मरीजों में कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी मजबूत हुई है। आपको बता दें कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हो जाते है उनमें यह देखा गया है कि उनका स्वाद और गंध दोनों चला जाता था। ऐसे में जब ये मरीज वैक्सीन ले लेते है तो उनकी यह शिकायत कम हो जाती है। 

क्या है खुलासा

मिंट में छपी खबर के मुताबिक, अमेरिकी की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इस बात का खुलासा किया गया है कि कोविड से संक्रमित मरीजों का गंध और स्वाद जाना उनके लिए अच्छा है। PLOS ONE जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे और वे अभी भी ठीक है, उनमें इंफेक्शन के लंबे समय के बाद भी एंटीबॉडी को दोगुना होते देखा गया है। 

इसके लिए कोरोना से संक्रमित हुए 306 लोगों को टेस्ट हुआ था जिसमें से 176 लोगों में यह पाया गया कि उनमें कोविड के खिलाफ लड़ने वाले एंटीबॉडी विकसित हो गया है। वहीं अगर बात करेंगे बाकी 90 लोगों का तो उनका रिपोर्ट निगेटिव आया है। 

क्या निकला है नतीजा

ऐसे में जब इस टेस्ट का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि जिन लोगों ने यह शिकायत की थी कि कोरोना से संक्रमित होने बाद उनका स्वाद और गंध गायब हो गया है, उनमें कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो गई है। वहीं जिन लोगों को यह शिकायत नहीं थी कि उनका स्वाद और गंध गया है उन में से सिर्फ आधे लोगों में एंटीबॉडी विकसित हुई है। ऐसे में इन लोगों में एंटीबॉडी विकसित की संभावना आधी रह जाती है। 

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