कोरोना वैक्सीन: एक्सपर्ट के बाद एपेक्स कमेटी और फिर जाकर मिलेगी डीजीसीआई से मंजूरी

By एसके गुप्ता | Updated: December 31, 2020 19:17 IST2020-12-31T19:16:53+5:302020-12-31T19:17:43+5:30

कोविड का मामलाः  पहली कंपनी है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया। दूसरी भारत बायोटेक और तीसरी कंपनी फाइज़र है। डीसीजीआई ने कंपनियों के इमरजेंसी अप्रूवल के आवेदन को सरकार की 7 सदस्य एक्सपर्ट कमेटी के पास भेजा है।

covid coronavirus Corona vaccine Apex committee after expert committee and then will get approval from DGCI | कोरोना वैक्सीन: एक्सपर्ट के बाद एपेक्स कमेटी और फिर जाकर मिलेगी डीजीसीआई से मंजूरी

एपेक्स कमेटी की सिफारिश डीसीजीआई को जाएगी। इसके बाद वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिलेगी। (file photo)

Highlightsवैक्सीन के इस्तेमाल के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए डीसीजीआई में आवेदन किया है।कमिटी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल डेटा का अध्ययन कर रही है। एपेक्स समिति के पास विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश जाती है।

नई दिल्लीः कई फार्मा कंपनियों का दावा है कि वे कोरोना वैक्सीन की अंतिम रेखा के करीब हैं। कोरोना के अंत के लिए सरकार किस वैक्सीन को मंजूरी देगी और किन्हें नहीं, इसका फैसला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया करेगा। 

तीन कंपनियों ने अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए डीसीजीआई में आवेदन किया है। पहली कंपनी है सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया। दूसरी भारत बायोटेक और तीसरी कंपनी फाइज़र है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीसीजीआई ने कंपनियों के इमरजेंसी अप्रूवल के आवेदन को सरकार की 7 सदस्य एक्सपर्ट कमेटी के पास भेजा है।

 ये कमिटी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल डेटा का अध्ययन कर रही है। पहले विशेषज्ञों की समिति विचार करेगी, फिर एपेक्स समिति के पास विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिश जाती है। एपेक्स समिति में स्वास्थ्य मंत्रालय के विभागों के सचिव व अन्य अधिकारी होते हैं। एपेक्स कमेटी की सिफारिश डीसीजीआई को जाएगी। इसके बाद वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल मिलेगी।

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया भारत सरकार के सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) का विभाग है। अमेरिका में जो काम फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) करता है वहीं काम सीडीएससीओ भारत में करता है। जिसका हिस्सा डीसीजीआई है। 

जिसका काम खास कैटेगरी की दवाओं, वैक्सीन, ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट्स को अप्रूव करना और लाइसेंस देना है। डीसीजीआई भारत में दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग, सेल, आयात और डिस्ट्रीब्यूशन को लेकर नियम भी तय करता है।

अप्रूवल से पहले : फेज वाइज 3 ट्रायल, 3 हजार लोगो का ट्रायल में शामिल होना और वैक्सीन का 50 फीसदी प्रभावी होना है जरूरी :

वैक्सीन ट्रायल तीन फेज में होता है। हर फेज में वैक्सीन ट्रायल के अप्रूवल की ज़रूरत होती है। हर फेज में अलग-अलग आयु वर्ग के हजारों लोगों पर ट्रायल होते हैं। अंतिम अप्रूवल से पहले सुनिश्चित किया जाता है कि वैक्सीन सुरक्षित है। अगर वैक्सीन सुरक्षित है, तुलनात्मक नतीजे सकारात्मक हैं तो ही उसे इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (ईयूए) का अप्रूवल दिया जाता है।

इमरजेंसी अप्रूवल तभी दी जाती है, जब फेज-3 ट्रायल का पर्याप्त डेटा मौजूद हो। फेज-एक और दो के ट्रायल डाटा के आधार पर वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं दी जा सकती है। अमेरिका की नियामक संस्था एफडीए ने स्पष्ट किया है कि ईयूए मंजूरी तभी मिलेगी जब जब तीसरे चरण के डेटा से यह स्पष्ट होगा कि वैक्सीन महामारी रोकने में न्यूनतम 50 फीसदी प्रभावी है। इसके अलावा वैक्सीन का ट्रायल कम से कम 3 हजार लोगों पर हुआ हो।

हालांकि भारत के ड्रग रेगुलेशन में ईयूए के स्पष्ट प्रावधान नहीं हैं और इसकी प्रक्रिया साफ तौर पर परिभाषित नहीं है। फिर भी कोरोना महामारी के मद्देनजर सीडीएससीओ कई दवाओं को ईयूए मंजूरी दे चुका है, इन दवाओं में रामेडेसविर और  फेविपिराविर शामिल हैं। ये दवाएं पहले से दूसरी बीमारियों के लिए अधिकृत थीं, लेकिन इन्होंने कोविड-19 को लेकर सीमित टेस्टिंग में कुछ उम्मीद जगाई, तो इन्हें इमरजेंसी अप्रूवल दी गई।

Web Title: covid coronavirus Corona vaccine Apex committee after expert committee and then will get approval from DGCI

स्वास्थ्य से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे