प्लास्टिक और त्वचा पर ज्यादा देर तक जिंदा रह सकता है ओमीक्रोन, जापान के वैज्ञानिकों की रिसर्च में खुलासा
By विनीत कुमार | Published: January 25, 2022 03:22 PM2022-01-25T15:22:29+5:302022-01-25T15:35:05+5:30
ओमीक्रोन वेरिएंट पर्यावरण में ज्यादा स्थिर तरीके से रह सकता है। ये खुलासा एक रिसर्च में हुआ है। ये भी पता चला है कि ये प्लास्टिक और इसानों की त्वचा ज्यादा लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
नई दिल्ली: कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट इस वायरस के पूर्व के अन्य स्ट्रेन के मुकाबले प्लास्टिक और इसानों की त्वचा ज्यादा लंबे समय तक जीवित रह सकता है। जापान के वैज्ञानिकों की एक नई शोध में इसका खुलासा हुआ है।
क्योटो प्रीफेक्चुरल यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि प्रयोगशाला में टेस्ट के दौरान ओमीक्रोन वेरिएंट मूल स्ट्रेन की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहे। इस स्टडी की हालांकि अभी समीक्षा करना बाकी है।
ओमीक्रोन: प्लास्टिक पर 193 घंटे जिंदा रहने की क्षमता
शोध के अनुसार प्लास्टिक की सतह पर कोरोना वायरस का मूल स्ट्रेन और अल्फा, बीटा, गामा सहित डेल्टा वेरिएंट क्रमश: 56 घंटे, 191.3 घंटे, 156.6 घंटे, 59.3 घंटे और 114 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। वहीं ओमीक्रोन वेरिएंट 193.5 घंटे (करीब 8 दिन) प्लास्टिक की सतह पर सक्रिय रह सकता है।
त्वचा पर 21 घंटे से ज्यादा समय तक रह सकता है सक्रिय
शोध के अनुसार शवों के चमड़े से लिए गए सैंपल में ये बात सामने आई कि ओमीक्रोन वेरिएंट इंसानी त्वचा पर 21.1 घंटे तक सक्रिय रह सकता है। इसके उलट कोरोना वायरस का मूल वेरिएंट औसतन 8.6 घंटे सक्रिय रह सकता है। वहीं अन्य वेरिएंट जैसे अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा क्रमश: 19.6 घंटे, 19.1 घंटे, 11 घंटे और 16.8 घंटे तक इंसान की त्वचा पर सक्रिय रह सकते हैं।
अध्ययन से पता चला है कि ओमीक्रोन पर्यावरण में बेहद स्थिर तरीके से रह सकता है। यह भी एक अहम कारण है जिससे कि ये वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है। यह बात भी सामने आई है कि त्वचा पर ओमीक्रोन सहित सभी वेरिएंट अल्कोहल आधारित सैनेटाइजर के इस्तेमाल के 15 सेकेंड में निष्क्रिय हो गए।
बता दें कि ओमीक्रोन वेरिएंट के बारे में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पिछले साल नवंबर में पता चला। इसके बाद अब यह लगभग पूरी दुनिया में फैल चुका है। इसकी वजह से कोरोना के मामले एक बार फिर पूरी दुनिया में बढ़ गए हैं।