कोरोना वायरस : वही हुआ जिसका सबको डर था, अब इस तरीके से फैलने लगा यह 'मौत' का वायरस
By उस्मान | Updated: February 10, 2020 14:25 IST2020-02-10T14:25:17+5:302020-02-10T14:25:17+5:30
इससे बचने के लिए अब सिर्फ पीड़ितों से दूर रहना ही काफी नहीं है

कोरोना वायरस
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 910 हो गई है। इसमें चीन में 908 और फिलीपींस व हॉन्ग कॉन्ग में एक-एक मरीज की मौत शामिल है। चीन में इसके संक्रमण के 40,000 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। अभी तक यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर ही दूसरे लोगों में फैल रह रहा था लेकिन अब जो खबर सामने आई है उसने पूरी दुनिया के लोगों की नींद उड़ा दी है।
एनटीडी के अनुसार, शंघाई के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि करोना वायरस अब हवा में मौजूद नमी में मिलकर फैलने लगा है और वह हवा में तैरते हुए दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है जिसे एयरोसोल ट्रांसमिशन कहा जा रहा है। बता दें कि सेवेर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स), खसरा, और एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा भी एरोसोल के माध्यम से फैलने में सक्षम हैं, जो एक विस्तारित अवधि के लिए हवा में रह सकते हैं।
अभी तक यह वायरस दो तरीकों से फैल रहा था। पहला, पीड़ित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने पर। इसमें संक्रमित व्यक्ति द्वारा खांसना और छींकना शामिल है। दूसरा, अगर पीड़ित व्यक्ति अपना मुंह, नाक या आंखों की झिल्लियों को हाथ लगाने के बाद किसी वस्तु को छूता है और उस वस्तु को दूसरा व्यक्ति छूता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से पास के व्यक्ति में संक्रमण पहुंचने की भी पुष्टि पहले ही हो चुकी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) के एक विशेषज्ञ, जियांग रोंगमेंग ने हालिया सम्मेलन में कहा कि पर्यावरण के आधार पर, वर्तमान वैज्ञानिक आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोनोवायरस सतहों पर कई घंटों या पांच दिनों तक जीवित रह सकता है।
हाल ही में शंघाई सिविल अफेयर्स ब्यूरो के डेप्युटी हेड ने बताया कि 'एयरोसोल ट्रांसमिशन का मतलब है कि वायरस हवा में मौजूद सूक्ष्म बूंदों से मिलकर एयरोसोल बना रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि इससे सांस लेने के कारण संक्रमण हो रहा है। लोगों को साफ कह दिया गया है कि इस वायरस से बचने के लिए वह जरूरी उपाय अपनाएं और लोगों में जागरुकता बढ़ाएं।
कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है लेकिन इनमें से केवल छह विषाणु ही लोगों को संक्रमित करते हैं। इसके सामान्य प्रभावों के चलते सर्दी-जुकाम होता है लेकिन ‘सिवीयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (सार्स) ऐसा कोरोनावायरस है जिसके प्रकोप से 2002-03 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोगों की मौत हो गई थी।
डब्ल्यूएचओ ने दी चेतावनी: कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर सतर्क रहे सभी देश
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस का संक्रमण चीन से बाहर फैलने को लेकर अन्य देशों को आगाह किया और उनसे अपील की है कि वे इस घातक विषाणु के उनके देश में पहुंचने की आशंका के मद्देनजर उससे निपटने के लिए तैयार रहें। डब्ल्यूएचओ प्रमुख तेदरोस अदहानोम गेब्रेयसस ने कहा कि उन लोगों के भी इस विषाणु से संक्रमित होने के ‘‘चिंताजनक मामले’’ सामने आए हैं जो कभी चीन नहीं गए।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक गेब्रेयसस ने ट्वीट किया, ‘‘उन लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के चिंताजनक मामले सामने आए हैं जो कभी चीन नहीं गए हैं। ऐसे कुछ मामलों का पता चलना अन्य देशों में इसके व्यापक प्रसार की ओर इशारा हो सकता है। संक्षेप में, यह संभवत: केवल शुरुआत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस लोक स्वास्थ्य आपात स्थिति में सभी देशों को इस विषाणु के पहुंचने की आशंका के मद्देनजर तैयार रहने के अपने प्रयास तेज कर देने चाहिए और इसके पहुंचते ही इसे काबू करने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए।’’
