अच्छी तरह समझ लें महिलाओं में किडनी रोग होने के 5 बड़े कारण, इस टेस्ट से इलाज होगा आसान
By उस्मान | Published: December 19, 2019 04:23 PM2019-12-19T16:23:16+5:302019-12-19T16:23:16+5:30
शुरूआती अवस्था में बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों किडनी 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज़ को इसका पता चल पाता है।
किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसके प्रति लापरवाही जानलेवा हो सकती है। खराब जीवनशैली और खाने-पीनी की गलत आदतों की वजह से हाल के वर्षों में दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मेडिकल साइंस में क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के नाम से पुकारे जाने वाले रोग का मतलब किडनी का काम करना बंद कर देना होता है। ऐसा माना जाता है कि पुरूषों के मुकाबले महिलाओं को किडनी की बीमारी ज्यादा होती है और हर वर्ष लाखों महिलाएं इसकी चपेट में आकर अपनी जान गंवा देती हैं।
14 प्रतिशत महिलाएं किडनी रोग से पीड़ित
भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट डाक्टर राजेश अग्रवाल ने बताया कि देश में औसतन 14 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरूष किडनी की समस्या से पीड़ित हैं और पूरे विश्व में 19.5 करोड़ महिलाएं किडनी की समस्या से पीड़ित है। भारत में भी यह संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है, यहां हर साल 2 लाख लोग इस रोग की चपेट में आते हैं। शुरूआती अवस्था में बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल होता है, क्योंकि दोनों किडनी 60 प्रतिशत खराब होने के बाद ही मरीज़ को इसका पता चल पाता है।
उन्होंने बताया कि किडनी या गुर्दा 'राजमा' की शक्ल जैसा अंग है, जो पेट के दायें और बायें भाग में पीछे की तरफ स्थित होता है। किडनी ख़राब होने पर शरीर में खून साफ नहीं हो पाता और क्रिएटनिन बढ़ने लगता है। यदि दोनों किडनी अपना कार्य करने में सक्षम नहीं हों, तो उसे आम भाषा में किडनी फेल हो जाना कहते है।
महिलाओं में किडनी खराब होने का प्रमुख कारण
खून को साफ़ कर ब्लड सर्कुलेशन में मदद करने वाले गुर्दे कई कारणों से खराब हो सकते हैं। इनमें खानपान की खराब आदतों के अलावा नियमित रूप से दर्दनिवारक दवाओं का सेवन भी एक बड़ी वजह हो सकता है। डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर या लम्बे समय से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को किडनी खराब होने का अधिक खतरा होता है।
किडनी फेल होना दुनियाभर में महिलाओं की मौत का आठवां बड़ा कारण है। आमतौर पर मूत्र मार्ग में संक्रमण और गर्भावस्था की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण महिलाओं में किडनी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। रोग के शुरूआती लक्षणों में लगातार उल्टी आना,भूख नहीं लगना, थकान और कमज़ोरी महसूस होना,पेशाब की मात्रा कम होना, खुज़ली की समस्या होना, नींद नहीं आना और मांसपेशियों में खिंचाव होना प्रमुख हैं।
सही समय पर इलाज हो सकता है सफल
नियमित जांच कराने से रोग की शुरूआत में ही इसका पता चल जाता है और दवा से इसे ठीक करना संभव हो पाता है, लेकिन यदि समय रहते इसके बारे में पता न चले तो खून को साफ करने के लिए डायलिसिस की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है या फिर किडनी बदलवानी पड़ती है , जो एक लंबी , खर्चीली और कष्टकारी प्रक्रिया है जो हर जगह उपलब्ध भी नहीं है।
केएफटी टेस्ट जरूरी
यही वजह है कि उन्हें यूरीन टेस्ट के साथ केएफटी जैसे सरल परीक्षण कराने के साल्ह दी जाती है। यह किडनी की जांच का सस्ता और सुविधाजनक तरीका है।