कैंसर का इलाज : आपको कैंसर हो सकता है या नहीं 5 साल पहले ही बता देगी ये सस्ती जांच
By उस्मान | Updated: March 3, 2020 09:23 IST2020-03-03T09:23:27+5:302020-03-03T09:23:27+5:30
Cancer treatment: जानिये भारत में कैंसर फैलने के बड़े कारण क्या-क्या हैं

कैंसर का इलाज : आपको कैंसर हो सकता है या नहीं 5 साल पहले ही बता देगी ये सस्ती जांच
कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जिससे दुनियाभर में हर साल लगभग 9.6 मिलियन लोग मरते हैं। 70 फीसदी कैंसर से होने वाली मौतें निम्न-मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। चीन और अमेरिका के बाद भारत कैंसर के मामलों में तीसरे स्थान पर है। यहां हर साल एक लाख से ज्यादा नए कैंसर के मामले सामने आते हैं।
देश में महिला के बीच कैंसर का अनुमान 0.7 मिलियन है। यहां हर आठ मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो जाती है। दुर्भाग्यवश कैंसर के लक्षणों का देर से पता चलता है और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हालांकि शुरुआती लक्षणों की पहचान करके और समय पर इलाज शुरू करने पर काफी हद आप इस बीमारी से निजात पा सकते हैं। कैंसर कई प्रकार के होते हैं और उनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं।
कैंसर के कारण
भागदौड़ की जिंदगी में हमारी लापरवाही व आलस्य भरी जीवनशैली और आहार का गलत चयन बढ़ते कैंसर के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार हैं। मशहूर हृदयरोग विशेषज्ञ डॉक्टर करण भल्ला के मुताबिक यह वक्त की विडंबना ही कही जाएगी कि उन्नत देशों के अमीर अब स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यपूर्ण आहार को प्राथमिकता देते हैं, वहीं, हमारे देश में घर का अच्छा भोजन छोड़कर जंक फूड या बाहर के अस्वास्थ्यकर आहार का चलन बढ़ रहा है।
कैंसर से बचने के उपाय
डॉक्टर भल्ला के मुताबिक, कैंसर से बचाव के लिए जंक फूड और धूम्रपान टालने के हरसंभव प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि आज बड़े पैमाने पर जंक फूड खाए जाते हैं। उसमें फैट ज्यादा होता है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है। उचित आहार के साथ उन्होंने धूम्रपान, तंबाखू खाने जैसे व्यसनों से भी दूर रहने की सलाह दी है।
भारत में कैंसर फैलने की वजह
भारत में कैंसर की अन्य वजह तंबाखू, चूल्हा, वायु-जल प्रदूषण, पान मसाला, कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल, बहुत ज्यादा मसालों का उपयोग, अल्कोहल, रेड मीट आदि भी हैं।
कैंसर की पहचान के लिए पेट स्कैन टेक्निक है वरदान
बेहतर जांच सुविधा वरदान रोग निदान और उपचार के लिहाज से पेट स्कैन (PET scan) के आगमन को एक वरदान करार देते हुए डॉ। भल्ला कहते हैं कि इस जांच से बीमारी की आहट को आगमन से पांच साल पहले तक पता किया जा सकता है। जल्द निदान से जल्द उपचार भी संभव हो जाता है।
उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर भारतीयों के बीच जागरण अभियान चलाने की जरुरत पर भी जोर दिया। भल्ला की राय में कैंसर के लिए फिलहाल थैलियम जांच का ज्यादा इस्तेमाल होता है, लेकिन वक्त के साथ पेट स्कैन जैसी नई जांच पद्धतियां सामने आ रही हैं। इन्हें स्वीकारने में हिचक नहीं दिखाई जानी चाहिए।
थैलियम जांच-पेट स्कैन जांच में अंतर
थैलियम जांच पेट स्कैन खर्च पेट स्कैन से कम खर्च अधिक सटीकता 85 से 99 फीसदी रेडिएशन ज्यादा पांच गुना कम वक्त तीन घंटे 45 मिनट। पेट स्कैन के अगले दिन से सामान्य जीवन जिया जा सकता है। रोजाना के हल्के-फुल्के काम आसानी से किए जा सकते हैं।

