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साल 2050 तक देश में 50 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष रोग से ग्रसित हो सकते हैं, एम्स की स्टडी में खुलासा

By शिवेंद्र राय | Updated: March 12, 2023 16:35 IST

एम्स के राजेंद्र प्रसाद नेत्र अस्पताल के चीफ प्रोफेसर जीवन एस टिटियाल के अनुसार अगर बच्चे स्मार्ट फोन, कंप्यूटर, ऑनलाइन गेम, डिजिटल स्क्रीन को इसी तरह से इस्तेमाल करते रहेंगे तो साल 2050 तक देश में 50 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष रोग से ग्रसित हो जाएंगे।

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ठळक मुद्देएम्स दिल्ली की स्टजी में परेशान करने वाली बात सामने आईबच्चों में बढ़ रही है निकट दृष्टि दोष की बीमारीसाल 2050 तक देश में 50 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष रोग से ग्रसित हो सकते हैं

नई दिल्लीदिल्लीएम्स की एक स्टडी के अनुसार शहरी भारत के बच्चों में निकट दृष्टि दोष रोग कोरोना महामारी के बाद तेजी से बढ़ रहा है। एम्स के इस अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना महामारी के प्रकोप से पहले जब आंखों से जुड़ी स्टडी कराई गई थी तो शहरी आबादी में 5 से 7 प्रतिशत बच्चों में निकट दृष्टि दोष रोग मिला था। हालांकि, कोरोना के बाद की गई स्टडी में ये आंड़का बढ़कर 11 से 15 फीसदी हो गया है।

एम्स के राजेंद्र प्रसाद नेत्र अस्पताल के चीफ प्रोफेसर जीवन एस टिटियाल के अनुसार, "अगर बच्चे स्मार्ट फोन, कंप्यूटर, ऑनलाइन गेम, डिजिटल स्क्रीन को इसी तरह से इस्तेमाल करते रहेंगे तो साल 2050 तक देश में 50 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष रोग से ग्रसित हो जाएंगे। ऐसे में बच्चों की आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है।"

एम्स के अध्ययन में साफ हुआ है कि बच्चों में बढ़ते निकट दृष्टि दोष रोग का सबसे बड़ा कारण इलेक्ट्रानिक उपकरणों के साथ उनका ज्यादा समय बिताना है। कोरोना के समय में ऑनलाइन क्लास की जो परंपरा शुरू हुई थी वह महामारी के कम प्रभावी होने के बाद भी नहीं खत्म हुई। हालांकि अब स्कूल खुल गए हैं लेकिन ज्यादातर कोचिंग कक्षाएं अब भी ऑनलाइन चल रही हैं। इसके अलावा मोबाइल और कंप्यूटर गेम के कारण भी बच्चों का देखने की क्षमता प्रभावित हो रही है।

एम्स के नेत्र चिकित्सक जीवन एस टिटियाल ने इस संबंध में कुछ सलाह भी दी है। उनके अनुसार, बच्चों की नजर कमजोर होने से बचाने के लिए स्कूलों में ट्रेनिंग और निर्दशों का सख्ती से पालन करना होगा। बच्चों को डिजिटल स्क्रीन से दूर रखना होगा। अगर बहुत जरूरी हो तो बच्चों को दिन में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन का इस्तेमाल न करने दें और इस दौरान भी ब्रेक लेते रहें। अगर किसी बच्चे की नजर कमजोर हो रही है तो उसके चश्मा जरूर लगवाया जाए. साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच जरूर करवा लें।

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