बिहार: मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों में एईएस और जेई से अब तक 22 बच्चों की मौत, कई की हालत नाजुक 

By एस पी सिन्हा | Published: June 8, 2019 10:34 PM2019-06-08T22:34:50+5:302019-06-08T22:34:50+5:30

मौसम की तल्खी और हवा में नमी के कारण होने वाली इस बीमारी से इस मौसम में अब तक 22 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि, 40 की स्थिति गंभीर बनी हुई हैं. सभी का ईलाज जारी है.

Bihar: 22 children have died so far from AES and JE in Muzaffarpur and adjoining areas, many are critical | बिहार: मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों में एईएस और जेई से अब तक 22 बच्चों की मौत, कई की हालत नाजुक 

बिहार: मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों में एईएस और जेई से अब तक 22 बच्चों की मौत, कई की हालत नाजुक 

Highlightsइस बीमारी से पिछले चार दिनों में सात बच्चों की मौत हो गई है. जबकि अस्पताल में भर्ती 40 बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है.एइएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर ये बेहोश हो जाते हैं. 

पटना, 8 जूनः बिहार के मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में संदिग्ध एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) नामक बीमारी बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली बीमारी इस साल भी अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है. मौसम की तल्खी और हवा में नमी के कारण होने वाली इस बीमारी से इस मौसम में अब तक 22 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि, 40 की स्थिति गंभीर बनी हुई हैं. सभी का ईलाज जारी है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बीमारी से पिछले चार दिनों में सात बच्चों की मौत हो गई है. जबकि अस्पताल में भर्ती 40 बच्चों की स्थिति गंभीर बनी हुई है. वहीं, बीमारी के बढते प्रकोप से स्वास्थ्य महकमे में बेचैनी बढ़ गई है. एसकेएमसीएच में उपस्थित चिकित्सक भर्ती और नए मरीजों की जांच कर रहे हैं. हालांकि बीमारी की पुष्टि करने में सावधानी बरती जा रही है.एसकेएमसीएच के पीआइसीयू में मरीजों की संख्या बढने के साथ बिस्तर से लेकर ऑक्सीजन के प्वाइंट कम पड़ने लगे हैं. 

इसके कारण ऑक्सीजन सिलेंडर कक्ष में उपलब्ध कराए गए हैं. हालांकि इस पर कर्मियों का ध्यान नहीं रहने से जब तब सिलेंडर खाली होने से परेशानी बढ़ जाती है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसकेएमसीएच के पीआइसीयू में चिकित्सकों की ड्यूटी का नया रोस्टर चस्पा किया गया है. इसके साथ ही सभी चिकित्सकों का मोबाइल नम्बर कंट्रोल रूम में उपलब्ध कराया गया है. इसके साथ पीआइसीयू में सभी कक्ष के इंटरकॉम नम्बर उपलब्ध कराया गया है.

यहां बता दें कि नेपाल के तराई में आने वाले उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढी व वैशाली में बीमारी का प्रभाव दिखता है. इस बार एसकेएमसीएच में जो मरीज आ रहे वह मुजफ्फरपुर और आसपास के मिल रहे हैं. चमकी बुखार के कहर को देखते हुए जिले के सभी पीएचसी को हाई अलर्ट पर रखा गया है. वहीं, सिविल सर्जन के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है. डॉक्टरों ने लोगों को अपने बच्चों का खासा ख्याल रखने की अपील की है. डॉक्टरों ने उसे गर्मी से बचाने के साथ समय-समय पर तरल पदार्थों का सेवन करवाने की सलाह भी दी है. 

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन एस पी सिंह ने बताया कि पिछले चार दिनों के अंदर मुजफ्फरपुर में सात बच्चों की मौत हो गई है. उन्होंने बताया कि अब तक दो बच्चों की मौत एइएस से होने की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि अन्य बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उमस भरी गर्मी के कारण ऐसे मरीजों की संख्या बढी है. 

वहीं, एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीएस सहनी ने बताया कि अब तक बीमार बच्चों का उपचार बीमारी के लक्ष्ण को देखते हुए किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एइएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर ये बेहोश हो जाते हैं. 

यहां उल्लेखनीय है कि इस बीमारी से अब तक सैकड़ों बच्चों की जान जा चुकी है. 90 के दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के कई जिलों में है. लेकिन सिस्टम और डॉक्टर भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि इस लाइलाज बीमारी से कैसे मासूम बच्चों को बचाया जाए?

Web Title: Bihar: 22 children have died so far from AES and JE in Muzaffarpur and adjoining areas, many are critical

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