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UP: 972 सीएचसी और 3735 पीएचसी में वेंटिलेटर बेड नहीं, मरीजों को हो रही दिक्कत

By राजेंद्र कुमार | Updated: December 7, 2025 13:38 IST

UP: इसी प्रकार लखनऊ के सिविल अस्पताल में रोजाना करीब साढ़े तीन हजार रोगियों की ओपीडी होती है, पर यहां 16 वेंटिलेटर बेड हैं और लोकबंधु अस्पताल में सिर्फ 10 आईसीयू बेड हैं

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ठळक मुद्दे यूपी में जिला एवं विशिष्ट अस्पताल भी वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहे मंत्री बोले, जल्दी ही सीएचसी-पीएचसी पर वेंटिलेटर बेड उपलब्ध होगा

UP: उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ से अधिक की आबादी के इलाज को लेकर बनाई गई व्यवस्था को बेहतर बनाने में सरकार के तंत्र सुस्ती का शिकार है. इसके चलते सूबे के 3735 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और 972 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर अभी तक वेंटिलेटर बेड नहीं लगाए जा सके हैं. यहीं नहीं राज्य के 75 जिलों में बने जिला अस्पतालों सहित कुल 259 विशिष्ट अस्पतालों में भी वेंटिलेटर की भारी कमी. पीएचसी और  सीएचसी में वेंटिलेटर ना होने तथा विशिष्ट सरकारी के अस्पतालों में वेंटिलेटर कम संख्या में उपलब्धता होना राज्य की स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में एक गंभीर समस्या को उजागर कर रहा है.

डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को लोगों के बेहतर इलाज के लिए पीएचसी और  सीएचसी में वेंटिलेटर की व्यवस्था करने के साथ ही अल्ट्रासाउंड-एक्सरे और खून की कई जांचें की इंतजाम भी करना चाहिए, अन्यथा सरकार के यह अस्पताल मरीजों के इलाज को लेकर सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह जाएंगे.  

इलाज के आधुनिक उपकरणों की कमी : 

राज्य की पीएचसी और सीएचसी में वेंटिलेटर ना होने तथा 259 विशिष्ट अस्पतालों में भी वेंटिलेटर बेड की कमी होने का यह मामला हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बृजेश पाठक की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में सामने आया. इस बैठक में बृजेश पाठक ने सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था को कैसे अधिक बेहतर किया जाए? इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों से सुझाव मांगे तो उन्हे बताया गया कि पीएचसी और सीएचसी में वेंटिलेटर की व्यवस्था की जाए और जो बड़े सरकारी अस्पताल वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहे हैं उनमें अधिक संख्या में वेंटिलेटर लगाए जाएं.  ताकि  ग्रामीण क्षेत्रों में जो मरीज इलाज के लिए पूरी तरह से पीएचसी-सीएचसी और जिला अस्पतालों पर ही निर्भर हैं, उनके इलाज की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त किया जा सके.

इसी बैठक में यह बताया गया कि पीएचसी-सीएचसी में अत्याधुनिक उपकरणों की के साथ ही अल्ट्रासाउंड-एक्सरे और खून की कई जांचें भी नहीं हो पा रही हैं. इस कारण इलाज कराने के लिए आए व्यक्ति को निजी अस्पताल में इलाज के लिए मजबूर जाना पड़ रहा है. मंत्री को यह भी बताया गया कि पीएचसी-सीएचसी में डॉक्टरों से लेकर स्टाफ तक की कमी है. नियमानुसार पीएचसी में न्यूनतम एक चिकित्सा अधिकारी और 12 पैरामेडिकल स्टाफ होने चाहिए, जबकि सीएचसी में अधीक्षक के अतिरिक्त पीडियाट्रिक, गाइनी और जनरल मेडिसिन के एक-एक डॉक्टर जरूरी होते हैं. इस मानक के तहत अधिकतर सीएचसी-पीएचसी डॉक्टरों और नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. 

रेफरल सेंटर बनकर रह गए सीएचसी-पीएचसी

ऐसा नहीं है कि सूबे के सरकारी अस्पतालों में इलाज के अत्याधुनिक इलाज उपकरणों की कमी सिर्फ ग्रामीण इलाकों में बनी पीएचसी-सीएचसी और जिला अस्पतालों में ही है. लखनऊ में प्रदेश का सबसे बड़ा  जिला अस्पताल बलरामपुर भी वेंटिलेटर की कमी से जूझ रहा है. इस अस्पताल में सिर्फ 28 वेंटिलेटर बेड हैं, जबकि यहां रोजाना पांच हजार मरीजों की ओपीडी होती है और 778 बेड हैं. यहां जरूरत के मुताबिक, आईसीयू में कम से कम 50 वेंटिलेटर बेड होने चाहिए।

 इसी प्रकार लखनऊ के सिविल अस्पताल में रोजाना करीब साढ़े तीन हजार रोगियों की ओपीडी होती है, पर यहां 16 वेंटिलेटर बेड हैं और लोकबंधु अस्पताल में सिर्फ 10 आईसीयू बेड हैं. इन दोनों अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड की संख्या में इजाफ़ा करने का मांग हो रही है. कहा जा रहा है कि लखनऊ में शहर और ग्रामीण इलाकों में कुल 84 पीएचसी और 20 सीएचसी हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर केवल रेफरल सेंटर के तौर पर काम कर रहे हैं, क्योंकि वहां उपकरणों की कमी के कारण मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हो पाता रहा है.

इसलिए पीएचसी- सीएचसी में आने वाले अधिकतर मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जा रहा है. कुछ यही हाल सीतापुर, अमेठी, गोंडा, लखीमपुर खीरी, बलरामपुर, हरदोई, श्रावस्ती, अयोध्या, सुल्तानपुर,रायबरेली, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, नोएडा, बागपत, मथुरा, आगरा, कन्नौज, मैनपुरी, शाहजहांपुर, बरेली आदि शहरों में भी है. इन जिलों के जिला अस्पतालों के आईसीयू में वेंटिलेटर बेड पर्याप्त संख्या में नहीं हैं और अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है. जबकि उक्त जिलों में सीएचसी-पीएचसी में सामान्य एलएफटी, केएफटी, सीबीसी और हार्मोनल प्रोफाइल जैसी खून जांचें ही नहीं हो पा रही हैं. वेंटिलेटर बेड तो इसमें हैं ही नहीं, इस कारण गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का इमरजेन्सी में भी इलाज यहां नहीं किया जा रहा है.  

मंत्री का कथन : 

सरकारी अस्पतालों में लोगों के इलाज करने को लेकर उपकरणों की कमी आदि की जानकारी होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने विभाग के प्रमुख सचिव अमित घोष को पीएचसी-सीएचसी में वेंटिलेटर बेड उपलब्ध कराने और जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड की संख्या में इजाफ़ा करने को निर्देश दिया है. इसके साथ ही उन्होंने अस्पतालों में डाक्टरों की कमी को दूर करने का भी आदेश दिया है. उन्होने यह भी कहा है कि सरकारी अस्पतालों में ओपीडी, वार्ड, लैब, शौचालय और परिसर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त की जाए. मरीजों के बेड पर प्रत्येक दिन अलग-अलग रंग की साफ और ठीक हालत की चादर बिछाई जाएं और सभी बेड पर मरीजों को तकिया भी उपलब्ध करायी जाए. 

यूपी में लोगों के इलाज का सरकारी सेटअप : - प्रदेश में 108 जिला व संयुक्त अस्पताल है - यूपी में 259 विशिष्ट अस्पताल हैं. - यूपी में 972 सीएचसी हैं और 3735 प्राथमिक केंद्र हैं. - यूपी के सभी 75 जिलों में मेडिकल कालेज खोले का हो रहा प्रयास - इसके अलावा लखनऊ एसजीपीजीआई और गोरखपुर तथा रायबरेली में एम्स है 

यूपी में सरकारी डॉक्टरों की संख्या : कुल स्वीकृत पद: 19,659.नियमित रूप से नियुक्त: 11,018.पुनर्नियुक्ति पर: 283.वॉक-इन इंटरव्यू से तैनाती पाए : 404.राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम ) के तहत: 2,508.कुल कार्यरत: लगभग 14,213 कमी: लगभग 5,000 पद खाली हैं.

टॅग्स :Uttar Pradesh GovernmentYogi AdityanathHealth and Education Department
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