500 साल पुराना है जलेबी का इतिहास, भारत ही नहीं विदेशों में भी हैं इसके दीवाने

By मेघना वर्मा | Published: March 5, 2018 11:15 AM2018-03-05T11:15:04+5:302018-03-05T11:15:04+5:30

यूरोप के कई देशों में र्ईरानी भोजनालयों में इसको ईरानी चाय के साथ परोसा जाता है और इसे वहां पर जुलाबा के नाम से जाना जाता है।

History of jalebi in India in hindi | 500 साल पुराना है जलेबी का इतिहास, भारत ही नहीं विदेशों में भी हैं इसके दीवाने

500 साल पुराना है जलेबी का इतिहास, भारत ही नहीं विदेशों में भी हैं इसके दीवाने

जलेबी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। सिर्फ भारत ही नहीं जलेबी ईस्ट अफ्रीका, वेस्ट और साउथ एशिया में भी बहुत फेमस है। नारंगी रंग की ये गोल और टेढ़ी-मेढ़ी स्वीट डिश आज हर शादी, पार्टी या रोजाना तौर पर परोसी जाती है। यह मीठा व्यंजन खाने में जितना स्वादिष्ट है उससे कई अधिक दिलचस्प है इससे जुड़ा इतिहास। जलेबी के भारत आने या भारत में इसे बनाये जाने पर बहुत सारे मत हैं लेकिन ये कहां से और भारत में कब आई आइए एक नजर डालते हैं इतिहास के पन्नों पर। 

गरीबों को बांटने के लिए बनाई गयी थी जलेबी

माना जाता है कि जलेबी या 'जौलबिया' कही जाने वाली इस स्वीट डिश की उत्त्पति पश्चिम देशों में हुई थी। पश्चिम एशिया में छोटी इलायची और सूखी चीनी के साथ इस जलेबी को बनाया जाता था। बताया ये भी जाता है कि ईरान में रमजान के दिन गरीबों या जरूरत मंदों को यही जलेबियां बांटी जाती थी। पारसी शब्द में ये जौलबिया जब हिंदुस्तान आई तो ये जलेबी बन गई। पारसी भाषा अफगानिस्तान, इराक और ईरान में बोली जाती है। मुगल यही के थे। मुगल जब भारत आए तो जलेबी की स्वादिष्ट रेसिपी अपने साथ लाये थे। 1450 ई. के आस पास जैन धर्म कि किताबों में भी जलेबी का जिक्र मिलता है। 

500 साल पुराना है इतिहास

भारतीय प्राचीन पुस्तकों के हिसाब से भारत में जलेबी का इतिहास लगभग 550 साल पुराना है। 1450 में जैन धर्म के संबंध में एक पुस्तक में जलेबी का जिक्र है। सन 1600 में लिखी गयी संस्कृत भाषा की कृति 'गुण्यगुणाबोधिनी' में भी जलेबी के बारे में लिखा गया है। सत्रहवीं शताब्दी में रघुनाथ ने 'भोजन कौतुहल' नामक पाक कला से संबंधित पुस्तक लिखी थी जिसमें जलेबी का जिक्र मिलता है।

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नादिर शाह को जुलाबिया बहुत पसंद थी, वह इस पकवान को ईरान से भारत लेकर आया और फिर इसे यहां का प्रमुख मिष्ठान्न बनने में अधिक समय नहीं लगा। यूरोप के कई देशों में र्ईरानी भोजनालयों में इसको ईरानी चाय के साथ भी परोसा जाता रहा, और इसे वहां पर जुलाबा के नाम से जाना गया।

अलग-अलग हैं जलेबी के नाम

पश्चिमी एशिया में जलेबी को 'जिलपी','जिबली','जेल्पी','इमरती','जहांगीरी' और 'पाक' नाम से भी जानी जाती है। जलेबी का नाम और इसका स्वाद हर समुदाय और देश के साथ बदलता जाता है। कुछ देशों में इसे चावल और उड़द दाल के आटे के साथ बनाया जाता है वहीं कुछ देशों में जलेबी को सिर्फ बेसन और आटे से बनाया जाता है।  

Web Title: History of jalebi in India in hindi

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