शहद से भी मीठा होता है गढ़वाल के इन जंगली फलों का स्वाद, कभी नहीं सुना होगा इनका नाम

By मेघना वर्मा | Updated: April 30, 2018 15:35 IST2018-04-30T15:35:35+5:302018-04-30T15:35:35+5:30

खुबानी का उत्तराखंड से गहरा नाता है। इसे यहां लोकल में चोले भी कहा जाता है, यह फल यूरोप में अमेरिका द्वारा पेश किया गया था।

Fruit found only in uttarakhand forest | शहद से भी मीठा होता है गढ़वाल के इन जंगली फलों का स्वाद, कभी नहीं सुना होगा इनका नाम

शहद से भी मीठा होता है गढ़वाल के इन जंगली फलों का स्वाद, कभी नहीं सुना होगा इनका नाम

उत्तराखंड को प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस शहर में ना सिर्फ हरियाली दिखती है अपितु विशाल हिमालय का भी दृश्य यहां से देखने को मिलता है। सिर्फ यही नहीं इस शहर को हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थल केदारनाथ और बदरीनाथ के प्रवेश द्वार के लिए भी जाना जाता है। सौंदर्य की दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण जिला है। पौडी गढ़वाल में पर्यटन तथा धार्मिक स्थलों की कोई कमी नही है। पौडी गढ़वाल जिले की सीमा उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, चमोली,अल्मोडा, नैनीताल, देहरादून, हरिद्धार तथा उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की सीमा से मिली हुई है। अगर आप भी छुट्टी मानाने के लिए  पौडी गढ़वाल जाने का मन बना रहे हैं तो यहां मिलने वाले इन 5 फलों और व्यंजनों को चखना बिल्कुल ना भूलें...

1. किल्मोड़ा

गढ़वाल में कई ऐसे फल भी मिलते हैं जो देश और दूसरे हिस्से में नहीं पाए जाते। उत्तराखंड के जंगलों में उगने वाले इन फलों का स्वाद यही खाने में भी आता है।किल्मोड़ा इन्ही फलों में से एक है। उत्तराखंड के 1400 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला एक औषधीय प्रजाति है। मार्च-अप्रैल के समय इसमें फूल खिलने शुरू होते हैं। इसके फलों का स्वाद खट्टा-मीठा होता है। उत्तराखण्ड में इसे किल्मोड़ा, किल्मोड़ी और किन्गोड़ के नाम से जानते हैं। वेसे तो ये जंगलो में मिलता है, लेकिन इसके ओषधीय गुणों के हिसाब से इसका मार्किट वैल्यू आम फल से कई गुना अधिक हो सकता है।

2. हीसर

मई-जून के महीने में पहाड़ की रूखी-सूखी धरती पर छोटी झाड़ियों में उगने वाला एक जंगली रसदार फल है। इसे कुछ स्थानों पर “हिंसर” या “हिंसरु” के नाम से भी जाना जाता है। अगर आपका बचपन पहाड़ी गांव में बीता है तो आपने हिसालू का खट्टा-मीठा स्वाद जरूर चखा होगा। शाम होते ही गांव के बच्चे हिसालू के फल इकट्ठा करने जंगलों की तरफ निकल पड़ते हैं और घर के सयाने उनके लौट आने पर इनके मीठे स्वाद का मिलकर लुत्फ़ ऊठाते हैं। यह फल भी औषधीय गुणों से भरपूर है, काले रंग का हिन्सुल जो कि जंगलों में पाया जाता है, अंतराष्ट्रीय बाजार में उसकी भारी मांग रहती है।

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3. चोले

खुबानी का उत्तराखंड से गहरा नाता है। इसे यहां लोकल में चोले भी कहा जाता है, यह फल यूरोप में अमेरिका द्वारा पेश किया गया था। खुबानी शहद की तरह एक स्वादिष्ट फल है। चीन में खुबानी की खूब खेती होती है पहाड़ों में इसकी खेती अच्छी होती है, उत्तराखंड में भी यह बहुतायत में ये पाया जाता है, लेकिन लोग इसका इस्तेमाल सिर्फ खुद के लिए करते हैं, बहुत कम लोग होते हैं जो इसे बेचते हैं, मार्किट में खुबानी के भाव बहुत जादा हैं आपको बता दें कि यह एक बंद कागज की थैली में रखकर पका सकते हैं या कमरे के तापमान पर छोड़ सकते हैं। वेसे उत्तराखंड में यह फल हम पेड़ पर ही खा लेते हैं। बाजार ले जानी की जरूरत ही नहीं होती।

4. काफली

इसे कुमाऊं में काप या कापा भी बोला जाता है।पालक से बनने वाला यह व्यंजन यूं तो साग की तरह बनता है, लेकिन इसमें पालक के पत्तों को पूरी तरह मैश न करके सामान्य ही रखा जाता है।इसके लिए पत्ते को अच्छी तरह धोकर बस तब तक उबाला जाता है, जब तक कि पूरी तरह पक न जाए।सर्दी के मौसम में यह गढ़वाल का एक पारंपरकि और लोकप्रिय व्यंजन है.

5. फाणु का साग

इसमें गहत की दाल को पीसकर गाढ़ा पकाया जाता है। इसके पानी का खास ख्याल रखा जाता है।यह जितनी गाढ़ी बने उतना बेहतर।

जब पीसी हुई गहत अच्छे से गाढ़ी हो जाए तब उसमें बारीक टमाटर, प्याज, अदरक, लहसन आदि डालकर इसे अच्छी तरह पकाया जाता है.

Web Title: Fruit found only in uttarakhand forest

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